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जया एकादशी व्रत के कुछ लाभ:

  • जन्म-जन्मांतरों के पापों से मुक्ति
  • मोक्ष की प्राप्ति
  • भगवान विष्णु की कृपा
  • मनोकामनाओं की पूर्ति
  • सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति

Jaya Ekadashi 2025 Vrat Katha in Hindi/Sanskrit

कथा:

भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था:

एक बार, मलयवन नामक एक ऋषि थे। उनके पुत्र का नाम पुष्यवती था। पुष्यवती बहुत सुंदर थी और गंधर्वों की अप्सरा थी। एक बार पुष्यवती अपने पिता के साथ कैलाश पर्वत पर गई थी। वहां उसने देवराज इंद्र को नृत्य करते हुए देखा। वह इंद्र के नृत्य से मोहित हो गई और उसके प्रेम में पड़ गई। इंद्र भी उसके सौंदर्य से मोहित हो गया और उसने उससे विवाह कर लिया।

कुछ समय बाद, पुष्यवती गर्भवती हो गई। उसने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम माल्यवान रखा गया। माल्यवान भी अपनी माँ की तरह बहुत सुंदर था। जब वह बड़ा हुआ तो वह भी अप्सराओं के साथ नृत्य करने लगा। एक बार जब वह नृत्य कर रहा था तो उसकी नजर एक अप्सरा पर पड़ी। वह उस अप्सरा के प्रेम में पड़ गया और उससे विवाह कर लिया।

माल्यवान और पुष्यवती दोनों बहुत सुखी थे। वे अपने पति और पिता के साथ स्वर्ग में रहते थे। लेकिन एक दिन उन्होंने एक गलती कर दी। वे एक दूसरे के साथ नृत्य करने लगे। यह देखकर देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने दोनों को स्वर्ग से निष्कासित कर दिया।

माल्यवान और पुष्यवती बहुत दुखी हुए। वे धरती पर आ गए और भगवान विष्णु की आराधना करने लगे। उन्होंने कई वर्षों तक भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की। भगवान विष्णु उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए।

भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे फिर से स्वर्ग में जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जो व्यक्ति जया एकादशी का व्रत रखेगा उसे भी उनके जन्म-जन्मांतरों के पापों से मुक्ति मिल जाएगी।

यह सुनकर, माल्यवान और पुष्यवती बहुत खुश हुए। उन्होंने जया एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की। भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें पुनः स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ।

जया एकादशी व्रत के महत्व को समझने के लिए यह कथा बहुत महत्वपूर्ण है। यह कथा हमें सिखाती है कि यदि हम भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं और जया एकादशी का व्रत रखते हैं तो हमें हमारे सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है और हमें मोक्ष प्राप्त हो सकता है।

Jaya Ekadashi Vrat Katha Video

Jaya Ekadashi 2025 Katha in English

Lord Krishna narrated the significance of the Jaya Ekadashi fast to Yudhishthira:

Once, there was a sage named Malayavan. He had a daughter named Pushyavati, who was exceedingly beautiful and was an apsara among the Gandharvas. One day, Pushyavati accompanied her father to Mount Kailash, where she saw Lord Indra performing a dance. She was captivated by Indra’s dance and fell in love with him. Indra, too, was enchanted by her beauty and married her.

Some time later, Pushyavati became pregnant and gave birth to a son, whom they named Malyavan. Malyavan was also exceptionally handsome, just like his mother. As he grew up, he began dancing with the other apsaras. One day, while he was dancing, he noticed an apsara and fell in love with her. He eventually married this apsara.

Malyavan and Pushyavati were very happy together, and they lived in heaven with their family. However, one day, they made a mistake by dancing with each other in a manner that displeased Lord Indra. Seeing this, Indra became furious and banished them both from heaven.

Filled with grief, Malyavan and Pushyavati descended to Earth and began worshipping Lord Vishnu. They performed rigorous penance for many years in devotion to Lord Vishnu. Pleased by their devotion, Lord Vishnu appeared before them.

Lord Vishnu granted them the boon of returning to heaven and told them that anyone who observed the Jaya Ekadashi fast on the eleventh day of the waxing phase of the moon in the month of Magha would be freed from the sins accumulated over lifetimes.

Hearing this, Malyavan and Pushyavati were overjoyed. They observed the Jaya Ekadashi fast and worshipped Lord Vishnu, who, in turn, restored them to their heavenly abode.

The story of the Jaya Ekadashi fast is essential in understanding its significance. This tale teaches us that by devoting ourselves to Lord Vishnu and observing the Jaya Ekadashi fast, we can achieve liberation from all sins and ultimately attain salvation.

Jaya Ekadashi 2025 Vrat Katha PDF Download

इस कथा से हमें शिक्षा मिलती है कि:

  1. भगवान विष्णु की भक्ति करने से हमें हमारे सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है।
  2. जया एकादशी का व्रत रखने से हमें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  3. मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जया एकादशी का व्रत बहुत फलदायी होता है।

जया एकादशी कब है

जया एकादशी 2025 में 8 फरवरी, शनिवार को मनाई जाएगी। यह व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है। एकादशी तिथि का आरंभ 7 फरवरी 2025 को रात 9:26 बजे होगा और समाप्ति 8 फरवरी 2025 को रात 8:15 बजे होगी। व्रत का पारण 9 फरवरी 2025 को सुबह 7:04 बजे से 9:17 बजे के बीच किया जाएगा।

जया एकादशी का पारण कब है

जया एकादशी 2025 में 8 फरवरी, शनिवार को मनाई जाएगी। इस व्रत का पारण (व्रत तोड़ने का समय) 9 फरवरी 2025, रविवार को प्रातः 7:04 बजे से 9:17 बजे तक है।

पारण के दिन द्वादशी तिथि का समापन 9 फरवरी 2025 को सायं 7:25 बजे होगा।

व्रत का पारण द्वादशी तिथि के भीतर करना शुभ माना जाता है। अतः उपरोक्त समय के भीतर व्रत का पारण करें।

जया एकादशी व्रत की विधि:

  1. दशमी तिथि को सूर्यास्त के बाद भोजन करें और एकादशी तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  2. स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु का पूजन करें।
  3. व्रत का संकल्प लें और दिन भर उपवास रखें।
  4. भगवान विष्णु के नाम का जप करें और भजन गाएं।
  5. रात्रि में भगवान विष्णु की आरती करें और द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद भोजन करें।

यह भी ध्यान रखें:

  1. एकादशी तिथि को दान-पुण्य करना बहुत फलदायी होता है।
  2. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें दान देना चाहिए।
  3. झूठ बोलना, चोरी करना, क्रोध करना, और किसी की बुराई करना आदि पापों से बचना चाहिए।

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