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दीप प्रज्वलन मंत्र: शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम्: Deep Prajwalan Mantra (Lyrics, Meaning, Hindi, English, PDF)

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दीप प्रज्वलन मंत्र in Hindi/Sanskrit

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तुते ॥

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन: ।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते ॥

Deep Prajwalan Mantra in English

Subham Karoti Kalyanam Arogyam Dhana Sampadah
Shatru Buddhi Vinashaya Deepa Jyoti Namostute

Diipa-Jyotih Para-Brahma Diipa-Jyotir-Janaardanah |
Diipo Haratu Me Paapam Diipa-Jyotir-Namostute ||

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दीप प्रज्वलन मंत्र: शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् का अर्थ

यह श्लोक दो भागों में विभाजित है और दीपक की पूजा और महत्ता को दर्शाता है। इस श्लोक का भावार्थ और विस्तृत विवरण इस प्रकार है:

भाग 1:

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तुते ॥

इस श्लोक का अर्थ है:

  • शुभं करोति: दीपक शुभ कार्यों का आरंभ करता है।
  • कल्याणम्: यह कल्याण और भलाई की प्राप्ति कराता है।
  • आरोग्यम्: दीपक आरोग्य (स्वास्थ्य) प्रदान करता है।
  • धनसंपदा: यह धन और संपत्ति की प्राप्ति में सहायक होता है।
  • शत्रुबुद्धिविनाशाय: यह शत्रुओं के दुष्ट विचारों का विनाश करता है।
  • दीपज्योति नमोऽस्तुते: ऐसी दीपज्योति को मेरा नमन है।

इस श्लोक में दीपक को सम्मानित किया गया है जो व्यक्ति के जीवन में शुभता, कल्याण, स्वास्थ्य, और धन संपदा लाता है। साथ ही, यह शत्रुओं की बुरी बुद्धि का नाश करता है।

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भाग 2:

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन: ।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते ॥

इस श्लोक का अर्थ है:

  • दीपो ज्योति परं ब्रह्म: दीपक की ज्योति परब्रह्म (अर्थात् सर्वोच्च ईश्वर) के समान है।
  • दीपो ज्योतिर्जनार्दन: दीपक की ज्योति भगवान विष्णु (जनार्दन) का स्वरूप है।
  • दीपो हरतु मे पापं: दीपक मेरी पापों को दूर कर दे।
  • संध्यादीप नमोऽस्तुते: संध्याकाल (शाम) के समय प्रज्वलित दीपक को मेरा नमन है।

इस श्लोक में दीपक को परमब्रह्म (सर्वोच्च ईश्वर) के रूप में माना गया है और उसकी पूजा की गई है। दीपक को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा गया है जो हमारे पापों का नाश करता है। यह श्लोक संध्या समय दीपक की पूजा के महत्व को भी दर्शाता है, जिसे नमन किया जाता है।

संक्षेप में:

इन श्लोकों में दीपक को ईश्वर का प्रतीक माना गया है और उसकी पूजा करने से व्यक्ति को शुभ, स्वास्थ्य, धन, और पापों से मुक्ति मिलती है। यह श्लोक दीपक के प्रति हमारे आदर और श्रद्धा को प्रकट करता है, जो हमारी जीवन यात्रा में प्रकाश और मार्गदर्शन प्रदान करता है।

दीप प्रज्वलन मंत्र: शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् का महत्व

हिंदू संस्कृति में दीप प्रज्वलन का अत्यंत महत्व है। हर शुभ कार्य की शुरुआत दीप जलाकर की जाती है, जो ज्ञान, शांति और समृद्धि का प्रतीक है। दीप से केवल प्रकाश ही नहीं, बल्कि जीवन में शुभता, कल्याण, और आरोग्य की कामना भी की जाती है। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए दीप जलाना बेहद शुभ माना गया है। आइए, इस मंत्र के अर्थ, महत्व और लाभों को विस्तार से समझते हैं।

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मंत्र का महत्व:

यह दीप प्रज्वलन मंत्र हमारे जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है। इसके उच्चारण से न केवल वातावरण शुद्ध होता है, बल्कि मानसिक शांति और स्थिरता भी प्राप्त होती है। दीपक का प्रकाश अज्ञान के अंधकार को मिटाने का प्रतीक है और हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

दीप प्रज्वलन के लाभ:

  1. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: दीप प्रज्वलन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  2. स्वास्थ्य और कल्याण: इस मंत्र का नियमित उच्चारण करने से मन शांत रहता है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. धन और समृद्धि: दीप प्रज्वलन से लक्ष्मी का आगमन होता है, जिससे परिवार में समृद्धि और खुशहाली आती है।
  4. विघ्नों का नाश: यह मंत्र हमारे जीवन के विघ्नों और बाधाओं को दूर करता है और हमें एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

दीप प्रज्वलन की विधि:

  1. सबसे पहले एक साफ स्थान पर दीपक रखें और उसमें शुद्ध घी या तेल डालें।
  2. एक रुई की बाती बनाकर उसे दीपक में रखें।
  3. मंत्र का उच्चारण करते हुए दीपक को प्रज्वलित करें।
  4. प्रार्थना करें कि इस दीप से आपके जीवन में शुभता, कल्याण और आरोग्य का संचार हो।

निष्कर्ष:

इस मंत्र का नियमित जाप हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाता है। इसे प्रतिदिन या विशेष अवसरों पर उच्चारित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति होती है।

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