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ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी,
माता श्रीबगलामुखी ।
चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च,
ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी ॥ 1 ॥

महा-विद्या महा-लक्ष्मी,
श्रीमत् -त्रिपुर-सुन्दरी ।
भुवनेशी जगन्माता,
पार्वती सर्व-मंगला ॥ 2 ॥

ललिता भैरवी शान्ता,
अन्नपूर्णा कुलेश्वरी ।
वाराही छिन्नमस्ता च,
तारा काली सरस्वती ॥ 3 ॥

जगत् -पूज्या महा-माया,
कामेशी भग-मालिनी ।
दक्ष-पुत्री शिवांकस्था,
शिवरुपा शिवप्रिया ॥ 4 ॥

सर्व-सम्पत्-करी देवी,
सर्व-लोक वशंकरी ।
वेद-विद्या महा-पूज्या,
भक्ताद्वेषी भयंकरी ॥ 5 ॥

स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च,
दुष्ट-स्तम्भन-कारिणी ।
भक्त-प्रिया महा-भोगा,
श्रीविद्या ललिताम्बिका ॥ 6 ॥

मेना-पुत्री शिवानन्दा,
मातंगी भुवनेश्वरी ।
नारसिंही नरेन्द्रा च,
नृपाराध्या नरोत्तमा ॥ 7 ॥

नागिनी नाग-पुत्री च,
नगराज-सुता उमा ।
पीताम्बरा पीत-पुष्पा च,
पीत-वस्त्र-प्रिया शुभा ॥ 8 ॥

पीत-गन्ध-प्रिया रामा,
पीत-रत्नार्चिता शिवा ।
अर्द्ध-चन्द्र-धरी देवी,
गदा-मुद्-गर-धारिणी ॥ 9 ॥

सावित्री त्रि-पदा शुद्धा,
सद्यो राग-विवर्द्धिनी ।
विष्णु-रुपा जगन्मोहा,
ब्रह्म-रुपा हरि-प्रिया ॥ 10 ॥

रुद्र-रुपा रुद्र-शक्तिद्दिन्मयी,
भक्त-वत्सला ।
लोक-माता शिवा सन्ध्या,
शिव-पूजन-तत्परा ॥ 11 ॥

धनाध्यक्षा धनेशी च,
धर्मदा धनदा धना ।
चण्ड-दर्प-हरी देवी,
शुम्भासुर-निवर्हिणी ॥ 12 ॥

राज-राजेश्वरी देवी,
महिषासुर-मर्दिनी ।
मधु-कैटभ-हन्त्री च,
रक्त-बीज-विनाशिनी ॥ 13 ॥

धूम्राक्ष-दैत्य-हन्त्री च,
भण्डासुर-विनाशिनी ।
रेणु-पुत्री महा-माया,
भ्रामरी भ्रमराम्बिका ॥ 14 ॥

ज्वालामुखी भद्रकाली,
बगला शत्र-ुनाशिनी ।
इन्द्राणी इन्द्र-पूज्या च,
गुह-माता गुणेश्वरी ॥ 15 ॥

वज्र-पाश-धरा देवी,
जिह्वा-मुद्-गर-धारिणी ।
भक्तानन्दकरी देवी,
बगला परमेश्वरी ॥ 16 ॥

फल- श्रुति
अष्टोत्तरशतं नाम्नां,
बगलायास्तु यः पठेत् ।
रिप-ुबाधा-विनिर्मुक्तः,
लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात्॥ 1 ॥

भूत-प्रेत-पिशाचाश्च,
ग्रह-पीड़ा-निवारणम् ।
राजानो वशमायाति,
सर्वैश्वर्यं च विन्दति ॥ 2 ॥

नाना-विद्यां च लभते,
राज्यं प्राप्नोति निश्चितम् ।
भुक्ति-मुक्तिमवाप्नोति,
साक्षात् शिव-समो भवेत् ॥ 3 ॥

ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी

स्तुति का संपूर्ण विवरण

मूल श्लोक

श्लोक 1:

ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी, माता श्रीबगलामुखी।
चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च, ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी ॥

इस श्लोक में देवी बगलामुखी को “ब्रह्मास्त्र-रुपिणी” कहा गया है, जो ब्रह्मास्त्र के रूप में अपने शक्तिशाली प्रभाव का वर्णन करता है। वह “चिच्छिक्ति” के रूप में जानी जाती हैं, जो ज्ञान का स्वरूप है और ब्रह्मानंद प्रदान करती हैं।

श्लोक 2:

महा-विद्या महा-लक्ष्मी, श्रीमत् -त्रिपुर-सुन्दरी।
भुवनेशी जगन्माता, पार्वती सर्व-मंगला ॥

देवी को महाविद्या और महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। वह श्रीमत् त्रिपुरसुंदरी, भुवनेशी, और जगन्माता पार्वती के रूप में सर्वमंगलदायिनी हैं।

श्लोक 3:

ललिता भैरवी शान्ता, अन्नपूर्णा कुलेश्वरी।
वाराही छिन्नमस्ता च, तारा काली सरस्वती ॥

वह ललिता, भैरवी, शांत, अन्नपूर्णा और कुलेश्वरी के रूप में हैं। वाराही, छिन्नमस्ता, तारा, काली और सरस्वती के रूप में उनकी पूजा की जाती है।

श्लोक 4:

जगत् -पूज्या महा-माया, कामेशी भग-मालिनी।
दक्ष-पुत्री शिवांकस्था, शिवरुपा शिवप्रिया ॥

यहां देवी को जगत-पूज्या, महा-माया, कामेशी और भग-मालिनी के रूप में संबोधित किया गया है। वह दक्ष-पुत्री और शिवप्रिया भी हैं, जो शिव के साथ रहने वाली हैं।

श्लोक का विस्तृत अर्थ

श्लोक 5:

सर्व-सम्पत्-करी देवी, सर्व-लोक वशंकरी।
वेद-विद्या महा-पूज्या, भक्ताद्वेषी भयंकरी ॥

यह श्लोक देवी की सर्वसम्पत्तिकारिणी शक्ति और सभी लोकों को वश में करने वाली शक्ति का वर्णन करता है। वह वेदविद्या और महापूज्या हैं, भक्तों के प्रति अत्यधिक स्नेहिल और दुष्टों के लिए भयकारी हैं।

श्लोक 6:

स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च, दुष्ट-स्तम्भन-कारिणी।
भक्त-प्रिया महा-भोगा, श्रीविद्या ललिताम्बिका ॥

देवी को स्तम्भ-रुपा और स्तम्भिनी कहा गया है, जो दुष्टों को नियंत्रित करने वाली हैं। वह भक्तों को प्रिय हैं और महाभोग की प्रतीक श्रीविद्या ललिताम्बिका हैं।

श्लोक 7:

मेना-पुत्री शिवानन्दा, मातंगी भुवनेश्वरी।
नारसिंही नरेन्द्रा च, नृपाराध्या नरोत्तमा ॥

देवी को मैनावती की पुत्री और शिवानंदा कहा गया है। वह मातंगी और भुवनेश्वरी भी हैं। नारसिंही और नरेन्द्रा के रूप में, वह नरोत्तम (श्रेष्ठ पुरुषों) द्वारा पूजा की जाती हैं।

श्लोक 8:

नागिनी नाग-पुत्री च, नगराज-सुता उमा।
पीताम्बरा पीत-पुष्पा च, पीत-वस्त्र-प्रिया शुभा ॥

यहां देवी को नागिनी, नागपुत्री, नगराज की पुत्री उमा, पीताम्बरा और पीत-वस्त्र की प्रिय शुभा के रूप में वर्णित किया गया है।

श्लोक 9:

पीत-गन्ध-प्रिया रामा, पीत-रत्नार्चिता शिवा।
अर्द्ध-चन्द्र-धरी देवी, गदा-मुद्-गर-धारिणी ॥

देवी पीतगन्ध, रामा, पीतरत्नों से अलंकृत शिवा के रूप में वर्णित की गई हैं। वह अर्द्धचन्द्र धारण करने वाली और गदा-मुदगर की धारण करने वाली देवी हैं।

देवी के विविध रूपों का वर्णन

श्लोक 10:

सावित्री त्रि-पदा शुद्धा, सद्यो राग-विवर्द्धिनी।
विष्णु-रुपा जगन्मोहा, ब्रह्म-रुपा हरि-प्रिया ॥

देवी को सावित्री, त्रिपदा, शुद्धा, और विष्णु रूपा कहा गया है। वह ब्रह्मरुपा और हरिप्रिया के रूप में जगन्मोहिनी हैं।

श्लोक 11:

रुद्र-रुपा रुद्र-शक्तिद्दिन्मयी, भक्त-वत्सला।
लोक-माता शिवा सन्ध्या, शिव-पूजन-तत्परा ॥

वह रुद्ररुपा और रुद्रशक्ति से युक्त हैं। भक्तों के प्रति वात्सल्य भाव से युक्त, लोकमाता शिवा हैं और शिव पूजा में तत्पर रहती हैं।

श्लोक 12:

धनाध्यक्षा धनेशी च, धर्मदा धनदा धना।
चण्ड-दर्प-हरी देवी, शुम्भासुर-निवर्हिणी ॥

देवी को धनाध्यक्षा, धनेशी, और धर्मदा कहा गया है। वह चण्ड के अहंकार का नाश करने वाली और शुम्भासुर का संहार करने वाली हैं।

देवी के विभिन्न नाम और शक्तियाँ

श्लोक 13:

राज-राजेश्वरी देवी, महिषासुर-मर्दिनी।
मधु-कैटभ-हन्त्री च, रक्त-बीज-विनाशिनी ॥

देवी को राजराजेश्वरी, महिषासुरमर्दिनी, मधु-कैटभ का संहार करने वाली और रक्तबीज का विनाश करने वाली कहा गया है।

श्लोक 14:

धूम्राक्ष-दैत्य-हन्त्री च, भण्डासुर-विनाशिनी।
रेणु-पुत्री महा-माया, भ्रामरी भ्रमराम्बिका ॥

धूम्राक्ष का संहार करने वाली, भण्डासुर का विनाश करने वाली देवी रेणु-पुत्री महा-माया और भ्रामरी के रूप में वर्णित हैं।

श्लोक 15:

ज्वालामुखी भद्रकाली, बगला शत्र-ुनाशिनी।
इन्द्राणी इन्द्र-पूज्या च, गुह-माता गुणेश्वरी ॥

यहां देवी को ज्वालामुखी, भद्रकाली, बगला और शत्रु-नाशिनी के रूप में बताया गया है। वह इन्द्राणी, इन्द्र द्वारा पूजित और गुह-माता के रूप में गुणेश्वरी हैं।

देवी की विशेष शक्तियाँ और कृपा

श्लोक 16:

वज्र-पाश-धरा देवी, जिह्वा-मुद्-गर-धारिणी।
भक्तानन्दकरी देवी, बगला परमेश्वरी ॥

वह वज्रपाश धारण करने वाली और जिह्वा-मुदगर धारण करने वाली देवी हैं। भक्तों को आनंदित करने वाली और परमेश्वरी के रूप में उनकी पूजा होती है।

फलों का वर्णन

श्लोक 1:

अष्टोत्तरशतं नाम्नां, बगलायास्तु यः पठेत्।
रिप-ुबाधा-विनिर्मुक्तः, लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात् ॥

जो व्यक्ति बगलामुखी देवी के 108 नामों का पाठ करता है, वह शत्रुओं से मुक्त होकर लक्ष्मी का स्थिर लाभ प्राप्त करता है।

श्लोक 2:

भूत-प्रेत-पिशाचाश्च, ग्रह-पीड़ा-निवारणम्।
राजानो वशमायाति, सर्वैश्वर्यं च विन्दति ॥

इस पाठ से भूत, प्रेत, पिशाच और ग्रह पीड़ा का निवारण होता है। इससे राजा भी वश में आते हैं और सर्वसंपत्ति की प्राप्ति होती है।

श्लोक 3:

नाना-विद्यां च लभते, राज्यं प्राप्नोति निश्चितम्।

भुक्ति-मुक्तिमवाप्नोति, साक्षात् शिव-समो भवेत् ॥

इस पाठ से व्यक्ति नाना प्रकार की विद्याओं की प्राप्ति करता है और राज्य भी प्राप्त करता है। भौतिक सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह साक्षात् शिव के समान हो जाता है।

बगलामुखी देवी का महत्त्व और शक्तियाँ

बगलामुखी देवी का परिचय

देवी बगलामुखी हिन्दू धर्म की दस महाविद्याओं में से एक प्रमुख देवी हैं। वह अपने भक्तों को शत्रुओं और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त करती हैं। उनकी पूजा से शत्रुओं का नाश, विवादों का समाधान और सभी प्रकार की विपत्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। बगलामुखी देवी को स्तम्भन की देवी भी कहा जाता है, क्योंकि वह अपने भक्तों के शत्रुओं की वाणी और कार्यों को रोकने की शक्ति प्रदान करती हैं।

बगलामुखी देवी के विभिन्न रूप

1. पीताम्बरा देवी

बगलामुखी देवी को पीले वस्त्र पहनने वाली देवी कहा जाता है। वह पीताम्बरा देवी के रूप में जानी जाती हैं और पीला रंग उनका प्रिय है। यह रंग ज्ञान, शांति और समृद्धि का प्रतीक है।

2. स्तम्भिनी देवी

देवी बगलामुखी को स्तम्भन की देवी कहा जाता है। वह शत्रुओं के कार्यों और वाणी को रोकने की शक्ति रखती हैं। उनकी उपासना से व्यक्ति के शत्रु शांत होते हैं और उसे विजय प्राप्त होती है।

3. श्रीविद्या ललिताम्बिका

बगलामुखी देवी को श्रीविद्या ललिताम्बिका के रूप में भी पूजा जाता है। यह रूप भोग, ऐश्वर्य और आध्यात्मिक ज्ञान की प्रतीक है। उनके इस रूप की साधना से भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

बगलामुखी देवी के विभिन्न नाम

देवी बगलामुखी को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, जो उनकी शक्तियों और गुणों का वर्णन करते हैं:

1. महाविद्या महालक्ष्मी

देवी को महाविद्या और महालक्ष्मी के रूप में माना जाता है। वह ज्ञान और धन की अधिष्ठात्री हैं।

2. श्रीमत् त्रिपुरसुन्दरी

वह त्रिपुरसुन्दरी के रूप में भी जानी जाती हैं, जो सौंदर्य और करुणा की प्रतीक हैं। यह नाम त्रिलोक की सुन्दरी देवी को संदर्भित करता है।

3. भुवनेशी जगन्माता

वह भुवनेशी के रूप में समस्त संसार की माता हैं। उनकी इस शक्ति से सम्पूर्ण जगत् की रक्षा होती है।

4. शिवरुपा शिवप्रिया

देवी को शिवरुपा और शिवप्रिया के रूप में संबोधित किया जाता है। वह शिव के समान स्वरूप वाली और शिव को प्रिय हैं।

बगलामुखी देवी की पूजा का महत्त्व

1. शत्रुनाश और बाधा निवारण

बगलामुखी देवी की पूजा से व्यक्ति शत्रुओं से मुक्त होता है। उनकी कृपा से विरोधी शांत हो जाते हैं और कार्यों में सफलता मिलती है। वह सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने वाली देवी हैं।

2. विवादों का समाधान

देवी की उपासना से कानूनी मामलों, विवादों और झगड़ों में विजय प्राप्त होती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को न्याय मिलता है और शांति बनी रहती है।

3. धन और समृद्धि

बगलामुखी देवी की कृपा से भक्त को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। उनकी उपासना से व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व और संतुलन आता है।

बगलामुखी देवी की पूजा विधि

1. पीले वस्त्र धारण करें

बगलामुखी देवी को पीला रंग अति प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में पीले वस्त्र पहनना चाहिए और पीले पुष्पों का उपयोग करना चाहिए।

2. पीला चंदन और हल्दी का तिलक करें

देवी को प्रसन्न करने के लिए पीले चंदन और हल्दी का तिलक करना चाहिए। यह उनकी कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी होता है।

3. देवी के मंत्रों का जाप करें

बगलामुखी देवी के निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना चाहिए:

“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”

यह मंत्र शत्रुओं के कार्यों को रोकने और विजय प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

बगलामुखी देवी की पूजा के लाभ

1. शत्रुओं से सुरक्षा

देवी की कृपा से शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त होती है। उनके साधक को शत्रु बाधा नहीं पहुंचा सकते।

2. विवादों में विजय

देवी की कृपा से व्यक्ति को कानूनी मामलों और विवादों में विजय प्राप्त होती है। उनकी साधना से न्याय की प्राप्ति होती है।

3. आर्थिक समृद्धि

देवी की पूजा से आर्थिक संकट दूर होते हैं और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वह भक्तों को धन और संपत्ति का आशीर्वाद देती हैं।

4. आत्मिक शांति

बगलामुखी देवी की साधना से व्यक्ति को आत्मिक शांति मिलती है। वह सभी प्रकार के मानसिक तनावों को दूर करती हैं और साधक को मनोबल प्रदान करती हैं।

बगलामुखी देवी के नामों का पाठ और उसका फल

1. शत्रुओं से मुक्ति

जो व्यक्ति देवी के 108 नामों का पाठ करता है, वह शत्रुओं की बाधाओं से मुक्त हो जाता है।

2. लक्ष्मी की प्राप्ति

देवी के नामों का पाठ करने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

3. भूत-प्रेत और पिशाच से रक्षा

देवी के नामों का पाठ करने से भूत-प्रेत और पिशाच जैसी अदृश्य शक्तियों से रक्षा होती है।

4. राजाओं को वश में करना

देवी के नामों का पाठ करने से व्यक्ति को राजसत्ता का सहयोग मिलता है। वह राजाओं को भी अपने वश में कर सकता है।

5. शैक्षिक सफलता

जो व्यक्ति देवी की कृपा प्राप्त करता है, उसे विभिन्न विद्याओं में सफलता प्राप्त होती है। वह सभी प्रकार की शिक्षा और ज्ञान में निपुण होता है।

उपसंहार

बगलामुखी देवी की पूजा से शत्रु नाश, विवाद समाधान और समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनकी साधना से व्यक्ति को आत्मिक शांति, आत्मविश्वास और विजय का आशीर्वाद मिलता है। देवी की कृपा से साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है। उनकी उपासना से भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति दोनों ही प्राप्त होती हैं।

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