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ॐ विश्वकर्मणे नमः
ॐ विश्वात्मने नमः
ॐ विश्वस्माय नमः
ॐ विश्वधाराय नमः
ॐ विश्वधर्माय नमः
ॐ विरजे नमः
ॐ विश्वेक्ष्वराय नमः
ॐ विष्णवे नमः
ॐ विश्वधराय नमः
ॐ विश्वकराय नमः ।10

ॐ वास्तोष्पतये नमः
ॐ विश्वभंराय नमः
ॐ वर्मिणे नमः
ॐ वरदाय नमः
ॐ विश्वेशाधिपतये नमः
ॐ वितलाय नमः
ॐ विशभुंजाय नमः
ॐ विश्वव्यापिने नमः
ॐ देवाय नमः
ॐ धार्मिणे नमः ।20

ॐ धीराय नमः
ॐ धराय नमः
ॐ परात्मने नमः
ॐ पुरुषाय नमः
ॐ धर्मात्मने नमः
ॐ श्वेतांगाय नमः
ॐ श्वेतवस्त्राय नमः
ॐ हंसवाहनाय नमः
ॐ त्रिगुणात्मने नमः
ॐ सत्यात्मने नमः ।30

ॐ गुणवल्लभाय नमः
ॐ भूकल्पाय नमः
ॐ भूलेंकाय नमः
ॐ भुवलेकाय नमः
ॐ चतुर्भुजय नमः
ॐ विश्वरुपाय नमः
ॐ विश्वव्यापक नमः
ॐ अनन्ताय नमः
ॐ अन्ताय नमः
ॐ आह्माने नमः ।40

ॐ अतलाय नमः
ॐ आघ्रात्मने नमः
ॐ अनन्तमुखाय नमः
ॐ अनन्तभूजाय नमः
ॐ अनन्तयक्षुय नमः
ॐ अनन्तकल्पाय नमः
ॐ अनन्तशक्तिभूते नमः
ॐ अतिसूक्ष्माय नमः
ॐ त्रिनेत्राय नमः
ॐ कंबीघराय नमः ।50

ॐ ज्ञानमुद्राय नमः
ॐ सूत्रात्मने नमः
ॐ सूत्रधराय नमः
ॐ महलोकाय नमः
ॐ जनलोकाय नमः
ॐ तषोलोकाय नमः
ॐ सत्यकोकाय नमः
ॐ सुतलाय नमः
ॐ सलातलाय नमः
ॐ महातलाय नमः ।60

ॐ रसातलाय नमः
ॐ पातालाय नमः
ॐ मनुषपिणे नमः
ॐ त्वष्टे नमः
ॐ देवज्ञाय नमः
ॐ पूर्णप्रभाय नमः
ॐ ह्रदयवासिने नमः
ॐ दुष्टदमनाथ नमः
ॐ देवधराय नमः
ॐ स्थिर कराय नमः ।70

ॐ वासपात्रे नमः
ॐ पूर्णानंदाय नमः
ॐ सानन्दाय नमः
ॐ सर्वेश्वरांय नमः
ॐ परमेश्वराय नमः
ॐ तेजात्मने नमः
ॐ परमात्मने नमः
ॐ कृतिपतये नमः
ॐ बृहद् स्मणय नमः
ॐ ब्रह्मांडाय नमः ।80

ॐ भुवनपतये नमः
ॐ त्रिभुवनाथ नमः
ॐ सतातनाथ नमः
ॐ सर्वादये नमः
ॐ कर्षापाय नमः
ॐ हर्षाय नमः
ॐ सुखकत्रे नमः
ॐ दुखहर्त्रे नमः
ॐ निर्विकल्पाय नमः
ॐ निर्विधाय नमः ।90

ॐ निस्माय नमः
ॐ निराधाराय नमः
ॐ निकाकाराय नमः
ॐ महदुर्लभाय नमः
ॐ निमोहाय नमः
ॐ शांतिमुर्तय नमः
ॐ शांतिदात्रे नमः
ॐ मोक्षदात्रे नमः
ॐ स्थवीराय नमः
ॐ सूक्ष्माय नमः
ॐ निर्मोहय नमः ।100

ॐ धराधराय नमः
ॐ स्थूतिस्माय नमः
ॐ विश्वरक्षकाय नमः
ॐ दुर्लभाय नमः
ॐ स्वर्गलोकाय नमः
ॐ पंचवकत्राय नमः
ॐ विश्वलल्लभाय नमः।108

108 नामों का महात्म्य

यह 108 नामों की स्तुति विशेष रूप से भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। इन नामों के उच्चारण से भगवान के विभिन्न रूपों, शक्तियों और गुणों का स्मरण किया जाता है। प्रत्येक नाम भगवान की विभिन्न विशेषताओं का वर्णन करता है और उनका पूजन एवं ध्यान करने का महत्व दर्शाता है।

1 से 10 तक के नाम

ॐ विश्वकर्मणे नमः
इसका अर्थ है विश्व का सृजनकर्ता। भगवान विश्वकर्मा को यह नाम उनकी सृजनशीलता के कारण दिया गया है।

ॐ विश्वात्मने नमः
यह नाम भगवान को विश्व की आत्मा के रूप में दर्शाता है।

ॐ विश्वस्माय नमः
इस नाम से भगवान को संपूर्ण जगत के रूप में स्मरण किया जाता है।

ॐ विश्वधाराय नमः
यह नाम भगवान को विश्व को धारण करने वाले के रूप में पहचानता है।

ॐ विश्वधर्माय नमः
यह नाम भगवान को समस्त धर्मों के आधार के रूप में स्मरण करता है।

ॐ विरजे नमः
इसका अर्थ है पवित्रता का प्रतीक। भगवान को यह नाम उनकी पवित्रता के कारण दिया गया है।

ॐ विश्वेक्ष्वराय नमः
यह नाम भगवान को विश्व के स्वामी के रूप में प्रस्तुत करता है।

ॐ विष्णवे नमः
इस नाम से भगवान को सर्वव्यापक और सर्वत्र विद्यमान के रूप में स्मरण किया जाता है।

ॐ विश्वधराय नमः
इसका अर्थ है जो समस्त विश्व को धारण करता है।

ॐ विश्वकराय नमः
यह नाम भगवान को विश्व का निर्माण करने वाले के रूप में वर्णित करता है।

11 से 20 तक के नाम

ॐ वास्तोष्पतये नमः
इसका अर्थ है भगवान वास्तु के अधिपति।

ॐ विश्वभंराय नमः
भगवान को विश्व के पालनहार के रूप में प्रस्तुत करता है।

ॐ वर्मिणे नमः
यह नाम भगवान को कवच रूपी सुरक्षा प्रदान करने वाले के रूप में दर्शाता है।

ॐ वरदाय नमः
भगवान को वरदान देने वाले के रूप में स्मरण किया जाता है।

ॐ विश्वेशाधिपतये नमः
भगवान को विश्व के सभी स्वामियों के स्वामी के रूप में स्मरण किया जाता है।

ॐ वितलाय नमः
यह नाम भगवान को सभी प्रकार की इच्छाओं को पूरा करने वाले के रूप में दर्शाता है।

ॐ विशभुंजाय नमः
भगवान को संपूर्ण विश्व का पालन करने वाले के रूप में स्मरण किया जाता है।

ॐ विश्वव्यापिने नमः
इस नाम से भगवान को संपूर्ण ब्रह्मांड में व्यापक माना गया है।

ॐ देवाय नमः
यह भगवान को सभी देवताओं के देवता के रूप में प्रस्तुत करता है।

ॐ धार्मिणे नमः
भगवान को धर्म का पालन करने वाले के रूप में स्मरण किया जाता है।

21 से 30 तक के नाम

ॐ धीराय नमः
भगवान को धैर्यवान के रूप में पूजा जाता है।

ॐ धराय नमः
भगवान को पृथ्वी का धारण करने वाला माना जाता है।

ॐ परात्मने नमः
यह नाम भगवान को परम आत्मा के रूप में प्रस्तुत करता है।

ॐ पुरुषाय नमः
भगवान को समस्त पुरुषों के पुरुष के रूप में स्मरण किया जाता है।

ॐ धर्मात्मने नमः
यह नाम भगवान को धर्म की आत्मा के रूप में दर्शाता है।

ॐ श्वेतांगाय नमः
भगवान को श्वेत शरीर वाला कहा जाता है, जो पवित्रता का प्रतीक है।

ॐ श्वेतवस्त्राय नमः
भगवान को श्वेत वस्त्र धारण करने वाला माना जाता है।

ॐ हंसवाहनाय नमः
यह नाम भगवान को हंस पर सवार के रूप में स्मरण करता है।

ॐ त्रिगुणात्मने नमः
भगवान को तीनों गुणों (सत, रज, तम) का स्वामी माना गया है।

ॐ सत्यात्मने नमः
भगवान को सत्य की आत्मा के रूप में पूजा जाता है।

31 से 40 तक के नाम

ॐ गुणवल्लभाय नमः
भगवान को गुणों के प्रिय के रूप में प्रस्तुत करता है।

ॐ भूकल्पाय नमः
यह नाम भगवान को पृथ्वी के रूप में मानता है।

ॐ भूलेंकाय नमः
भगवान को भूमंडल के अधिपति के रूप में स्मरण करता है।

ॐ भुवलेकाय नमः
भगवान को सभी लोकों के स्वामी के रूप में प्रस्तुत करता है।

ॐ चतुर्भुजय नमः
भगवान को चार भुजाओं वाला बताया गया है, जो शक्ति, ज्ञान, वैराग्य और ऐश्वर्य का प्रतीक हैं।

ॐ विश्वरुपाय नमः
भगवान को संपूर्ण जगत के रूप में माना गया है।

ॐ विश्वव्यापक नमः
भगवान को सर्वत्र विद्यमान माना गया है।

ॐ अनन्ताय नमः
भगवान को अनंत, जिसका कोई अंत नहीं, माना गया है।

ॐ अन्ताय नमः
भगवान को संपूर्ण सृष्टि का अंत करने वाले के रूप में देखा गया है।

ॐ आह्माने नमः
भगवान को आह्मान रूपी शक्ति माना गया है।

41 से 50 तक के नाम

ॐ अतलाय नमः
भगवान को अटल, जो कभी न बदलने वाला है, माना गया है।

ॐ आघ्रात्मने नमः
भगवान को सर्वव्यापी आत्मा के रूप में प्रस्तुत करता है।

ॐ अनन्तमुखाय नमः
भगवान को अनगिनत मुखों वाला कहा गया है, जो सर्वव्यापकता का प्रतीक है।

ॐ अनन्तभूजाय नमः
भगवान को अनगिनत भुजाओं वाला बताया गया है, जो शक्ति का प्रतीक है।

ॐ अनन्तयक्षुय नमः
भगवान को अनगिनत यक्षों का स्वामी कहा गया है।

ॐ अनन्तकल्पाय नमः
भगवान को अनगिनत कल्पों का साक्षी माना गया है।

ॐ अनन्तशक्तिभूते नमः
भगवान को अनगिनत शक्तियों का स्वामी माना गया है।

ॐ अतिसूक्ष्माय नमः
भगवान को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर के रूप में पूजा जाता है।

ॐ त्रिनेत्राय नमः
भगवान को तीन नेत्रों वाला माना गया है, जो अतीत, वर्तमान और भविष्य का प्रतीक हैं।

ॐ कंबीघराय नमः
भगवान को कंबी (शंख) और घड़ा धारण करने वाला बताया गया है।

51 से 60 तक के नाम

ॐ ज्ञानमुद्राय नमः
भगवान को ज्ञानमुद्रा धारण करने वाला माना गया है।

ॐ सूत्रात्मने नमः
भगवान को सूत्ररूप में माना गया है, जो सब कुछ बांधने वाला है।

ॐ सूत्रधराय नमः
भगवान को सूत्रधार, सब कुछ नियंत्रित करने वाला कहा गया है।

ॐ महलोकाय नमः
भगवान को महालोक के स्वामी के रूप में स्मरण किया जाता है।

ॐ जनलोकाय नमः
भगवान को जनलोक के अधिपति के रूप में पूजा जाता है।

ॐ तषोलोकाय नमः
भगवान को त्रिलोक (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) का स्वामी कहा गया है।

ॐ सत्यकोकाय नमः
भगवान को सत्य का अधिपति कहा गया है।

ॐ सुतलाय नमः
भगवान को सुतल लोक का स्वामी माना गया है।

ॐ सलातलाय नमः
भगवान को सलातल लोक का स्वामी कहा गया है।

ॐ महातलाय नमः
भगवान को महातल लोक का अधिपति कहा गया है।

61 से 70 तक के नाम

ॐ रसातलाय नमः
भगवान को रसातल लोक का अधिपति कहा गया है।

ॐ पातालाय नमः
भगवान को पाताल लोक का स्वामी माना गया है।

ॐ मनुषपिणे नमः
भगवान को मनुष्यों का स्वामी कहा गया है।

ॐ त्वष्टे नमः
भगवान को सृजनकर्ता के रूप में माना गया है।

ॐ देवज्ञाय नमः

भगवान को देवताओं का ज्ञान देने वाला कहा गया है।

ॐ पूर्णप्रभाय नमः
भगवान को पूर्ण प्रकाश का स्वरूप माना गया है।

ॐ ह्रदयवासिने नमः
भगवान को सभी के ह्रदय में वास करने वाला माना गया है।

ॐ दुष्टदमनाथ नमः
भगवान को दुष्टों का नाश करने वाला कहा गया है।

ॐ देवधराय नमः
भगवान को देवताओं का आधार माना गया है।

ॐ स्थिर कराय नमः
भगवान को अडिग और स्थिर माना गया है।

71 से 80 तक के नाम

ॐ वासपात्रे नमः
भगवान को निवास के योग्य माना गया है।

ॐ पूर्णानंदाय नमः
भगवान को पूर्ण आनंद देने वाला कहा गया है।

ॐ सानन्दाय नमः
भगवान को आनंदमय स्वरूप का स्वामी माना गया है।

ॐ सर्वेश्वराय नमः
भगवान को सभी के स्वामी माना गया है।

ॐ परमेश्वराय नमः
भगवान को सर्वोच्च ईश्वर के रूप में माना गया है।

ॐ तेजात्मने नमः
भगवान को प्रकाशमय आत्मा का रूप कहा गया है।

ॐ परमात्मने नमः
भगवान को परमात्मा के रूप में माना गया है।

ॐ कृतिपतये नमः
भगवान को कर्मों का स्वामी कहा गया है।

ॐ बृहद् स्मणय नमः
भगवान को महान स्मरणीय रूप में प्रस्तुत किया गया है।

ॐ ब्रह्मांडाय नमः
भगवान को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का रूप माना गया है।

81 से 90 तक के नाम

ॐ भुवनपतये नमः
भगवान को तीनों लोकों का स्वामी कहा गया है।

ॐ त्रिभुवनाथ नमः
भगवान को तीनों लोकों का पालनहार माना गया है।

ॐ सतातनाथ नमः
भगवान को सभी कालों के स्वामी माना गया है।

ॐ सर्वादये नमः
भगवान को सब कुछ देने वाला कहा गया है।

ॐ कर्षापाय नमः
भगवान को सभी कष्टों को दूर करने वाला माना गया है।

ॐ हर्षाय नमः
भगवान को प्रसन्नता देने वाला कहा गया है।

ॐ सुखकत्रे नमः
भगवान को सुख देने वाला माना गया है।

ॐ दुखहर्त्रे नमः
भगवान को दुखों का नाश करने वाला माना गया है।

ॐ निर्विकल्पाय नमः
भगवान को बिना विकल्प के माना गया है।

ॐ निर्विधाय नमः
भगवान को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त माना गया है।

91 से 100 तक के नाम

ॐ निस्माय नमः
भगवान को इच्छा रहित माना गया है।

ॐ निराधाराय नमः
भगवान को बिना आधार का, स्वाधीन कहा गया है।

ॐ निकाकाराय नमः
भगवान को बिना आकार का कहा गया है।

ॐ महदुर्लभाय नमः
भगवान को महान और दुर्लभ माना गया है।

ॐ निमोहाय नमः
भगवान को मोह रहित कहा गया है।

ॐ शांतिमुर्तय नमः
भगवान को शांति का प्रतीक माना गया है।

ॐ शांतिदात्रे नमः
भगवान को शांति देने वाला कहा गया है।

ॐ मोक्षदात्रे नमः
भगवान को मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।

ॐ स्थवीराय नमः
भगवान को अडिग और स्थिर माना गया है।

ॐ सूक्ष्माय नमः
भगवान को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर माना गया है।

101 से 108 तक के नाम

ॐ निर्मोहय नमः
भगवान को मोह रहित माना गया है।

ॐ धराधराय नमः
भगवान को पृथ्वी का धारण करने वाला कहा गया है।

ॐ स्थूतिस्माय नमः
भगवान को प्रशंसा योग्य कहा गया है।

ॐ विश्वरक्षकाय नमः
भगवान को संपूर्ण विश्व का रक्षक कहा गया है।

ॐ दुर्लभाय नमः
भगवान को दुर्लभ माना गया है, जिन्हें प्राप्त करना कठिन है।

ॐ स्वर्गलोकाय नमः
भगवान को स्वर्ग के स्वामी माना गया है।

ॐ पंचवकत्राय नमः
भगवान को पांच मुख वाला कहा गया है, जो सभी दिशाओं को देख सकता है।

ॐ विश्वलल्लभाय नमः
भगवान को संपूर्ण विश्व का प्रिय कहा गया है।

यह 108 नाम भगवान के अनंत स्वरूप और गुणों का प्रतीक हैं। इनका जाप करने से व्यक्ति को ज्ञान, शक्ति और भक्ति की प्राप्ति होती है।

108 नामों का विस्तृत वर्णन

भगवान विश्वकर्मा के ये 108 नाम उनकी अद्वितीय शक्तियों और विविध रूपों का प्रतीक हैं। प्रत्येक नाम उनके विशेष गुणों और कार्यों को दर्शाता है। ये नाम भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने के साथ-साथ हमारे जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार भी करते हैं।

भगवान विश्वकर्मा के नामों का महत्व

भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माता और निर्माण कला के देवता के रूप में पूजा जाता है। इनके 108 नाम उनकी व्यापकता, सर्वशक्तिमानता और कृपा का प्रतीक हैं। प्रत्येक नाम के उच्चारण से भक्त उनके विशेष गुणों को स्मरण करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

1. सृष्टिकर्ता के रूप में

ॐ विश्वकर्मणे नमः
भगवान को इस नाम से सृष्टि के रचयिता के रूप में पूजा जाता है। यह नाम बताता है कि कैसे उन्होंने इस पूरे ब्रह्मांड को अपने ज्ञान और कला से निर्मित किया।

ॐ विश्वात्मने नमः
यह नाम भगवान को विश्व की आत्मा, सभी प्राणियों की चेतना के रूप में दर्शाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि वह हर जीव में निवास करते हैं।

2. पालनकर्ता और संरक्षणकर्ता के रूप में

ॐ विश्वभंराय नमः
भगवान को विश्व के पालनहार और पोषणकर्ता के रूप में प्रस्तुत करता है। वे सभी प्राणियों का पोषण और रक्षा करते हैं।

ॐ विश्वरक्षकाय नमः
इस नाम से भगवान को संपूर्ण ब्रह्मांड के रक्षक के रूप में स्मरण किया जाता है। वह सभी जीवों की रक्षा करते हैं और उन्हें सुरक्षित रखते हैं।

3. अनंत शक्ति और ज्ञान के रूप में

ॐ अनन्ताय नमः
यह नाम भगवान की अनंतता का प्रतीक है। वह असीमित हैं, जिनका कोई अंत नहीं है।

ॐ ज्ञानमुद्राय नमः
भगवान को ज्ञान का प्रतीक माना गया है। उनकी ज्ञानमुद्रा हमें उनकी अपार विद्या और विवेक का बोध कराती है।

4. धर्म और सत्य के मार्गदर्शक

ॐ धर्मात्मने नमः
भगवान को धर्म की आत्मा कहा गया है। वह धर्म के पालन और सत्य के प्रचारक हैं।

ॐ सत्यात्मने नमः
भगवान को सत्य की आत्मा के रूप में स्मरण किया जाता है। वह सत्य के प्रतीक हैं और हमें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

भगवान के स्वरूप और गुणों का विश्लेषण

भगवान विश्वकर्मा के 108 नाम उनके अनेक स्वरूपों और गुणों का प्रतीक हैं। यह नाम उनकी व्यापकता, शक्ति, धर्म, और शांति के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करते हैं।

1. व्यापकता और सर्वव्यापी स्वरूप

ॐ विश्वव्यापकाय नमः
भगवान को इस नाम से सर्वव्यापी माना गया है। वह हर जगह, हर वस्तु और हर जीव में विद्यमान हैं।

ॐ त्रिगुणात्मने नमः
भगवान को तीनों गुणों (सत्व, रज और तम) का स्वामी माना गया है। वह इन तीनों गुणों से परे हैं और सभी गुणों को संतुलित करते हैं।

2. अनंत और सूक्ष्म स्वरूप

ॐ अनन्तमुखाय नमः
भगवान को अनगिनत मुखों वाला कहा गया है, जो उनकी सर्वव्यापकता और सर्वज्ञता का प्रतीक है।

ॐ अतिसूक्ष्माय नमः
भगवान को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर के रूप में माना गया है। वह इतने सूक्ष्म हैं कि उन्हें भौतिक दृष्टि से देख पाना संभव नहीं है।

3. शांतिमय और मोक्षदायक स्वरूप

ॐ शांतिमुर्तय नमः
भगवान को शांति का प्रतीक माना गया है। वह हमारे जीवन में शांति और स्थिरता का संचार करते हैं।

ॐ मोक्षदात्रे नमः
भगवान को मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। उनके आशीर्वाद से हमें जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।

108 नामों का जाप और उनके लाभ

भगवान विश्वकर्मा के इन 108 नामों का जाप करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। यह नाम न केवल हमारे मन को शांत करते हैं, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं। इनका उच्चारण करने से हम भगवान के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

1. मानसिक शांति और संतुलन

इन नामों का जाप करने से मन में शांति और संतुलन की अनुभूति होती है। यह हमारी चिंताओं को दूर करता है और हमें आत्मिक शांति प्रदान करता है।

2. आध्यात्मिक विकास

भगवान के इन नामों का उच्चारण हमें आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करता है। यह हमें धर्म, सत्य और ईश्वर के प्रति जागरूक करता है और हमें उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

3. कष्टों का निवारण

इन नामों का जाप करने से हमारे जीवन के कष्ट दूर होते हैं। भगवान की कृपा से हमें हर विपत्ति से मुक्ति मिलती है और हम सुख-समृद्धि का अनुभव करते हैं।

4. मोक्ष की प्राप्ति

भगवान के इन नामों का जाप हमें मोक्ष की प्राप्ति की ओर ले जाता है। यह हमें जीवन-मरण के बंधन से मुक्त करता है और हमें ईश्वर के सान्निध्य में ले जाता है।

निष्कर्ष

भगवान विश्वकर्मा के ये 108 नाम उनके दिव्य स्वरूप, गुणों और शक्तियों का प्रतीक हैं। इन नामों का उच्चारण करने से हम भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर सकते हैं। यह नाम हमारे जीवन में सकारात्मकता लाते हैं और हमें ईश्वर के निकट ले जाते हैं।

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