- – यह कविता आत्मविश्वास और आस्था की भावना को दर्शाती है, जहाँ कवि अपने आधार को “लखदातार” मानता है।
- – कवि को दुनिया की परवाह नहीं है, क्योंकि उसका आधार और सहारा उसके अंदर और उसके विश्वास में है।
- – कविता में जीवन की कठिनाइयों और ठोकरों के बावजूद खुद से जुड़ने और आत्म-स्वीकृति की बात की गई है।
- – कवि का मानना है कि जब “सांवरा” (संभवत: भगवान या प्रियतम) साथ होता है, तो कोई भी मुसीबत उसे हरा नहीं सकती।
- – यह रचना जीवन में आशा, प्रेम और आत्म-शक्ति की महत्ता को उजागर करती है।
- – कवि आदित्य गोयल ‘आदि’ ने इस गीत को लिखा और गाया है, जो सकारात्मकता और आत्म-विश्वास का संदेश देता है।

ये दुनिया वाले क्या जाने,
मेरा आधार लखदातार,
नहीं मुझको कोई दरकार,
मेरां आधार लखदातार,
ये दुनिया वाले क्या जाने।।
तर्ज – निगाहें फेर क्यों बैठे।
नहीं आशा मुझे जग से,
नहीं कोई सिफारिश है,
तुम आ जाओ मेरे दिल में,
बस इतनी सी गुज़ारिश है,
बस इतनी सी गुज़ारिश है,
समझ जायेगी दुनिया भी,
मेरां आधार लखदातार,
ये दुनिया वाले क्या जाने।।
आभारी हूँ मैं उनका भी,
जिन्होंने मारी थी ठोकर,
मिला हूँ आज मैं खुद से,
जगत की भीड़ में खोकर,
जगत की भीड़ में खोकर,
कहूं अब तान कर सीना,
मेरां आधार लखदातार,
ये दुनिया वाले क्या जाने।।
नहीं चिंता ना कोई डर,
सांवरा साथ जब मेरे,
मुसीबत आ नहीं सकती,
है इनका हाथ सिर मेरे,
है इनका हाथ सिर मेरे,
गाये अब झूमकर ‘आदि’,
मेरां आधार लखदातार,
ये दुनिया वाले क्या जाने।।
ये दुनिया वाले क्या जाने,
मेरा आधार लखदातार,
नहीं मुझको कोई दरकार,
मेरां आधार लखदातार,
ये दुनिया वाले क्या जाने।।
Singer & Writer – Aditya Goyal ‘Adi’
