॥ श्री गणेशाय नमः ॥
भूतप्रेतपिशाचाध्या यस्य स्मरणमात्रतः ॥
दूरादेव पलायत्ने दत्तात्रेय नमामि तम् ॥१॥यंनामस्मरणादैन्यम पापं तापश्च नश्यति ॥
भीतीग्रहार्तीदु:स्वप्नं दत्तात्रेय नमामि तम् ॥२॥
दद्रुस्फोटककुष्ठादि महामारी विषूचिका ॥
नश्यंत्यन्येपि रोगाश्च दत्तात्रेय नमामि तम् ॥३॥
संगजा देशकालोत्था अपि सांक्रमिका गदाः ॥
शाम्यंति यत्स्मरणतो दत्तात्रेय नमामि तम् ॥४॥
सर्पवृश्चिकदष्टानां विषार्तानां शरीरिणाम ॥
यन्नाम शांतिदे शीघ्र दत्तात्रेय नमामि तम् ॥५॥
त्रिविधोत्पातशमनं विविधारिष्टनाशनम् ॥
यन्नाम क्रूरभीतिध्नं दत्तात्रेय नमामि तम् ॥६॥
वैर्यादिकृतमंत्रादिप्रयोगा यस्य कीर्तनात ॥
नश्यंति देवबाधाश्च दत्तात्रेय नमामि तम् ॥७॥
यच्छिष्यस्मरणात्सद्यो गतनष्टादि लभ्यते ॥
यः ईशः सर्वतस्त्राता दत्तात्रेय नमामि तम् ॥८॥
जयलाभयशःकामदातुर्दत्तस्य यः स्तवम् ॥
भोगमोक्षप्रदस्येमं पठेदत्तप्रियो भवेत ॥९॥
इति श्रीमत् परमहंस परित्राजकाचार्य श्रीवासुदेवानंदसरसस्वती
विरवितं श्रीदत्तस्तवस्तोत्रं संपूर्णम ॥
श्री दत्तात्रेय स्तोत्र का महत्व
श्री दत्तात्रेय भगवान् का स्मरण करने मात्र से सभी प्रकार के भूत, प्रेत, पिशाच आदि बाधाएँ दूर हो जाती हैं। उनका नाम लेने से सभी प्रकार के रोग, दरिद्रता, और मानसिक कष्ट भी समाप्त हो जाते हैं। इस स्तोत्र में श्री दत्तात्रेय की महिमा और उनके नाम के स्मरण से होने वाले लाभों का वर्णन किया गया है।
भूत-प्रेत और पिशाच से रक्षा
श्लोक 1
भूतप्रेतपिशाचाध्या यस्य स्मरणमात्रतः। दूरादेव पलायत्ने दत्तात्रेय नमामि तम्॥ १॥
इस श्लोक में कहा गया है कि श्री दत्तात्रेय का स्मरण मात्र करने से भूत, प्रेत और पिशाच जैसी सभी नकारात्मक शक्तियाँ दूर भाग जाती हैं। ऐसे भगवान् श्री दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूँ।
दरिद्रता, पाप और कष्ट का नाश
श्लोक 2
यंनामस्मरणादैन्यम पापं तापश्च नश्यति। भीतीग्रहार्तीदु:स्वप्नं दत्तात्रेय नमामि तम्॥ २॥
इस श्लोक में श्री दत्तात्रेय के नाम का स्मरण करने से दरिद्रता, पाप, कष्ट, ग्रहों की पीड़ा, भय और बुरे स्वप्न नष्ट हो जाते हैं। ऐसे भगवान् श्री दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूँ।
रोगों का नाश
श्लोक 3
दद्रुस्फोटककुष्ठादि महामारी विषूचिका। नश्यंत्यन्येपि रोगाश्च दत्तात्रेय नमामि तम्॥ ३॥
इस श्लोक में बताया गया है कि श्री दत्तात्रेय के नाम का स्मरण करने से कुष्ठ रोग, फोड़े, महामारी, चेचक जैसी गंभीर बीमारियाँ भी समाप्त हो जाती हैं। ऐसे भगवान् श्री दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूँ।
संक्रामक रोगों से मुक्ति
श्लोक 4
संगजा देशकालोत्था अपि सांक्रमिका गदाः। शाम्यंति यत्स्मरणतो दत्तात्रेय नमामि तम्॥ ४॥
इस श्लोक में कहा गया है कि देश, काल और संयोग से उत्पन्न होने वाले संक्रामक रोग भी श्री दत्तात्रेय के स्मरण से शांत हो जाते हैं। ऐसे भगवान् श्री दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूँ।
विष का प्रभाव समाप्त
श्लोक 5
सर्पवृश्चिकदष्टानां विषार्तानां शरीरिणाम। यन्नाम शांतिदे शीघ्र दत्तात्रेय नमामि तम्॥ ५॥
इस श्लोक में बताया गया है कि श्री दत्तात्रेय के नाम का स्मरण करने से सर्प और बिच्छू के काटने से उत्पन्न विष का प्रभाव भी शीघ्र समाप्त हो जाता है। ऐसे भगवान् श्री दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूँ।
भय और विपत्तियों का नाश
श्लोक 6
त्रिविधोत्पातशमनं विविधारिष्टनाशनम्। यन्नाम क्रूरभीतिध्नं दत्तात्रेय नमामि तम्॥ ६॥
इस श्लोक में कहा गया है कि श्री दत्तात्रेय के नाम का स्मरण करने से सभी प्रकार की विपत्तियाँ और भय दूर हो जाते हैं। ऐसे भगवान् श्री दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूँ।
देव बाधा का नाश
श्लोक 7
वैर्यादिकृतमंत्रादिप्रयोगा यस्य कीर्तनात। नश्यंति देवबाधाश्च दत्तात्रेय नमामि तम्॥ ७॥
इस श्लोक में बताया गया है कि श्री दत्तात्रेय के कीर्तन से वैर-विरोध और मंत्रों के प्रभाव से उत्पन्न होने वाली देव बाधाएँ भी समाप्त हो जाती हैं। ऐसे भगवान् श्री दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूँ।
सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति
श्लोक 8
यच्छिष्यस्मरणात्सद्यो गतनष्टादि लभ्यते। यः ईशः सर्वतस्त्राता दत्तात्रेय नमामि तम्॥ ८॥
इस श्लोक में कहा गया है कि श्री दत्तात्रेय के शिष्य मात्र उनके नाम का स्मरण करके खोई हुई वस्तु को भी प्राप्त कर लेते हैं। वे सर्वत्र उपस्थित और सभी की रक्षा करने वाले भगवान हैं। ऐसे श्री दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूँ।
श्री दत्तात्रेय स्तोत्र का फल
श्लोक 9
जयलाभयशःकामदातुर्दत्तस्य यः स्तवम्। भोगमोक्षप्रदस्येमं पठेदत्तप्रियो भवेत॥ ९॥
जो व्यक्ति श्री दत्तात्रेय का यह स्तोत्र श्रद्धा पूर्वक पढ़ता है, उसे भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह दत्तात्रेय भगवान् का प्रिय बन जाता है।
समापन
इति श्रीमत् परमहंस परित्राजकाचार्य श्रीवासुदेवानंदसरस्वती विरचितं श्रीदत्तस्तवस्तोत्रं संपूर्णम्।
यह श्री दत्तात्रेय स्तोत्र, जो परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीवासुदेवानंद सरस्वती द्वारा रचित है, पूर्ण हुआ। इसे श्रद्धा पूर्वक पढ़ने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और भगवान् दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त होती है।
श्री दत्तात्रेय स्तोत्र का विस्तृत विवरण
श्री दत्तात्रेय भगवान की आराधना भारतीय धार्मिक परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। वे त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश के स्वरूप माने जाते हैं और उनकी पूजा से सभी प्रकार की बाधाओं, विपत्तियों और रोगों का नाश होता है। इस स्तोत्र में दत्तात्रेय भगवान की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। आइए, इस स्तोत्र के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझें।
श्री दत्तात्रेय भगवान का परिचय
श्री दत्तात्रेय को हिंदू धर्म में एक अद्वितीय स्थान प्राप्त है। वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त अवतार माने जाते हैं। उनके तीन सिर और छह भुजाएँ हैं, जिनमें वे विभिन्न प्रकार के आयुध धारण किए हुए हैं। उन्हें शांति, धैर्य, और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। दत्तात्रेय भगवान का स्मरण करने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट, दुख और भय दूर हो जाते हैं।
श्री दत्तात्रेय स्तोत्र की विशेषताएँ
1. भूत-प्रेत और पिशाच से मुक्ति
इस स्तोत्र का पहला श्लोक यह स्पष्ट करता है कि श्री दत्तात्रेय भगवान का स्मरण मात्र करने से सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव, जैसे भूत, प्रेत और पिशाच, तुरंत ही दूर हो जाते हैं। इससे यह पता चलता है कि श्री दत्तात्रेय की आराधना करने से नकारात्मक शक्तियों का भय समाप्त हो जाता है।
2. दरिद्रता और पाप से मुक्ति
दूसरे श्लोक में भगवान दत्तात्रेय के नाम का स्मरण करने से दरिद्रता, पाप और ताप समाप्त हो जाते हैं। यह श्लोक यह भी बताता है कि ग्रहों की पीड़ा, बुरे स्वप्न और मानसिक तनाव का भी नाश हो जाता है।
3. रोगों का नाश
तीसरे श्लोक में कहा गया है कि कुष्ठ रोग, फोड़े, महामारी और चेचक जैसी गंभीर बीमारियों का नाश भी श्री दत्तात्रेय के नाम स्मरण से होता है। यह श्लोक यह बताता है कि भगवान दत्तात्रेय की आराधना से स्वास्थ्य लाभ भी होता है।
4. संक्रामक रोगों से मुक्ति
चौथे श्लोक में देश, काल और संयोग से उत्पन्न होने वाले संक्रामक रोगों का भी नाश श्री दत्तात्रेय के स्मरण से होता है। यह श्लोक विशेष रूप से उन रोगों के लिए है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं।
5. विष का प्रभाव समाप्त
पाँचवे श्लोक में सर्प और बिच्छू के काटने से उत्पन्न विष के प्रभाव का नाश करने का वर्णन है। यह श्लोक बताता है कि श्री दत्तात्रेय का स्मरण करने से विष के प्रभाव से शरीर को तुरंत शांति मिलती है।
6. भय और विपत्तियों का नाश
छठे श्लोक में सभी प्रकार की विपत्तियों और भय का नाश करने का वर्णन है। यह श्लोक विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो किसी भी प्रकार के भय या संकट में होते हैं।
7. देव बाधा का नाश
सातवें श्लोक में मंत्रों के प्रभाव और देव बाधाओं से मुक्ति का वर्णन है। यह श्लोक बताता है कि श्री दत्तात्रेय का कीर्तन करने से सभी प्रकार की देव बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
8. सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति
आठवें श्लोक में कहा गया है कि श्री दत्तात्रेय के शिष्य उनके नाम का स्मरण मात्र से ही खोई हुई वस्तु प्राप्त कर लेते हैं। यह श्लोक भगवान दत्तात्रेय की सर्वव्यापकता और उनकी कृपा को दर्शाता है।
श्री दत्तात्रेय स्तोत्र का फल
यह स्तोत्र जो भी श्रद्धा पूर्वक पढ़ता है, उसे भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। श्री दत्तात्रेय भगवान का यह स्तोत्र सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला और शांति प्रदान करने वाला है।
श्री दत्तात्रेय स्तोत्र के पाठ के नियम
- श्रद्धा और विश्वास: इस स्तोत्र का पाठ पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए।
- शुद्धता: पाठ करते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
- नियमितता: नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
श्री दत्तात्रेय की उपासना के लाभ
- मानसिक शांति: भगवान दत्तात्रेय की आराधना से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- भयमुक्त जीवन: इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में किसी भी प्रकार के भय का नाश होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: भगवान दत्तात्रेय की कृपा से साधक को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि: इस स्तोत्र का पाठ करने से भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की समृद्धि प्राप्त होती है।
समापन
श्री दत्तात्रेय भगवान का यह स्तोत्र उनके अनंत गुणों और महिमा का वर्णन करता है। इसे श्रद्धा पूर्वक पढ़ने से सभी प्रकार की बाधाओं, रोगों और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। भगवान दत्तात्रेय की कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और साधक को शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस स्तोत्र का पाठ करते हुए भक्त को अपनी आस्था और विश्वास को बनाए रखना चाहिए, ताकि भगवान दत्तात्रेय की कृपा सदैव बनी रहे।