- – यह कविता “श्याम” और “खाटू” के प्रति गहरे भावनात्मक समर्पण को दर्शाती है, जहाँ खाटू एक आध्यात्मिक और सांत्वनादायक स्थल के रूप में प्रस्तुत है।
- – कवि ने जीवन की कठिनाइयों और अकेलेपन का उल्लेख करते हुए खाटू के माध्यम से शांति और सहारा पाने की बात कही है।
- – कविता में श्याम (भगवान कृष्ण) की उपस्थिति और उनकी माया से मिलने वाली खुशी और राहत का वर्णन है।
- – खाटू के द्वार को एक आश्रय और पहचान दिलाने वाला स्थान बताया गया है, जहाँ कवि को गमों से मुक्ति मिलती है।
- – यह रचना विश्वास, भक्ति और आध्यात्मिक शरण की भावना को उजागर करती है, जो जीवन की परेशानियों में सहारा बनती है।

ये मेरा श्याम ही,
खाटू बुला रहा है मुझे।
दोहा – दर दर घूमे है इतने,
सहारा नहीं मिला,
दुनिया में खो गए तो,
किनारा नहीं मिला,
हम उनका साथ छोड़कर,
खाटू आ गए,
जिनकी तरफ से कोई,
इशारा नहीं मिला।
ये मेरा श्याम ही,
खाटू बुला रहा है मुझे,
गमों को छीन के मेरे,
हंसा रहा है मुझे,
ये मेरा श्याम हीं,
खाटू बुला रहा है मुझे।।
तेरी तलाश में दर-दर की,
ठोकरें खाई,
यह तेरा द्वार यह तोरण द्वार,
यह तेरा द्वार कसम से,
भा गया है मुझे,
ये मेरा श्याम हीं,
खाटू बुला रहा है मुझे।।
सहारा तूने दिया मुझको,
यह करम तेरा,
वह तू ही है जो,
पहचान दिला रहा है मुझे,
ये मेरा श्याम हीं,
खाटू बुला रहा है मुझे।।
अकेला छोड़ गया मुझको,
हर मेरा अपना,
यही हो गम यही वह गम,
यही वह गम हे जो दिन रात,
सता रहा है मुझे,
ये मेरा श्याम हीं,
खाटू बुला रहा है मुझे।।
ये मेरा श्याम हीं,
खाटू बुला रहा है मुझे,
गमों को छीन के मेरे,
हंसा रहा है मुझे,
ये मेरा श्याम हीं,
खाटू बुला रहा है मुझे।।
Singer – Vishal choudhary
Upload – Rahul choudhary
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