- – यह गीत राजस्थानी लोक संस्कृति और त्योहारों की जीवंतता को दर्शाता है, जिसमें रुणी के घोड़ले (घोड़े) की महत्ता बताई गई है।
- – गीत में पारंपरिक संगीत वाद्यों जैसे झीणा, घूघरा और जोरदार बाजे की चर्चा है, जो उत्सव की रौनक बढ़ाते हैं।
- – बाबा, भक्त और दरजी जैसे पात्रों का उल्लेख है, जो सामाजिक और धार्मिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं।
- – गीत में जोधाणा, भाकर मसुरिये जैसे स्थानों का जिक्र है, जो स्थानीय सांस्कृतिक परिवेश को उजागर करते हैं।
- – भक्तों द्वारा गुणगान और भजन-कीर्तन का वर्णन है, जो धार्मिक आस्था और भक्ति भावना को प्रकट करता है।
- – यह गीत राजस्थान की पारंपरिक लोकधुनों और त्योहारों की खुशियों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है।
अरे रे रे घूमे रे रुणीचे थारो घोड़लो,
झीणा झीणा घूघरा,
रुणीचे बाजे जोर का,
लीले री सवारी आवे,
लागे घणा फूटरा,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।।
आकाशा उड़ावे बाबा,
कपडे रो घोड़लो,
दर्जी पूकारे अर्जी,
बाबा पाछो मोड़लो,
अरे रे रे घूमे रे,
आकाशा थारो घोड़लो,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।।
पाला पाला जावस्या,
बाबे रा गुण गावस्या,
रुणीचा रा मेला माई,
धोक लगावस्या,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।।
धोली धोली धज्जा हाथ,
जोधाणे में जावस्या,
भाकर मसुरिये में,
धोक लगावस्या,
अरे रे रे घूमे रे,
जोधाणे थारो घोड़लो,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।।
भगत घणेरा आवे,
शीश नवावता,
पाला पाला आवे बाबा,
गुण थारा गावत,
अरे रे रे घूमे रे,
भगता रे हेले घोड़लो,
अरे रे रे घूमे रे,
भगता रे हेले घोड़लो।।
नेनो रे देवासी थारा,
भजन बणावता,
लाल सिंह राव गुण,
नरेन्द्र गावता,
अरे रे रे गावे रे,
अनिल थारो घोड़लो,
अरे रे रे गावे रे,
अनिल थारो घोड़लो।
अरे रे रे गावे रे,
आ सोनू थारो घोड़लो,
अरे रे रे गावे रे,
पूखराज थारो घोड़लो।।
झीणा झीणा घूघरा,
रुणीचे बाजे जोर का,
लीले री सवारी आवे,
लागे घणा फूटरा,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।।
अरे रे रे घूमे रे रुणीचे थारो घोड़लो,
https://youtu.be/LL19TSlw8wA
