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- – यह कविता गणपति देव और उनके परिवार की महिमा का वर्णन करती है, जिसमें उन्हें बड़ा मतवाला और बुद्धि देने वाला बताया गया है।
- – शंकर जी और पार्वती जी के पुत्र के रूप में गणपति देव का सम्मान किया गया है।
- – कवि ने अपने जीवन के कठिनाइयों और कर्मों के जाल से उबारने के लिए गणपति से आशीर्वाद माँगा है।
- – चार युगों में गणपति की पूजा और उनके ज्ञान का प्रकाश फैलाने का उल्लेख किया गया है।
- – पदमगुरुजी और लाडूरामजी जैसे संतों का भी सम्मान किया गया है, जो गांव गोरख्या से संबंधित हैं।
- – यह कविता भेरू पुरी सोपुरा द्वारा गाई गई है, जो अपने क्षेत्र के लोकगीतों और भजनों के लिए प्रसिद्ध हैं।

आदअन्त करूं थांकी सिवरणा,
जूगा-जूंगा आपकी सिवरणा,
मारा खोलो गिगन घर ताला,
गणपत देव बड़ा मतवाला।।
आपने सिवंरिया अगम की सुजे,
सुद्धबुद्ध देबा वाला,
शंकर जी का लाल कुवाया,
पार्वती जी का बाला।।
प्रथम नमन करूं आपने,
कांटों करमां का जाला,
सिर पर हाथ धरो मेरे दाता,
रिद्धि-सिद्धि देबा वाला।।
चार जूगां में अगम पुजाया,
जागिया गुरूजी का बाला,
जाणिया जो तो करणी करग्या,
जाके घट में होग्या ऊजाला।।
पदमगुरूजी परवाणी मिलिया,
लाडूरामजी का बाला,
गुर्जर गरीबीऊं कनीरामजी बोले,
गांव गोरख्या वाला।।
गायक – भेरू पुरी सोपुरा।
9928006102
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