ॐ (Om): यह एक प्राचीन वैदिक मंत्र है, जिसे ब्रह्मांड की ध्वनि या अनाहत नाद कहा जाता है। इसका उच्चारण और ध्यान भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
ओ३म् (Aum): इस रूप में ॐ के तीन अक्षरों (अ, उ, म) का प्रतीकात्मक उच्चारण दर्शाया गया है। इसमें ‘अ’ (आ) से प्रारंभ होता है, ‘उ’ (उ) के साथ जुड़ता है और ‘म’ (म) पर समाप्त होता है। यह ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता), विष्णु (पालक), और महेश (संहारक) के त्रिदेव स्वरूप का प्रतीक भी माना जाता है।
ओम (Om): यह भी ॐ का ही सरल उच्चारण है, जो दैनिक जीवन में या किसी साधना, मंत्र जाप में बहुत ही सहजता से प्रयोग किया जाता है। इसे प्राचीन संस्कृत मंत्रों और उपनिषदों में उल्लेखित किया गया है। ओम का उच्चारण करते समय ध्यान की स्थिति में साधक को अपनी ऊर्जा और चेतना को एकीकृत करने में सहायता मिलती है।
ओमकार (Omkar): ओमकार शब्द का अर्थ है ॐ का रूप या प्रतीक। इसे एक प्रकार का शब्द माना जाता है जो ईश्वर या परमात्मा की अभिव्यक्ति है। ओमकार का उच्चारण या ध्यान व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ता है।
इस प्रकार, ॐ या ओमकार भारतीय संस्कृति, धर्म और आध्यात्मिकता में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण ध्वनि है, जो सृष्टि, पालन, और विनाश के चक्र का प्रतीक है।