यो बाबा लखदातारी रे
खाटू वाले श्याम धणी की,
महिमा न्यारी रे ॥
हारे का यो बने सहारा,
लीले का असवार,
मोरछड़ी के एक झाड़े ते,
हो जा बेडा पार,
रे हो जा दूर बिमारी रे,
खाटू वाले श्याम धणी की,
महिमा न्यारी रे ॥
कोई आवे पेट पलनीया,
कोई कोई पैदल आता,
रींगस से लेके निशान,
बाबा का दर्शन पाता,
ये जाने दुनिया सारी रे,
खाटू वाले श्याम धणी की,
महिमा न्यारी रे ॥
‘आरती शर्मा’ तेरी लाड़ली,
तेरा ही गुण गावे,
तन्ने रिझावण खातिर बाबा,
नए नए भजन बनावे,
भक्त पे कृपा थारी रे
खाटू वाले श्याम धणी की,
महिमा न्यारी रे ॥
यो बाबा लखदातारी रे
खाटू वाले श्याम धणी की,
महिमा न्यारी रे ॥
यो बाबा लखदातारी रे: गहन अर्थ और गहराई से व्याख्या
भजन “यो बाबा लखदातारी रे” खाटू वाले श्यामजी की अपार महिमा, भक्तों के प्रति उनके असीम प्रेम, और जीवन के हर पहलू में उनकी भूमिका को गहराई से समझाने का प्रयास है। आइए, इस भजन की प्रत्येक पंक्ति का गहराई से विश्लेषण करते हैं।
यो बाबा लखदातारी रे
लखदातारी का अर्थ:
“लखदातारी” शब्द में दो भाग हैं – “लख” और “दातारी।”
- लख: इसका अर्थ “लक्ष्य” या “लाखों” से है, जो अनगिनत को दर्शाता है।
- दातारी: यह “दाता” का एक रूप है, जो देने वाले की महिमा करता है।
इस पंक्ति में खाटू श्यामजी को वह दाता कहा गया है, जो अपने भक्तों को अनगिनत वरदान और सहायता प्रदान करते हैं।
यह नाम यह भी बताता है कि खाटू श्यामजी अपने भक्तों की हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखते हैं।
खाटू वाले श्याम धणी की, महिमा न्यारी रे
यह पंक्ति इस बात पर जोर देती है कि खाटू श्यामजी की महिमा “न्यारी” यानी अनोखी और बेमिसाल है।
- “खाटू वाले”: यह खाटू श्यामजी के मुख्य स्थान, खाटू नगरी की ओर संकेत करता है, जो राजस्थान का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
- महिमा न्यारी:
यह पंक्ति कहती है कि श्यामजी की महिमा का माप किसी भी सांसारिक या अलौकिक शक्ति से नहीं किया जा सकता। उनकी कृपा अपरिमेय और अनंत है।
आध्यात्मिक संदर्भ:
खाटू श्यामजी, भगवान कृष्ण के कलियुग अवतार हैं। यह अवतार दिखाता है कि जब-जब भक्त संकट में होंगे, भगवान उनके उद्धार के लिए अवश्य आएंगे।
हारे का यो बने सहारा
“हारे का सहारा” का गहन अर्थ:
यह पंक्ति स्पष्ट करती है कि खाटू श्यामजी का मुख्य गुण उनकी करुणा और सहारा प्रदान करने की क्षमता है।
- हारे: यहां “हारे” का मतलब केवल शारीरिक थकान नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के लिए है जो जीवन में किसी भी प्रकार से हार गए हैं – जैसे आर्थिक तंगी, भावनात्मक कष्ट, स्वास्थ्य समस्याएं, या मानसिक अवसाद।
- सहारा:
श्यामजी अपने भक्तों के लिए उस सहारे के समान हैं, जो डूबते हुए को तिनके का सहारा देता है।
गहन दृष्टिकोण:
यह केवल बाहरी संकटों तक सीमित नहीं है। “हारे का सहारा” उन आंतरिक संघर्षों को भी दर्शाता है, जिनसे व्यक्ति जूझता है, जैसे आत्मविश्वास की कमी या जीवन में उद्देश्य का न होना।
लीले का असवार
“लीले का असवार” का प्रतीकात्मक अर्थ:
- लीला का अर्थ:
“लीला” एक पौराणिक कथा के अनुसार श्यामजी का प्रिय घोड़ा है।- यहां “लीला” का अर्थ केवल एक घोड़ा नहीं है, बल्कि यह भगवान के वाहक और उनके माध्यम को दर्शाता है।
- असवार:
“असवार” का मतलब सवार होने से है, जो यह दर्शाता है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा और सहायता के लिए तैयार हैं।
आध्यात्मिक प्रतीक:
यह श्यामजी की तत्परता और उनकी सर्वव्यापकता को व्यक्त करता है। वे हर समय अपने भक्तों के पास उपस्थित रहते हैं, चाहे स्थिति कैसी भी हो।
मोरछड़ी के एक झाड़े ते, हो जा बेड़ा पार
“मोरछड़ी” का गूढ़ महत्व:
- मोरछड़ी:
यह एक छोटा सा झाड़ू जैसा उपकरण है, जिसे खाटू श्यामजी का प्रतीक माना जाता है।- यह श्यामजी की कृपा और चमत्कार को व्यक्त करता है।
- इसका उपयोग भक्तों के कष्टों को हरने के लिए किया जाता है।
- “हो जा बेड़ा पार”:
इस पंक्ति का गहरा आध्यात्मिक अर्थ है –- “बेड़ा पार” का मतलब केवल सांसारिक समस्याओं का समाधान नहीं है।
- यह जीवन के भवसागर को पार करने की ओर भी संकेत करता है।
- मोरछड़ी के प्रतीक से भक्त अपने पापों और बुरे कर्मों से मुक्ति पा सकते हैं।
दार्शनिक व्याख्या:
मोरछड़ी यह दर्शाती है कि श्यामजी की कृपा किसी जटिल साधन की जरूरत नहीं रखती; उनकी कृपा सरल और सहज है।
रे हो जा दूर बिमारी रे
यह पंक्ति श्यामजी की चमत्कारी और उपचारक शक्तियों का वर्णन करती है।
- “बिमारी” का संदर्भ:
- यह केवल शारीरिक रोगों तक सीमित नहीं है।
- यह मानसिक और आत्मिक बीमारियों को भी शामिल करता है, जैसे चिंता, अवसाद, और अज्ञानता।
गहरी शिक्षा:
यह पंक्ति कहती है कि भगवान के प्रति सच्चे विश्वास और भक्ति से व्यक्ति सभी प्रकार की बुराइयों और रोगों से मुक्त हो सकता है।
कोई आवे पेट पलनीया, कोई कोई पैदल आता
श्रद्धा के विभिन्न रूप:
- पेट पलनीया:
यहां इसका अर्थ है कि कुछ लोग साधनों का उपयोग करके खाटू तक आते हैं।- यह दिखाता है कि श्यामजी की भक्ति हर वर्ग के लोगों के लिए खुली है।
- पैदल आता:
पैदल चलकर आने वाले भक्तों की दृढ़ भक्ति को विशेष रूप से सराहा गया है।
समर्पण की महिमा:
यह भक्ति की शक्ति और श्यामजी के प्रति समर्पण की गहराई को दर्शाता है।
रींगस से लेके निशान, बाबा का दर्शन पाता
निशान का महत्व:
- “निशान” का अर्थ:
यह खाटू श्यामजी की पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह भक्ति और आस्था का प्रतीक है। - रींगस का संदर्भ:
यह यात्रा की शुरुआत और भक्तों की तपस्या का प्रतीक है।
भक्ति यात्रा का गूढ़ अर्थ:
यह यात्रा सांसारिक जीवन से आत्मिक जीवन की ओर बढ़ने का प्रतीक है। यह भक्तों को दिखाता है कि श्यामजी की कृपा पाने के लिए प्रयास और तपस्या आवश्यक है।
भजन का समग्र सार:
“यो बाबा लखदातारी रे” न केवल खाटू श्यामजी की महिमा का वर्णन करता है, बल्कि यह भक्ति, विश्वास, और जीवन की समस्याओं से मुक्त होने का भी मार्ग दिखाता है।
यदि आप भजन के किसी और हिस्से की गहराई से व्याख्या या किसी पंक्ति का दार्शनिक विश्लेषण चाहते हैं, तो बताएं।