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नंत-संसार समुद्र-तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम् ।
वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥1॥

कवित्व वाराशिनिशाकराभ्यां दौर्भाग्यदावांबुदमालिकाभ्याम् ।
दूरिकृतानम्र विपत्ततिभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥2॥

नता ययोः श्रीपतितां समीयुः कदाचिद-प्याशु दरिद्रवर्याः ।
मूकाश्च वाचस्पतितां हि ताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥3॥

नालीकनीकाश पदाहृताभ्यां नानाविमोहादि-निवारिकाभ्यां ।
नमज्जनाभीष्टततिप्रदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥4॥

नृपालि मौलिव्रजरत्नकांति सरिद्विराजत् झषकन्यकाभ्यां ।
नृपत्वदाभ्यां नतलोक पंक्ते: नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥5॥

पापांधकारार्क परंपराभ्यां तापत्रयाहींद्र खगेश्र्वराभ्यां ।
जाड्याब्धि संशोषण वाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥6॥

शमादिषट्क प्रदवैभवाभ्यां समाधिदान व्रतदीक्षिताभ्यां ।
रमाधवांध्रिस्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥7॥

स्वार्चापराणां अखिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्षधुरंधराभ्यां ।
स्वांताच्छभावप्रदपूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥8॥

कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां विवेकवैराग्य निधिप्रदाभ्यां ।
बोधप्रदाभ्यां दृतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥9॥

श्रीगुरुपादुकाष्टकम्

1. अनंत संसार समुद्र से तारने वाली गुरुपादुकाएँ

अनंत संसार समुद्र-तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम्। वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥1॥

इस श्लोक में गुरु की पादुकाओं को संसार रूपी अनंत समुद्र से पार लगाने वाली नौका के रूप में वर्णित किया गया है। यह गुरुपादुकाएँ हमें भक्ति का मार्ग प्रदान करती हैं, जिससे हम मोक्ष की दिशा में अग्रसर होते हैं। इसके साथ ही, ये पादुकाएँ वैराग्य का साम्राज्य भी प्रदान करती हैं, जो हमें सांसारिक बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाती हैं।

2. कवित्व और सौभाग्य का आश्रय

कवित्व वाराशि निशाकराभ्यां दौर्भाग्य दावांबुद मालिकाभ्याम्। दूरिकृतानम्र विपत्ततिभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥2॥

गुरुपादुकाओं को कवित्व के महासागर की चंद्रमा और दुर्भाग्य के दावानल को शांत करने वाली बादलों की माला के रूप में दर्शाया गया है। ये पादुकाएँ अपने अनुयायियों की समस्त विपत्तियों को दूर करती हैं और उन्हें समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

3. दरिद्रता और मूकता को दूर करने वाली पादुकाएँ

नता ययोः श्रीपतितां समीयुः कदाचिदप्याशु दरिद्रवर्याः। मूकाश्र्च वाचस्पतितां हि ताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥3॥

गुरुपादुकाओं को झुकने वालों के लिए एक अद्भुत वरदान बताया गया है, जो दरिद्रता को समाप्त करती हैं। साथ ही, वे मूक व्यक्ति को भी वाणी का वरदान देती हैं और उसे वाक्चातुर्य प्रदान करती हैं। इस प्रकार ये पादुकाएँ अद्भुत प्रभावशाली हैं, जो अपने अनुयायियों के जीवन में चमत्कार करती हैं।

4. अज्ञान और भ्रम को दूर करने वाली पादुकाएँ

नालीकनीकाश पदाहृताभ्यां नानाविमोहादि निवारिकाभ्यां। नमज्जनाभीष्टततिप्रदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥4॥

इस श्लोक में गुरु की पादुकाओं को अज्ञान और विभिन्न प्रकार के भ्रमों को दूर करने वाली शक्तियों के रूप में वर्णित किया गया है। ये पादुकाएँ अपने भक्तों को इच्छित फल प्रदान करती हैं और उनके जीवन को नई दिशा देती हैं। जो भी इन्हें पूर्ण श्रद्धा से पूजता है, उसकी समस्त इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

5. राजाओं के मुकुट की शोभा बढ़ाने वाली पादुकाएँ

नृपालि मौलिव्रजरत्नकांति सरिद्विराजत् झषकन्यकाभ्यां। नृपत्वदाभ्यां नतलोकपंक्ते: नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥5॥

इस श्लोक में गुरुपादुकाओं को राजाओं के मुकुट में सुशोभित रत्नों के समान बताया गया है। ये पादुकाएँ राजाओं को उनकी शान और गरिमा प्रदान करती हैं। साथ ही, वे अपने अनुयायियों के जीवन में राजसी वैभव और शक्ति का संचार करती हैं।

6. पाप और ताप से मुक्ति देने वाली पादुकाएँ

पापांधकारार्क परंपराभ्यां तापत्रयाहींद्र खगेश्र्वराभ्यां। जाड्याब्धि संशोषण वाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥6॥

गुरुपादुकाओं को पापों के अंधकार को दूर करने वाली और त्रिविध तापों (शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक) से मुक्त करने वाली बताया गया है। वे जड़ता के महासागर को सुखाने वाली हैं, जिससे अनुयायी चेतनावान और प्रबुद्ध हो जाते हैं।

7. शांति और समाधि प्रदान करने वाली पादुकाएँ

शमादिषट्क प्रदवैभवाभ्यां समाधिदान व्रतदीक्षिताभ्यां। रमाधवांध्रिस्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥7॥

इस श्लोक में गुरुपादुकाओं को शांति और समाधि का वैभव प्रदान करने वाली बताया गया है। वे अपने अनुयायियों को गहन ध्यान और व्रत में स्थिरता प्रदान करती हैं। साथ ही, वे श्रीहरि (विष्णु) के चरणों में स्थायी भक्ति का आशीर्वाद देती हैं।

8. इच्छित फल प्रदान करने वाली पादुकाएँ

स्वार्चापराणां अखिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्षधुरंधराभ्यां।
स्वांताच्छभावप्रदपूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥8॥

गुरुपादुकाओं को उन भक्तों के लिए पूजनीय बताया गया है, जो उनकी आराधना करते हैं। ये पादुकाएँ उन सभी को उनकी इच्छाएँ पूर्ण करने का आशीर्वाद देती हैं। स्वाहा (हवन में अर्पण की जाने वाली सामग्री) के साथ की गई पूजा और अनुष्ठान के माध्यम से ये पादुकाएँ भक्तों को शुद्ध और स्वच्छ मन प्रदान करती हैं। इनका पूजन करने से आंतरिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

9. विवेक और वैराग्य का वरदान देने वाली पादुकाएँ

कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां विवेकवैराग्य निधिप्रदाभ्यां।
बोधप्रदाभ्यां दृतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥9॥

गुरुपादुकाओं को काम (इच्छाओं) रूपी सर्प को नियंत्रित करने वाली गरुड़ के रूप में दर्शाया गया है। ये पादुकाएँ अपने भक्तों को विवेक और वैराग्य का अमूल्य खजाना प्रदान करती हैं। साथ ही, वे बोध (ज्ञान) का आशीर्वाद देती हैं, जिससे मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। इनका पूजन शीघ्र मोक्ष की ओर ले जाता है और सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाता है।

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