- – यह गीत गीता के वादे को निभाने की मजबूरी और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- – गीत में मोहन (कन्हाई) के लिए गहरे प्रेम और उनकी वापसी की तीव्र इच्छा व्यक्त की गई है।
- – गीतकार ने वादे को तोड़ने के बजाय उसे पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
- – गीत में भावनात्मक तरस और इंतजार की भावना प्रमुख रूप से उभरती है।
- – संगीत और शब्दों के माध्यम से प्रेम, वचनबद्धता और समर्पण की भावना को खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है।

वो गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा,
निभाना पड़ेगा,
करके बहाना कोई,
तुमको कन्हाई फिर से,
आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
तरसते हैं मोहन,
तुम्हारे लिये हम,
भला कौन समझेगा,
हम सबके ये गम,
तेरे लिए क्या न किये,
छोड़ो तरसाना तुमको,
आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
छोड़ो बजाना,
बंशी पे ताने,
अब ना चलेंगे,
कोई बहाने,
मानो कहा तेरे बिना,
जग है बिराना,
तुमको आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
दिखादे तू जलवा,
सारे जगत को,
तरसता है ‘राजेन्द्र’,
तेरे दरश को,
कोई कहे मुझको भले,
तेरा दीवाना,
तुझको आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
वो गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा,
निभाना पड़ेगा,
करके बहाना कोई,
तुमको कन्हाई फिर से,
आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
8839262340
