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कामिका एकादशी कथा in Hindi

एक गांव में एक बहादुर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी वजह से उसकी एक ब्राह्मण के साथ लड़ाई हो गई और ब्राह्मण की मौत हो गई। क्षत्रिय ने अपने हाथों से मारे गए ब्राह्मण की अंतिम संस्कार करना चाहा। लेकिन पंडितों ने उसे अंतिम संस्कार में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने कहा कि तुम पर ब्रह्महत्या का पाप है। पहले प्रायश्चित करो और इस पाप से मुक्त हो जाओ, तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।

इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने का क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्ति भाव से भगवान श्रीधर का व्रत और पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन कराना और उनका आशीर्वाद लेना, इससे इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताए तरीके से व्रत करने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन दिया और कहा कि तुम्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।

Kamika Ekadashi Vrat Katha Video

Kamika Ekadashi Vrat Katha in English

In a village, there lived a brave Kshatriya. One day, due to certain circumstances, he had a dispute with a Brahmin, resulting in the Brahmin’s death. The Kshatriya wished to perform the final rites for the Brahmin whom he had killed with his own hands. However, the priests forbade him from participating in the funeral. They told him that he bore the sin of killing a Brahmin. They advised him to atone for his sin and seek liberation from it; only then would they accept his invitation to dine at his home.

The Kshatriya then asked them how he could be free from this sin. The Brahmins explained that by observing a fast and worshiping Lord Sridhar with devotion on the Ekadashi of the Krishna Paksha (waning phase of the moon) in the month of Shravan, feeding Brahmins, and seeking their blessings, he could be absolved of his sin.

Following the priests’ instructions, the Kshatriya observed the fast. That night, Lord Sridhar appeared before him and said, “You have been freed from the sin of killing a Brahmin.”

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कामिका एकादशी व्रत कब है

कामिका एकादशी 2025 में सोमवार, 21 जुलाई को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि का आरंभ 20 जुलाई 2025 को दोपहर 12:12 बजे होगा और इसका समापन 21 जुलाई 2025 को सुबह 9:38 बजे होगा।

कामिका एकादशी का व्रत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत के दिन भक्तजन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित कर, फल, फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करते हैं। रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करना भी शुभ माना जाता है।

कामिका एकादशी व्रत का पारण कब है

कामिका एकादशी व्रत 2025 में 21 जुलाई, सोमवार को मनाया जाएगा। व्रत का पारण 22 जुलाई, मंगलवार को प्रातः 5:43 बजे से 8:24 बजे के बीच करना उचित होगा। पारण के दिन द्वादशी तिथि का समापन दोपहर 3:55 बजे पर होगा।

कामिका एकादशी 2025 का विवरण:

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 20 जुलाई 2025 को शाम 4:44 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्ति: 21 जुलाई 2025 को दोपहर 3:55 बजे
  • व्रत पारण का समय: 22 जुलाई 2025 को प्रातः 5:43 बजे से 8:24 बजे तक
  • द्वादशी तिथि समाप्ति: 22 जुलाई 2025 को दोपहर 3:55 बजे

पारण करते समय ध्यान रखें कि सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि के भीतर ही व्रत का पारण करें। पारण के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें भोग अर्पित करें, और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें। इसके पश्चात स्वयं भोजन ग्रहण करें।

कामिका एकादशी के फल

कामिका एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को करने से कहा जाता है कि व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

  1. पापों का नाश: मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
  2. कामना की पूर्ति: इस व्रत को करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  3. स्वास्थ्य लाभ: व्रत के दौरान सात्विक भोजन करने और उपवास रखने से शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से बचाव होता है।
  4. मोक्ष की प्राप्ति: कामिका एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होने का विश्वास किया जाता है।
  5. कुल की वृद्धि: इस व्रत को करने से कुल की वृद्धि होती है और संतान सुख प्राप्त होता है।
  6. भगवान विष्णु की कृपा: कामिका एकादशी के व्रत को भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

परंतु, ध्यान रहे कि व्रत के सभी फलों की प्राप्ति सच्चे मन, श्रद्धा और भक्ति से व्रत करने पर ही संभव है।

कामिका एकादशी व्रत का महत्त्व

कामिका एकादशी व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका महत्त्व निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:

  1. पवित्रता और आत्म-शुद्धि: यह व्रत आत्म-शुद्धि और पवित्रता प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करता है। व्रत के दौरान व्यक्ति सात्विक जीवन जीता है, पवित्र विचार रखता है और पापों से दूर रहता है।
  2. धार्मिक मान्यताएं: हिंदू शास्त्रों में कामिका एकादशी के महत्व का वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
  3. सामाजिक एकता: कामिका एकादशी पर लोग एक साथ मिलकर व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। यह सामाजिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: व्रत के दौरान ध्यान, जप, और आत्म-चिंतन जैसी आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन किया जाता है। ये प्रथाएं आंतरिक शांति प्रदान करती हैं और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती हैं।
  5. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य: उपवास और सात्विक आहार मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। व्रत के दौरान इन प्रथाओं का पालन करने से तनाव कम होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।
  6. पौराणिक कथाएं: कामिका एकादशी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जो इस व्रत के महत्व और फलों को दर्शाती हैं। ये कथाएं लोगों को नैतिक मूल्य और जीवन में अच्छाई के महत्व की शिक्षा देती हैं।

कामिका एकादशी पूजाविधि

दशमी तिथि को:

  • स्नान कर घर को स्वच्छ करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से भगवान विष्णु की आरती करें।
  • रात्रि में भजन-कीर्तन करें और फलाहार करें।

एकादशी तिथि को:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूजाघर को गंगाजल से स्वच्छ करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्नान कराएं।
  • पंचामृत, फूल, मेवा, मिठाई और पीले रंग की वस्तुएं अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु की आरती करें।
  • गायत्री मंत्र, विष्णु सहस्त्रनाम, या ॐ नमो नारायणाय का जाप करें।
  • रात्रि में भजन-कीर्तन करें और फलाहार करें।

द्वादशी तिथि को:

  • स्नान कर पारण का समय देखें।
  • पारण के समय में ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • दान-पुण्य करें।
  • स्वयं भी भोजन करें।

कुछ महत्वपूर्ण बातें:

  • व्रत के दौरान चावल, दाल, मसूर, उड़द, नमक, और काली मिर्च का सेवन न करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • झूठ न बोलें, क्रोध न करें, और किसी को कष्ट न दें।
  • दान-पुण्य करें।

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