- – कविता में बालों की खूबसूरती और काले नैनों की आकर्षक छवि को दर्शाया गया है।
- – “नजर सांवरे लग ना जाये कही” यह पंक्ति सुरक्षा और शुभता की भावना को व्यक्त करती है।
- – प्रेम और भावनाओं की गहराई को खुलकर व्यक्त करने की इच्छा कविता में झलकती है।
- – प्रेमी की दीवानगी और उसकी चाहत को मस्त पवन और कमाल की हंसी के रूप में वर्णित किया गया है।
- – कवि अपने प्रेमी को अपनी पलकों में छुपाकर उसे काजल बनाना चाहता है, जो प्रेम की गहराई दर्शाता है।
- – कविता में पारंपरिक सांस्कृतिक प्रतीकों जैसे काला टिका और काजल का उपयोग किया गया है।

ये बाल घुंगराले नैना काले काले,
नजर सांवरे लग ना जाये कही,
माथे पर एक काला,
टिका तो लगा ले,
नजर सांवरे लग ना जाये कही।।
तर्ज – ये रेशमी झुल्फे।
बात दिल में जो है,
खुल के मैं बोल दूँ,
चाहे जी तुझको फूलो से,
मैं तोल दू,
काबू मे जज्बात रखूं,
मन में मन की बात रखूं,
नजर सांवरे लग ना जाये कही।।
तुझको टुक टुक निहारे,
दीवाने तेरे,
कुछ नए कुछ है आशिक,
पुराने तेरे,
मस्त पवन सी चाल तेरी,
हसी है बड़ी कमाल तेरी,
नजर सांवरे लग ना जाये कही।।
अपनी पलकों में प्यारे,
छुपा लू तुझे,
जो ना छुटे वो काजल,
बना लूँ तुझे,
मैं जाऊ कुर्बान तेरे,
तुझमे अटके है प्राण मेरे,
नजर सांवरे लग ना जाये कही।।
ये बाल घुंगराले नैना काले काले,
नजर सांवरे लग ना जाये कही,
माथे पर एक काला,
टिका तो लगा ले,
नजर सांवरे लग ना जाये कही।।
Singer : Sandeep Bansal
