- – यह गीत प्रेम और विरह की भावनाओं को व्यक्त करता है, जहाँ प्रेमी अपने प्रिय के मुखड़े को याद करता है।
- – गीत में नींद उड़ जाने और चैन खो जाने की बात की गई है, जो गहरे दर्द और बेचैनी को दर्शाता है।
- – “बांके बिहारी” का उल्लेख भगवान कृष्ण के रूप में किया गया है, जिनके प्रति गहरा भक्ति भाव व्यक्त होता है।
- – गीत में प्रेमी की आत्मा पूरी तरह से भगवान कृष्ण को समर्पित है और उनकी मुरली की धुन में पागलपन का वर्णन है।
- – यादों और प्यार की तीव्रता के कारण प्रेमी की ज़िंदगी में कोई इलाज नहीं है, जो उसकी बेचैनी को और बढ़ाता है।
- – स्वर विष्णु मिश्रा जी द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जो गीत की भावनात्मक गहराई को और बढ़ाता है।
याद आता है मुखड़ा वो तेरा,
दोहा – बिन तेरे श्री बांके बिहारी,
हुआ है ऐसा हाल,
एक एक दिन लगता है मुझको,
जैसे एक एक साल।
याद आता है मुखड़ा वो तेरा,
याद आता हैं मुखड़ा वो तेरा,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा।।
तर्ज – खाली दिल नहीं जान वी।
इतना बता दे कैसे भूलूँ मैं तुझको,
एक नज़र में तूने लूट लिया मुझको,
लाख भुलाया फिर भी,
याद किया तुझको,
आँखों आँखों में होता है सवेरा, – २,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा।।
बांकी अदा वाले मेरे बांके बिहारी,
तेरे नाम कर दी मैंने ज़िंदगी ये सारी,
कर गई पागल तेरी मुरली मुरारी,
सारे जग में इलाज नही मेरा, – २,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा।।
मेरे पास आजा या तो मुझको बुलाले,
मुझको भी अपना बनाले मुरली वाले,
साँस साँस मेरी है तेरे हवाले,
तेरी यादों ने आके मुझे घेरा, – २,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा।।
याद आता है मुखड़ा वो तेरा,
याद आता हैं मुखड़ा वो तेरा,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा,
नींद उड़ी है उड़ गया चैन मेरा।।
स्वर – विष्णु मिश्रा जी।
https://youtu.be/-XPiy_dW_u4
