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हर भक्तों के दिल से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा है,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
बाबा की शक्ति ने देखों,
कैसा खेल रचाया,
बाबा की मस्ती ने हर एक,
दिल को दीवाना बनाया,
ब्रह्मा के वेदों से निकलें,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥

ये सरकार अगर चाहे तो,
कुछ भी करके दिखा दे,
उठा सड़क से एक भिखारी,
राजा उसे बना दे,
नारद की वीणा से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥

इंसा चाहे कुछ भी करले,
इनसे छुपा नहीं है,
‘बनवारी’ गर ये ना चाहे,
कुछ भी हुआ नहीं है,
शंकर के डमरू से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥

हर भक्तों के दिल से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा है,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥

ये बाबा बहुत बड़ा हैं: भजन का अर्थ और विश्लेषण

भजन का सारांश

यह भजन बाबा (ईश्वर) की महिमा का गुणगान करता है, जिसमें उनके भक्तों के प्रति अपार स्नेह और उनकी शक्ति का वर्णन है। बाबा का स्थान अत्यंत ऊँचा है, और वे अद्भुत शक्ति से भक्तों का कल्याण करते हैं। भजन के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि बाबा हर हृदय में निवास करते हैं और उनकी इच्छा से सबकुछ संभव है।


भजन की पहली पंक्ति: “हर भक्तों के दिल से निकले, एक यही आवाज़”

भावार्थ

यह पंक्ति हर भक्त के दिल से उठने वाली एक समान भावनाओं को व्यक्त करती है। भक्त बाबा के प्रति अपने अद्वितीय प्रेम को दर्शाते हैं और उनके महत्त्व को समझते हैं। बाबा की महानता हर एक भक्त के दिल में बसी हुई है।


“ये बाबा बहुत बड़ा है, ये बाबा बहुत बड़ा हैं”

भावार्थ

इस पंक्ति में बाबा की महानता और उनके असीमित स्वरूप की महिमा का वर्णन है। बाबा का महत्व उनके भक्तों के लिए अद्वितीय है, और वे हर कठिनाई से ऊपर हैं। भक्तों का मानना है कि बाबा सबसे महान हैं और उनका बल सब कुछ कर सकता है।


बाबा की शक्ति और मस्ती: “बाबा की शक्ति ने देखों, कैसा खेल रचाया”

भावार्थ

यहाँ बाबा की शक्ति का वर्णन है जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं है। बाबा अपने अद्भुत खेल और शक्ति के माध्यम से अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं। उनकी शक्ति से ही यह सारा संसार और उसमें होने वाली घटनाएँ संचालित होती हैं।

“बाबा की मस्ती ने हर एक, दिल को दीवाना बनाया”

यह पंक्ति बाबा की मस्ती (आनंदपूर्ण स्वभाव) को दर्शाती है। बाबा की भक्ति में डूबे हर भक्त का हृदय प्रेम और आनंद से भर जाता है। बाबा का प्रभाव इतना गहरा है कि वह हर दिल को प्रेम और भक्ति में दीवाना बना देता है।

“ब्रह्मा के वेदों से निकलें, एक यही आवाज़”

यह पंक्ति दर्शाती है कि बाबा की महिमा वेदों में भी गाई गई है। वेदों में भी बाबा को सर्वोपरि और महान माना गया है, और यह मान्यता वेदों से ही निकली आवाज़ के रूप में यहाँ व्यक्त की गई है।


बाबा की सर्वशक्ति का वर्णन: “ये सरकार अगर चाहे तो, कुछ भी करके दिखा दे”

भावार्थ

यहाँ बाबा को सर्वशक्तिमान माना गया है, जो चाहे तो किसी भी कार्य को संभव कर सकते हैं। बाबा की शक्ति इतनी असीम है कि वे किसी भी परिस्थिति को बदल सकते हैं। यह पंक्ति बाबा की सामर्थ्य और उनके करुणामयी स्वभाव को व्यक्त करती है।

“उठा सड़क से एक भिखारी, राजा उसे बना दे”

बाबा का कृपावान और अद्भुत स्वभाव यहाँ प्रकट होता है। बाबा की कृपा से सड़क पर भीख मांगने वाला व्यक्ति भी राजा बन सकता है। यह उनकी दया, करुणा और इच्छा शक्ति को दर्शाता है।

“नारद की वीणा से निकले, एक यही आवाज़”

यहाँ बाबा की महिमा की चर्चा नारद मुनि के माध्यम से होती है। नारद मुनि, जो कि एक महान भक्त माने जाते हैं, उनकी वीणा से भी बाबा की स्तुति की आवाज़ निकलती है। यह दर्शाता है कि बाबा की महानता को हर स्थान पर गाया जा रहा है।


बाबा की शक्ति का आदान-प्रदान: “इंसा चाहे कुछ भी करले, इनसे छुपा नहीं है”

भावार्थ

यह पंक्ति बाबा की सर्वव्यापी दृष्टि को दर्शाती है। बाबा के लिए कुछ भी छुपा नहीं है; वे हर व्यक्ति के मन की बात जान सकते हैं। इंसान कुछ भी प्रयास कर ले, लेकिन बाबा के आगे सबकुछ स्पष्ट होता है।

“‘बनवारी’ गर ये ना चाहे, कुछ भी हुआ नहीं है”

यहाँ बाबा को “बनवारी” कहा गया है, जो उनका एक प्रिय नाम है। यह पंक्ति दर्शाती है कि बाबा की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। बाबा की सहमति के बिना कोई भी घटना घटित नहीं होती है। उनका नियंत्रण और इच्छा ही हर चीज को निर्धारित करती है।

“शंकर के डमरू से निकले, एक यही आवाज़”

यहाँ भगवान शंकर का उल्लेख है, जिनके डमरू से भी बाबा की महिमा गूँजती है। यह दर्शाता है कि बाबा की महिमा इतनी महान है कि शंकर जैसे महादेव भी उसकी प्रशंसा करते हैं।


निष्कर्ष: भजन का समापन

“हर भक्तों के दिल से निकले, एक यही आवाज़, ये बाबा बहुत बड़ा है, ये बाबा बहुत बड़ा हैं”

इस समापन में बाबा की असीम महिमा और उनके प्रति भक्तों के भावनात्मक प्रेम का सजीव चित्रण है। हर भक्त के दिल से एक ही स्वर निकलता है कि बाबा बहुत बड़े हैं, और यह स्वर उनकी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है।


इस प्रकार, यह भजन बाबा की शक्ति, करुणा, प्रेम और उनकी महानता का सुन्दर वर्णन करता है, जो हर भक्त के हृदय में बसी हुई है।

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