हज़ारों मनोवांछाएं पूरी करने वाली सफला एकादशी (Safala Ekadashi: Fulfilling a Thousand Wishes)
हिंदू धर्म में, हर महीने दो एकादशी तिथियां पड़ती हैं – कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के कृष्ण पक्ष के दौरान) और शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के शुक्ल पक्ष के दौरान). इनमें से, कृष्ण पक्ष की एकादशी को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर सफला एकादशी, जो पौष माह (दिसंबर-जनवरी) में पड़ती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से किया गया व्रत व्यक्ति की हजारों मनोकामनाएं पूर्ण करता है.
सफला एकादशी व्रत कथा in Hindi
चंपावती नगरी के राजा महिष्मान के चार पुत्र थे। उनमें सबसे बड़ा पुत्र लुम्पक दुराचारी था। वह मांस-मदिरा का सेवन करता था और संतों, ऋषियों, मुनियों, देवी-देवताओं आदि का अपमान करता था। उसके आचरण से राजा परेशान थे। एक दिन उन्होंने उसे महल से निकाल दिया।
महल से निकाले जाने के बाद लुम्पक चोरी करने लगा। उसकी आदतों से नगरवासी भी परेशान थे। पास के वन में एक पीपल का पेड़ था, जिसकी नगरवासी पूजा करते थे। लुम्पक उस पेड़ के नीचे रहने लगा।
पौष कृष्ण दशमी
पौष कृष्ण दशमी तिथि की रात को उसे ठंड लग रही थी क्योंकि उसके पास पर्याप्त कपड़े नहीं थे। वह सर्द रात में सो गया, और सर्दी के कारण उसका शरीर अकड़ गया।
एकादशी
अगले दिन सुबह एकादशी को जब सूरज निकला तो दोपहर में उसे गर्मी लगी और वह उठ गया। वह भूखा था और वन में खाने की तलाश में चला गया। भूख और प्यास से वह कमजोर हो गया था, इसलिए वह शिकार नहीं कर पाया।
फलों का भोग
वह वन से फल लेकर उसी पीपल के पेड़ के नीचे आ गया। तब तक अंधेरा हो गया था। उसने फलों को रखा और बोला, “हे नाथ! यह फल आपको निवेदित, अब इन्हें खुद ही खाओ।” उस रात वह जागता रहा। उसे अपने पहले के किए गए पाप कर्मों पर पश्चाताप हो रहा था। उसने भगवान से क्षमा मांगी।
भगवान विष्णु की कृपा
श्रीहरि विष्णु उसके अनजाने में किए गए व्रत से प्रसन्न हुए। उन्होंने लुम्पक के पापों को नष्ट कर दिया। तभी आकाशवाणी हुई, “हे लुम्पक! तुम्हारे व्रत से खुश होकर श्रीहरि ने तुम्हारे सभी पाप नष्ट कर दिए हैं। अब तुम महल लौट जाओ और अपने पिता को राजकाज में मदद करो। राजा का पद संभालो।”
लुम्पक का जीवन परिवर्तन
यह सुनकर लुम्पक ने भगवान विष्णु के नाम का जयकार किया और अपने महल लौट गया। उसके पिता ने उसे राजा बनाया तो वह धर्म के मार्ग पर चलने लगा और राजपाट चलाने लगा। एक योग्य और सुंदर कन्या से उसका विवाह हुआ। उसे अच्छी संतान मिली। श्रीहरि की कृपा से जीवन के अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
सीख
यह कथा हमें सिखाती है कि पाप कर्मों का फल अवश्य मिलता है। भगवान सभी को क्षमा करने वाले हैं, यदि हम सच्चे मन से पश्चाताप करें। सफला एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सफलता मिलती है।
सफला एकादशी व्रत कथा Video
Safla Ekadashi Vrat Katha in English
In the city of Champavati, there was a king named Mahishman who had four sons. His eldest son, Lumpak, was of bad character. He indulged in consuming meat and alcohol, and he disrespected saints, sages, monks, and even the deities. The king was troubled by his son’s actions. One day, he decided to banish Lumpak from the palace.
After being expelled from the palace, Lumpak began to steal. The residents of the city were also troubled by his misdeeds. Near the city, there was a Peepal tree that the townspeople worshipped, and Lumpak began living under this tree.
Paush Krishna Dashami
On the night of Paush Krishna Dashami, Lumpak felt extremely cold as he didn’t have enough clothing. He fell asleep in the bitter cold, and his body became stiff from the chill.
Ekadashi
The next morning was Ekadashi. As the sun rose and noon approached, Lumpak felt warmth and woke up. He was hungry, so he went into the forest to look for food. Weak from hunger and thirst, he couldn’t hunt successfully.
Offering of Fruits
He returned to the Peepal tree with fruits he found in the forest. By that time, it was already dark. He placed the fruits in front of the tree and said, “Oh Lord! I offer these fruits to you. Please accept them.” That night, he stayed awake, feeling remorse for his past sinful actions. He asked God for forgiveness.
Lord Vishnu’s Blessing
Lord Vishnu was pleased with the unintentional fast Lumpak had observed. He forgave all of Lumpak’s sins. At that moment, a divine voice said, “Oh Lumpak! Pleased with your fast, Lord Vishnu has forgiven all your sins. Now, return to the palace and assist your father in managing the kingdom. Take over the throne.”
Lumpak’s Transformation
Hearing this, Lumpak chanted Lord Vishnu’s name in joy and returned to the palace. His father made him the king, and he began to rule with righteousness. He married a virtuous and beautiful woman, and they had good children. By Lord Vishnu’s grace, at the end of his life, Lumpak attained salvation.
Moral of the Story
This story teaches us that one inevitably reaps the results of their sinful actions. However, God is forgiving if we sincerely repent. Observing the fast of Safla Ekadashi brings Lord Vishnu’s grace and success in life.
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सफला एकादशी व्रत कब है
सफला एकादशी 2025 में सोमवार, 15 दिसंबर को है। यह व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सफला एकादशी व्रत तिथि और समय:
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 14 दिसंबर 2025 को शाम 6:49 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 15 दिसंबर 2025 को रात 9:19 बजे
सफला एकादशी व्रत का पारण कब है
सफला एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है, जो एकादशी के अगले दिन होती है। वर्ष 2025 में सफला एकादशी 15 दिसंबर, सोमवार को है। इसका पारण 16 दिसंबर, मंगलवार को प्रातः 7:06 बजे से 9:10 बजे के बीच किया जाएगा।
पारण का समय: 16 दिसंबर 2025, प्रातः 7:06 से 9:10 बजे तक
पारण की अवधि: 2 घंटे 3 मिनट
ध्यान दें कि पारण का समय स्थान के अनुसार भिन्न हो सकता है, इसलिए अपने क्षेत्र के पंचांग या स्थानीय धार्मिक संस्थानों से परामर्श करना उचित होगा।
सफला एकादशी व्रत पूजन विधि
एकादशी तिथि:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और गंगा जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प, तुलसी दल, चंदन, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- “विष्णु सहस्रनाम” का पाठ करें।
- दिन भर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत रखें।
- रात्रि में भगवान विष्णु की आरती करें और भजन गाएं।
पारण तिथि:
- द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद पारण करें।
- ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दक्षिणा दें।
- स्वयं भी भोजन ग्रहण करें।
व्रत के नियम:
- व्रत के दिन दाल, चना, मसूर, लहसुन, प्याज, नमक आदि का सेवन न करें।
- व्रत के दिन झूठ न बोलें, क्रोध न करें और किसी को कष्ट न पहुंचाएं।
- व्रत के दिन मन को शांत रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
यह भी ध्यान रखें:
- यदि आप किसी कारणवश व्रत नहीं रख सकते हैं तो आप केवल फल और दूध का सेवन कर सकते हैं।
- यदि आप गर्भवती हैं, स्तनपान करा रही हैं या किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
सफला एकादशी व्रत के लाभ:
- यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
- यह व्रत पापों का नाश करने वाला माना जाता है।
- यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।