गंगा अष्टोत्तर-शतनामस्तोत्र – नामावली in Hindi/Sanskrit
ॐ गंगायै नमः ।
ॐ विष्णुपादसंभूतायै नमः ।
ॐ हरवल्लभायै नमः ।
ॐ हिमाचलेन्द्रतनयायै नमः ।
ॐ गिरिमण्डलगामिन्यै नमः ।
ॐ तारकारातिजनन्यै नमः ।
ॐ सगरात्मजतारकायै नमः ।
ॐ सरस्वतीसमयुक्तायै नमः ।
ॐ सुघोषायै नमः । 10
ॐ सिन्धुगामिन्यै नमः ।
ॐ भागीरत्यै नमः ।
ॐ भाग्यवत्यै नमः ।
ॐ भगीरतरथानुगायै नमः ।
ॐ त्रिविक्रमपदोद्भूतायै नमः ।
ॐ त्रिलोकपथगामिन्यै नमः ।
ॐ क्षीरशुभ्रायै नमः ।
ॐ बहुक्षीरायै नमः ।
ॐ क्षीरवृक्षसमाकुलायै नमः । 20
ॐ त्रिलोचनजटावासायै नमः ।
ॐ ऋणत्रयविमोचिन्यै नमः ।
ॐ त्रिपुरारिशिरःचूडायै नमः ।
ॐ जाह्नव्यै नमः ।
ॐ नरकभीतिहृते नमः ।
ॐ अव्ययायै नमः ।
ॐ नयनानन्ददायिन्यै नमः ।
ॐ नगपुत्रिकायै नमः ।
ॐ निरञ्जनायै नमः ।
ॐ नित्यशुद्धायै नमः ।
ॐ नीरजालिपरिष्कृतायै नमः । 30
ॐ सावित्र्यै नमः ।
ॐ सलिलावासायै नमः ।
ॐ सागरांबुसमेधिन्यै नमः ।
ॐ रम्यायै नमः ।
ॐ बिन्दुसरसे नमः ।
ॐ अव्यक्तायै नमः ।
ॐ अव्यक्तरूपधृते नमः ।
ॐ उमासपत्न्यै नमः ।
ॐ शुभ्राङ्गायै नमः ।
ॐ श्रीमत्यै नमः । 40
ॐ धवलांबरायै नमः ।
ॐ आखण्डलवनवासायै नमः ।
ॐ कंठेन्दुकृतशेकरायै नमः ।
ॐ अमृताकारसलिलायै नमः ।
ॐ लीलालिंगितपर्वतायै नमः ।
ॐ विरिञ्चिकलशावासायै नमः ।
ॐ त्रिवेण्यै नमः ।
ॐ त्रिगुणात्मकायै नमः ।
ॐ संगत अघौघशमन्यै नमः ।
ॐ भीतिहर्त्रे नमः । 50
ॐ शंखदुंदुभिनिस्वनायै नमः ।
ॐ भाग्यदायिन्यै नमः ।
ॐ नन्दिन्यै नमः ।
ॐ शीघ्रगायै नमः ।
ॐ शरण्यै नमः ।
ॐ शशिशेकरायै नमः ।
ॐ शाङ्कर्यै नमः ।
ॐ शफरीपूर्णायै नमः ।
ॐ भर्गमूर्धकृतालयायै नमः ।
ॐ भवप्रियायै नमः । 60
ॐ सत्यसन्धप्रियायै नमः ।
ॐ हंसस्वरूपिण्यै नमः ।
ॐ भगीरतभृतायै नमः ।
ॐ अनन्तायै नमः ।
ॐ शरच्चन्द्रनिभाननायै नमः ।
ॐ ओंकाररूपिण्यै नमः ।
ॐ अनलायै नमः ।
ॐ क्रीडाकल्लोलकारिण्यै नमः ।
ॐ स्वर्गसोपानशरण्यै नमः ।
ॐ सर्वदेवस्वरूपिण्यै नमः । 70
ॐ अंबःप्रदायै नमः ।
ॐ दुःखहन्त्र्यैनमः ।
ॐ शान्तिसन्तानकारिण्यै नमः ।
ॐ दारिद्र्यहन्त्र्यै नमः ।
ॐ शिवदायै नमः ।
ॐ संसारविषनाशिन्यै नमः ।
ॐ प्रयागनिलयायै नमः ।
ॐ श्रीदायै नमः ।
ॐ तापत्रयविमोचिन्यै नमः ।
ॐ शरणागतदीनार्तपरित्राणायै नमः । 80
ॐ सुमुक्तिदायै नमः ।
ॐ पापहन्त्र्यै नमः ।
ॐ पावनाङ्गायै नमः ।
ॐ परब्रह्मस्वरूपिण्यै नमः ।
ॐ पूर्णायै नमः ।
ॐ पुरातनायै नमः ।
ॐ पुण्यायै नमः ।
ॐ पुण्यदायै नमः ।
ॐ पुण्यवाहिन्यै नमः ।
ॐ पुलोमजार्चितायै नमः । 90
ॐ भूदायै नमः ।
ॐ पूतत्रिभुवनायै नमः ।
ॐ जयायै नमः ।
ॐ जंगमायै नमः ।
ॐ जंगमाधारायै नमः ।
ॐ जलरूपायै नमः ।
ॐ जगद्धात्र्यै नमः ।
ॐ जगद्भूतायै नमः ।
ॐ जनार्चितायै नमः ।
ॐ जह्नुपुत्र्यै नमः । 100
ॐ जगन्मात्रे नमः ।
ॐ जंभूद्वीपविहारिण्यै नमः ।
ॐ भवपत्न्यै नमः ।
ॐ भीष्ममात्रे नमः ।
ॐ सिक्तायै नमः ।
ॐ रम्यरूपधृते नमः ।
ॐ उमासहोदर्यै नमः ।
ॐ अज्ञानतिमिरापहृते नमः । 108
Ganga Ashtottar Shatnam Stotra in English
Om Gangayai Namah
Om Vishnupadasambhutayai Namah
Om Haravallabhayai Namah
Om Himachalendratanyayai Namah
Om Girimandalagaminyai Namah
Om Tarakaratijananayai Namah
Om Sagaratmajatarakayai Namah
Om Sarasvatisamyuktayai Namah
Om Sughoshayai Namah
Om Sindhugaminyai Namah
Om Bhagirathyai Namah
Om Bhagyavatyai Namah
Om Bhagiratharathanugayai Namah
Om Trivikramapadodbhutayai Namah
Om Trilokapathagaminyai Namah
Om Kshirashubhrayai Namah
Om Bahukshirayai Namah
Om Kshiravrikshasamakulayai Namah
Om Trilochanajatavashayai Namah
Om Rnatrayavimochinyai Namah
Om Tripurarishirahchudayai Namah
Om Jahnavyai Namah
Om Narakabhitihrite Namah
Om Avyayayai Namah
Om Nayananandadayinyai Namah
Om Nagaputrikayai Namah
Om Niranjanayai Namah
Om Nityashuddhayai Namah
Om Nirajaliparishkritayai Namah
Om Savitryai Namah
Om Salilavashayai Namah
Om Sagarambusamedhinyai Namah
Om Ramyayai Namah
Om Bindusarase Namah
Om Avyaktayai Namah
Om Avyaktarupadhrte Namah
Om Umasapatnyai Namah
Om Shubhrangayai Namah
Om Shrimatyai Namah
Om Dhavalambarayai Namah
Om Akhandalavanavasayai Namah
Om Kanthedukritashekarayai Namah
Om Amritakarasalilayai Namah
Om Lilalingitaparvatayai Namah
Om Virinchikalashavasayai Namah
Om Trivenyai Namah
Om Trigunatmakayai Namah
Om Sangat Aghaughashamanyai Namah
Om Bhitihartre Namah
Om Shankhadundubhinisvanayai Namah
Om Bhagyadayinyai Namah
Om Nandinyai Namah
Om Shighragayai Namah
Om Sharanyai Namah
Om Shashishekarayai Namah
Om Shankaryai Namah
Om Shapharipurnayai Namah
Om Bhargamurdhakritalayayai Namah
Om Bhavapriyayai Namah
Om Satyasandhapriyayai Namah
Om Hansasvarupinyai Namah
Om Bhagirathabhrtayai Namah
Om Anantayai Namah
Om Sharachandranibhananayai Namah
Om Omkararupinyai Namah
Om Analayai Namah
Om Kridakallolakarinyai Namah
Om Svargasopanasharanyai Namah
Om Sarvadevasvarupinyai Namah
Om Ambahpradayai Namah
Om Dukhahantre Namah
Om Shantisantanakarinyai Namah
Om Daridryahantre Namah
Om Shivadayai Namah
Om Sansaravishanashinyai Namah
Om Prayaganilayayai Namah
Om Shridayayai Namah
Om Tapatrayavimochinyai Namah
Om Sharanyagatadinartaparitranayai Namah
Om Sumuktidayai Namah
Om Papahantre Namah
Om Pavanangayai Namah
Om Parabrahmasvarupinyai Namah
Om Purnayai Namah
Om Puratanayai Namah
Om Punyayai Namah
Om Punyadayai Namah
Om Punyavahinyai Namah
Om Pulomajarachitayai Namah
Om Bhudayayai Namah
Om Putatribhavanayai Namah
Om Jayayai Namah
Om Jangamayai Namah
Om Jangamadharayai Namah
Om Jalarupayai Namah
Om Jagaddhatryai Namah
Om Jagadbhutayai Namah
Om Janarchitayai Namah
Om Jahnuputryai Namah
Om Jaganmatre Namah
Om Jambudvipaviharinyai Namah
Om Bhavapatnyai Namah
Om Bhishmamatre Namah
Om Siktayai Namah
Om Ramyarupadhrte Namah
Om Umasahodaryai Namah
Om Ajnanatimirapahrte Namah
गंगा अष्टोत्तर-शतनामस्तोत्र – नामावली PDF Download
गंगा स्तुति: 108 नाम का अर्थ
ॐ गंगायै नमः ।
अर्थ: मैं देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा पवित्रता और शुद्धता की प्रतीक हैं, जो समस्त जीवों के पापों का नाश करती हैं और मोक्ष प्रदान करती हैं।
ॐ विष्णुपादसंभूतायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ, जो भगवान विष्णु के चरणों से प्रकट हुई हैं। यह गंगा की उत्पत्ति की पवित्रता और दिव्यता को दर्शाता है।
ॐ हरवल्लभायै नमः ।
अर्थ: मैं हर (भगवान शिव) की प्रिय देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। यह नाम गंगा और शिव के संबंध को दर्शाता है।
ॐ हिमाचलेन्द्रतनयायै नमः ।
अर्थ: मैं हिमालय के राजा की पुत्री गंगा को प्रणाम करता हूँ। यह गंगा के पर्वतीय उत्पत्ति को संदर्भित करता है।
ॐ गिरिमण्डलगामिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो पर्वतों के समूह से होकर प्रवाहित होती हैं। यह गंगा के धरातलीय प्रवाह को दर्शाता है।
ॐ तारकारातिजनन्यै नमः ।
अर्थ: मैं देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने तारकासुर के राक्षसों को पराजित करने वाले शूरवीरों को जन्म दिया। यह गंगा की शक्ति और नायकत्व का प्रतीक है।
ॐ सगरात्मजतारकायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने राजा सगर के पुत्रों को तार (मोक्ष) प्रदान किया। यह कथा महाभारत से जुड़ी है जिसमें गंगा ने राजा सगर के पुत्रों का उद्धार किया।
ॐ सरस्वतीसमयुक्तायै नमः ।
अर्थ: मैं देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ, जो देवी सरस्वती के साथ जुड़ी हैं। यह गंगा की बुद्धिमत्ता और शुद्धता को दर्शाता है।
ॐ सुघोषायै नमः ।
अर्थ: मैं देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ, जिनकी धारा की आवाज अत्यंत मधुर है। यह गंगा के पवित्र जल की ध्वनि और संगीतात्मकता का वर्णन करता है।
ॐ सिन्धुगामिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो सिन्धु नदी की ओर प्रवाहित होती हैं। यह गंगा की विशालता और विभिन्न नदियों से मिलन को दर्शाता है।
ॐ भागीरत्यै नमः ।
अर्थ: मैं देवी भागीरथी को प्रणाम करता हूँ, जो राजा भगीरथ के तप से पृथ्वी पर अवतरित हुईं। यह गंगा के धरती पर अवतरण की कथा से जुड़ा है।
ॐ भाग्यवत्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस भाग्यशाली देवी को प्रणाम करता हूँ जो भक्तों को सौभाग्य प्रदान करती हैं। गंगा के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों के जीवन में समृद्धि आती है।
ॐ भगीरतरथानुगायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जिन्होंने भगीरथ के रथ का अनुसरण किया। यह गंगा के राजा भगीरथ द्वारा पृथ्वी पर लाए जाने की कथा को संदर्भित करता है।
ॐ त्रिविक्रमपदोद्भूतायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो भगवान विष्णु के त्रिविक्रम अवतार के पद से उत्पन्न हुई हैं। यह विष्णु के पवित्र चरणों से गंगा के उद्भव का प्रतीक है।
ॐ त्रिलोकपथगामिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) में प्रवाहित होती हैं। गंगा का प्रवाह सभी लोकों तक जाता है।
ॐ क्षीरशुभ्रायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जिनका जल दूध के समान शुद्ध और सफेद है। गंगा की पवित्रता और स्वच्छता को दर्शाता है।
ॐ बहुक्षीरायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जिनके जल में दूध की बहुलता है। यह गंगा के पोषण गुणों और उसकी पवित्रता को इंगित करता है।
ॐ क्षीरवृक्षसमाकुलायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ, जिनके तट पर क्षीरवृक्ष (दूध वाले पेड़) से आच्छादित हैं। गंगा के तट पर प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक है।
ॐ त्रिलोचनजटावासायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो त्रिलोचन (भगवान शिव) की जटा में निवास करती हैं। यह गंगा के शिव की जटाओं में प्रवाहित होने की कथा को दर्शाता है।
ॐ ऋणत्रयविमोचिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो तीन प्रकार के ऋणों से मुक्ति दिलाती हैं। गंगा अपने भक्तों को ऋण (पितृ ऋण, देव ऋण, ऋषि ऋण) से मुक्त करती हैं।
ॐ त्रिपुरारिशिरःचूडायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ, जो त्रिपुरारि (भगवान शिव) के सिर पर आभूषण की तरह शोभा पाती हैं। यह शिव के शीर्ष पर बहने वाली गंगा का प्रतीक है।
ॐ जाह्नव्यै नमः ।
अर्थ: मैं जाह्नवी देवी (जाह्नु ऋषि की पुत्री गंगा) को प्रणाम करता हूँ। यह गंगा की कथा से जुड़ा है, जहां ऋषि जाह्नु ने गंगा को अपने कमंडल में समाहित किया था और बाद में छोड़ दिया।
ॐ नरकभीतिहृते नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ, जो नरक (पापों के फलस्वरूप उत्पन्न पीड़ा) के भय को हर लेती हैं। गंगा अपने भक्तों को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष प्रदान करती हैं।
ॐ अव्ययायै नमः ।
अर्थ: मैं अविनाशी और अजर-अमर देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा का अस्तित्व शाश्वत है और उनका स्वरूप अमर है।
ॐ नयनानन्ददायिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ जो अपने दर्शन से नेत्रों को आनंद प्रदान करती हैं। गंगा का दर्शन भक्तों को शांति और सुख का अनुभव कराता है।
ॐ नगपुत्रिकायै नमः ।
अर्थ: मैं हिमालय की पुत्री गंगा को प्रणाम करता हूँ। यह गंगा के हिमालय में उत्पन्न होने और उनके पर्वतीय संबंध का प्रतीक है।
ॐ निरञ्जनायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो सभी दोषों से परे और शुद्ध हैं। गंगा निर्मल और पवित्रता की प्रतीक हैं।
ॐ नित्यशुद्धायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो सदैव शुद्ध और पवित्र हैं। गंगा का पवित्र जल निरंतर शुद्धिकरण का प्रतीक है।
ॐ नीरजालिपरिष्कृतायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जिनके जल के संपर्क से सबकुछ पवित्र हो जाता है। गंगा का पवित्र जल पापों और अशुद्धियों को दूर करता है।
ॐ सावित्र्यै नमः ।
अर्थ: मैं सावित्री (गायत्री) के समान पवित्र देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। यह गंगा की आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है।
ॐ सलिलावासायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो जल में निवास करती हैं। गंगा अपने प्रवाह के माध्यम से जीवों को शुद्ध करती हैं।
ॐ सागरांबुसमेधिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो सागर के जल में मिलकर उसे पवित्र करती हैं। गंगा का सागर से संगम उनकी महिमा और व्यापकता को दर्शाता है।
ॐ रम्यायै नमः ।
अर्थ: मैं रमणीय और आकर्षक देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा का सौंदर्य और शीतलता मन को प्रसन्न करता है।
ॐ बिन्दुसरसे नमः ।
अर्थ: मैं बिन्दु सरोवर (गंगा के जल स्रोत) की देवी को प्रणाम करता हूँ। यह गंगा की उत्पत्ति और उनकी शुद्धता का प्रतीक है।
ॐ अव्यक्तायै नमः ।
अर्थ: मैं उस अव्यक्त देवी को प्रणाम करता हूँ, जो अदृश्य हैं लेकिन अपने प्रभाव में सर्वव्यापक हैं। गंगा का स्वरूप स्थूल और सूक्ष्म दोनों रूपों में है।
ॐ अव्यक्तरूपधृते नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो अव्यक्त रूप को धारण करती हैं। गंगा का स्वरूप भक्तों के लिए प्रत्यक्ष और अदृश्य दोनों रूपों में उपस्थित है।
ॐ उमासपत्न्यै नमः ।
अर्थ: मैं देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ, जो उमा (पार्वती) के समान शिव की संगिनी हैं। यह गंगा और पार्वती के शिव से संबंध का प्रतीक है।
ॐ शुभ्राङ्गायै नमः ।
अर्थ: मैं शुभ्र (श्वेत) अंगों वाली देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा का पवित्र जल दूध के समान सफेद और शुद्ध है।
ॐ श्रीमत्यै नमः ।
अर्थ: मैं समृद्ध और श्री (धन्य) देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा अपने भक्तों को समृद्धि और शांति प्रदान करती हैं।
ॐ धवलांबरायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो सफेद वस्त्र धारण करती हैं। यह गंगा की शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है।
ॐ आखण्डलवनवासायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो अखंड वनवास करती हैं, अर्थात् गंगा के तट पर वनस्पति का अखंड प्रवाह है। यह गंगा के तट की प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली को दर्शाता है।
ॐ कंठेन्दुकृतशेकरायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ, जो चंद्रमा के समान सुशोभित हैं और भगवान शिव के कंठ में स्थित हैं। यह गंगा के शिव के साथ संबंध को दर्शाता है।
ॐ अमृताकारसलिलायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जिनका जल अमृत के समान है। गंगा का जल अमरत्व और पवित्रता का प्रतीक है।
ॐ लीलालिंगितपर्वतायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो पर्वतों को अपनी लीलाओं से आलिंगित करती हैं। गंगा पर्वतों के बीच से बहती हैं, और यह उनके प्रवाह की सुंदरता को दर्शाता है।
ॐ विरिञ्चिकलशावासायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो ब्रह्मा के कमंडल में स्थित हैं। यह गंगा के ब्रह्मा के साथ संबंध और उनकी पवित्रता को दर्शाता है।
ॐ त्रिवेण्यै नमः ।
अर्थ: मैं त्रिवेणी संगम की देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम को त्रिवेणी कहते हैं, जो पवित्र तीर्थ स्थल है।
ॐ त्रिगुणात्मकायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ, जो तीनों गुणों (सत्त्व, रजस और तमस) से युक्त हैं। गंगा इन तीनों गुणों को संतुलित करती हैं और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती हैं।
ॐ संगत अघौघशमन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो पापों के समूह का शमन करती हैं। गंगा का स्नान और उनका जल पापों से मुक्ति दिलाता है।
ॐ भीतिहर्त्रे नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो भय को हरती हैं। गंगा का स्मरण और उनका आशीर्वाद भय और संकट को दूर करता है।
ॐ शंखदुंदुभिनिस्वनायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ, जिनके प्रवाह की ध्वनि शंख और दुंदुभि (बड़े नगाड़े) के समान गूंजती है। यह गंगा की धारा की शक्ति और गंभीरता को दर्शाता है।
ॐ भाग्यदायिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो सौभाग्य प्रदान करती हैं। गंगा के दर्शन, स्नान और पूजन से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सौभाग्य आता है।
ॐ नन्दिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं आनंदमयी देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा का जल जीवन में प्रसन्नता और आनंद भरता है।
ॐ शीघ्रगायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो शीघ्र गति से बहती हैं। गंगा की धारा का प्रवाह तीव्र है और यह जीवन में ऊर्जा और गति का प्रतीक है।
ॐ शरण्यै नमः ।
अर्थ: मैं शरण देने वाली देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। जो भी गंगा की शरण में आता है, उसे सुरक्षा, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ॐ शशिशेकरायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो भगवान शिव के साथ, जिनके मस्तक पर चंद्रमा है, निवास करती हैं। यह गंगा और शिव के गहरे संबंध का प्रतीक है।
ॐ शाङ्कर्यै नमः ।
अर्थ: मैं शंकर (शिव) की प्रिय देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा का शिव से संबंध उनकी महिमा और दिव्यता को बढ़ाता है।
ॐ शफरीपूर्णायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो शफरी मछलियों से भरी हुई हैं। गंगा के पवित्र जल में जीवन का निवास है, जो जीवंतता और प्रचुरता का प्रतीक है।
ॐ भर्गमूर्धकृतालयायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जिनका निवास भगवान भर्ग (शिव) के सिर पर है। यह गंगा के शिव की जटाओं में प्रवाहित होने की कथा का प्रतीक है।
ॐ भवप्रियायै नमः ।
अर्थ: मैं भव (शिव) की प्रिय देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। यह गंगा और शिव के मधुर संबंध को दर्शाता है।
ॐ सत्यसन्धप्रियायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो सत्य का पालन करने वाले भक्तों को प्रिय हैं। गंगा सत्य और धर्म का प्रतीक हैं, और उनके भक्तों को सच्चाई की राह पर चलना चाहिए।
ॐ हंसस्वरूपिण्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो हंस के स्वरूप में हैं। हंस ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक है, और गंगा इस ज्ञान को समस्त जगत को प्रदान करती हैं।
ॐ भगीरतभृतायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जिन्हें भगीरथ ने अपनी तपस्या से पृथ्वी पर लाया। यह गंगा के अवतरण की पौराणिक कथा से जुड़ा है।
ॐ अनन्तायै नमः ।
अर्थ: मैं अनंत और असीमित देवी गंगा को प्रणाम करता हूँ। गंगा का प्रवाह अनंत काल तक चलता है, और वह असीमित शक्ति और कृपा की धारक हैं।
ॐ शरच्चन्द्रनिभाननायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जिनका मुख शरद ऋतु के चंद्रमा के समान चमकता है। यह गंगा की दिव्य सुंदरता और शीतलता को दर्शाता है।
ॐ ओंकाररूपिण्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो ओंकार (प्रणव) के रूप में विद्यमान हैं। गंगा की ध्वनि और उनका अस्तित्व सृष्टि के मूल तत्व ओंकार से संबंधित है।
ॐ अनलायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो अग्नि के समान तेजस्वी हैं। गंगा में पवित्रता और शक्ति है, जो जीवन में ऊर्जा और शक्ति का संचार करती हैं।
ॐ क्रीडाकल्लोलकारिण्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो अपने प्रवाह में खेलते हुए लहरें उत्पन्न करती हैं। गंगा की लहरों का क्रीड़ामय प्रवाह जीवन में आनंद और उल्लास का प्रतीक है।
ॐ स्वर्गसोपानशरण्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो स्वर्ग तक पहुंचने के लिए सीढ़ी की तरह शरण देती हैं। गंगा का स्नान और पूजन व्यक्ति को स्वर्ग की ओर ले जाता है।
ॐ सर्वदेवस्वरूपिण्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो सभी देवताओं के स्वरूप में विद्यमान हैं। गंगा सभी देवताओं का आशीर्वाद लेकर प्रवाहित होती हैं और सभी को समाहित करती हैं।
ॐ अंबःप्रदायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो अपने भक्तों को मातृत्व प्रदान करती हैं। गंगा सभी को अपनी ममता से सराबोर करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं।
ॐ दुःखहन्त्र्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो सभी दुःखों का हरण करती हैं। गंगा का स्नान और पूजन भक्तों के जीवन से सभी कष्टों को दूर करता है।
ॐ शान्तिसन्तानकारिण्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो शांति और संतान का आशीर्वाद देती हैं। गंगा की कृपा से व्यक्ति के जीवन में शांति और संतति का सुख मिलता है।
ॐ दारिद्र्यहन्त्र्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो दारिद्र्य (गरीबी) का नाश करती हैं। गंगा की पूजा से व्यक्ति के जीवन से निर्धनता का अंत होता है और समृद्धि आती है।
ॐ शिवदायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो शिव (मंगल) प्रदान करती हैं। गंगा की कृपा से जीवन में कल्याण और सौभाग्य आता है।
ॐ संसारविषनाशिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो संसार के विष का नाश करती हैं। गंगा जीवन के कठिनाइयों और कष्टों का निवारण करती हैं और मोक्ष की राह प्रदान करती हैं।
ॐ प्रयागनिलयायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो प्रयाग (त्रिवेणी संगम) में निवास करती हैं। प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, जो पवित्र तीर्थ है।
ॐ श्रीदायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो श्री (समृद्धि) प्रदान करती हैं। गंगा की कृपा से भक्तों के जीवन में धन-धान्य और समृद्धि का आगमन होता है।
ॐ तापत्रयविमोचिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो तीन प्रकार के तापों (आध्यात्मिक, मानसिक, शारीरिक) से मुक्ति दिलाती हैं। गंगा का पूजन सभी प्रकार के कष्टों को समाप्त करता है।
ॐ शरणागतदीनार्तपरित्राणायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो शरण में आने वाले दीन, दुखी और पीड़ित लोगों की रक्षा करती हैं। गंगा अपने भक्तों की हर प्रकार की पीड़ा का निवारण करती हैं।
ॐ सुमुक्तिदायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो सर्वोच्च मुक्ति प्रदान करती हैं। गंगा का स्नान और उनका स्मरण मोक्ष की ओर ले जाता है।
ॐ पापहन्त्र्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो सभी पापों का नाश करती हैं। गंगा का पवित्र जल और उनका स्मरण सभी पापों को दूर कर शुद्धता प्रदान करता है।
ॐ पावनाङ्गायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जिनका सम्पूर्ण स्वरूप पवित्रता का प्रतीक है। गंगा के पवित्र जल से सम्पूर्ण शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती है।
ॐ परब्रह्मस्वरूपिण्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो परब्रह्म (सर्वोच्च परमात्मा) का स्वरूप हैं। गंगा परम सत्य, ज्ञान और अनंत शक्ति की प्रतीक हैं।
ॐ पूर्णायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो संपूर्णता की प्रतीक हैं। गंगा का अस्तित्व पूर्णता और संतुलन का प्रतीक है, जिससे जीवन में संतोष और शांति आती है।
ॐ पुरातनायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो आदिकाल से विद्यमान हैं। गंगा का स्वरूप शाश्वत है और वे अनंत काल से संसार के लिए कल्याणकारी हैं।
ॐ पुण्यायै नमः ।
अर्थ: मैं उन पुण्यमयी देवी को प्रणाम करता हूँ जो संसार में पुण्य (धार्मिक कर्म) का संचार करती हैं। गंगा का स्नान और उनका पूजन पुण्य प्रदान करता है।
ॐ पुण्यदायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो पुण्य (सद्गुण और धार्मिकता) की दात्री हैं। गंगा अपने भक्तों को उनके अच्छे कर्मों का फल प्रदान करती हैं।
ॐ पुण्यवाहिन्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो पुण्य की वाहक हैं। गंगा का प्रवाह केवल जल का नहीं, बल्कि पुण्य और मोक्ष की धारा का प्रवाह है।
ॐ पुलोमजार्चितायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जिन्हें पुलोमा (इंद्राणी) ने पूजा है। यह गंगा की दिव्यता और उनके प्रति सभी देवताओं की श्रद्धा को दर्शाता है।
ॐ भूदायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो पृथ्वी को जीवन देती हैं। गंगा के प्रवाह से समस्त पृथ्वी पर जीवन और समृद्धि का संचार होता है।
ॐ पूतत्रिभुवनायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) को शुद्ध करती हैं। गंगा का पवित्र जल तीनों लोकों के लिए शुद्धिकारी है।
ॐ जयायै नमः ।
अर्थ: मैं उन विजयी देवी को प्रणाम करता हूँ। गंगा अपने प्रवाह में सभी बाधाओं को पार करते हुए विजयश्री प्राप्त करती हैं और अपने भक्तों को सफलता प्रदान करती हैं।
ॐ जंगमायै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो चलायमान हैं। गंगा का प्रवाह निरंतर गतिशील है और यह जीवन की निरंतरता का प्रतीक है।
ॐ जंगमाधारायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो चलायमान जीवन के आधार हैं। गंगा का प्रवाह समस्त जीवन को गति और स्थिरता प्रदान करता है।
ॐ जलरूपायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जिनका स्वरूप जल है। गंगा जल जीवन का स्रोत है और समस्त जीवों के लिए आवश्यक तत्व है।
ॐ जगद्धात्र्यै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो समस्त संसार की धात्री (पालक) हैं। गंगा समस्त जगत का पोषण करती हैं और जीवन प्रदान करती हैं।
ॐ जगद्भूतायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो संसार की उत्पत्ति का कारण हैं। गंगा के जल से समस्त सृष्टि का निर्माण और पालन होता है।
ॐ जनार्चितायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जिनकी सभी जन (लोग) पूजा करते हैं। गंगा की पूजा समस्त मानवता द्वारा की जाती है, क्योंकि वे मोक्षदायिनी हैं।
ॐ जह्नुपुत्र्यै नमः ।
अर्थ: मैं जाह्नु ऋषि की पुत्री गंगा को प्रणाम करता हूँ। यह कथा से जुड़ा है जहां जाह्नु ऋषि ने गंगा को अपने कमंडल में समाहित किया था और बाद में उन्हें पुत्री के रूप में स्वीकार किया।
ॐ जगन्मात्रे नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो समस्त जगत की माता हैं। गंगा संसार की समस्त जीवात्माओं की जननी हैं और उन्हें पोषण प्रदान करती हैं।
ॐ जंभूद्वीपविहारिण्यै नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जो जंभूद्वीप (भारतवर्ष) में विचरण करती हैं। गंगा भारत की महान नदी हैं और इस पवित्र भूमि में प्रवाहित होती हैं।
ॐ भवपत्न्यै नमः ।
अर्थ: मैं भव (शिव) की पत्नी गंगा को प्रणाम करता हूँ। यह गंगा और शिव के संबंध को दर्शाता है, जो उन्हें दिव्यता और महत्ता प्रदान करता है।
ॐ भीष्ममात्रे नमः ।
अर्थ: मैं भीष्म की माता गंगा को प्रणाम करता हूँ। महाभारत के महान योद्धा भीष्म, गंगा देवी के पुत्र थे, और यह उनका मातृत्व संबंध दर्शाता है।
ॐ सिक्तायै नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो अपने जल से समस्त पृथ्वी को सींचती हैं। गंगा का जल समस्त भूमि को सींचता है और उसे जीवन प्रदान करता है।
ॐ रम्यरूपधृते नमः ।
अर्थ: मैं उन देवी को प्रणाम करता हूँ जिनका स्वरूप अत्यंत रमणीय और सुंदर है। गंगा का प्रवाह और उनका रूप अत्यंत आकर्षक और आनंदमय है।
ॐ उमासहोदर्यै नमः ।
अर्थ: मैं उमा (पार्वती) की सहोदर (बहन) गंगा को प्रणाम करता हूँ। यह गंगा और पार्वती के बीच बहन के रूप में संबंध को दर्शाता है।
ॐ अज्ञानतिमिरापहृते नमः ।
अर्थ: मैं उस देवी को प्रणाम करता हूँ जो अज्ञान के अंधकार को दूर करती हैं। गंगा का स्मरण और उनका पूजन अज्ञानता को समाप्त कर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।