Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha: पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

Pausha Putrada Ekadashi 2024 Katha

कथा का प्रारंभ:

एक बार की बात है, सुकेतुमान नाम का एक राजा था। वह एक महान राजा थे, लेकिन उन्हें संतान प्राप्ति का दुःख था। उन्होंने कई यज्ञ और व्रत किए, लेकिन उन्हें पुत्र प्राप्ति नहीं हुई।

एक ऋषि का आशीर्वाद:

एक दिन, राजा सुकेतुमान एक ऋषि के पास गए और उनसे पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछा। ऋषि ने उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का आदेश दिया। ऋषि ने कहा कि यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है और वे राजा को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देंगे।

व्रत का पालन:

राजा सुकेतुमान ने बड़ी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। उन्होंने दशमी तिथि को स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन किया और व्रत का संकल्प लिया। एकादशी तिथि को उन्होंने उपवास रखा, भगवान विष्णु का पूजन किया और रात्रि जागरण किया।

भगवान विष्णु का आशीर्वाद:

द्वादशी तिथि को राजा सुकेतुमान ने स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन किया और उनसे पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की। भगवान विष्णु उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।

कथा का फल:

कुछ समय बाद, रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। राजा सुकेतुमान और रानी बहुत खुश हुए। उन्होंने भगवान विष्णु का धन्यवाद किया।

पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व:

यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है और वे भक्तों को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। यह व्रत पापों का नाश भी करता है और मोक्ष प्रदान करता है।

पुत्रदा एकादशी पूजन विधि

पूजन सामग्री

  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
  • फल, फूल, मिठाई, पंचामृत
  • चंदन, रोली, हल्दी, कुमकुम
  • दीप, घी, बत्ती
  • तुलसी दल
  • सुपारी, नारियल
  • इत्र, कपूर
  • व्रत कथा पुस्तिका

पूजन विधि

  1. स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. व्रत संकल्प: एकाग्रचित्त होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और पुत्र प्राप्ति की कामना करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  3. पूजा: घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। फल, फूल, मिठाई, पंचामृत, चंदन, रोली, हल्दी, कुमकुम, दीप, घी, बत्ती, तुलसी दल, सुपारी, नारियल, इत्र, कपूर आदि से भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करें।
  4. कथा: व्रत कथा पुस्तिका से पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
  5. आरती: भगवान विष्णु की आरती करें।
  6. भोग: भगवान विष्णु को पंचामृत, फल, फूल, मिठाई, पंचामृत का भोग लगाएं।
  7. कीर्तन: भगवान विष्णु के नामों का कीर्तन करें।
  8. रात्रि जागरण: रात भर जागरण करें और भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें।
  9. पारण: अगले दिन, द्वादशी तिथि में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और फिर पूजा सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन करें। इसके बाद, पारण का समय देखें और उसी समय पर व्रत का पारण करें।

व्रत के नियम

  • एकादशी के दिन दान-पुण्य करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • झूठ बोलना, चोरी करना, गाली देना, किसी को कष्ट देना आदि से बचें।
  • दिन में एक बार ही भोजन करें।
  • भोजन में सात्विक भोजन करें।
  • शयन भूमि पर सोएं।
  • बाल, दाढ़ी, नाखून आदि नहीं काटें।

पुत्रदा एकादशी व्रत के लाभ

  • इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है।
  • पुत्र की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए भी यह व्रत लाभदायक है।
  • इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ध्यान दें: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। यदि आप किसी विशेष मुहूर्त या विधि के बारे में जानना चाहते हैं, तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लें।

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