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ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ॥

पवमान मंत्र: ॐ असतो मा सद्गमय

यह मंत्र ‘बृहदारण्यक उपनिषद’ से लिया गया है और इसे ‘शांति मंत्र’ के रूप में भी जाना जाता है। इसका अर्थ और व्याख्या निम्नलिखित है:

अर्थ:

  1. असतो मा सद्गमय:
    हे परमात्मा! मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।
    यहाँ ‘असत्’ का अर्थ असत्य, भ्रम या अवास्तविकता है, और ‘सत्’ का अर्थ सत्य, वास्तविकता या परम सत्य है। यह प्रार्थना है कि हमें भ्रम और झूठ से निकालकर सत्य और वास्तविकता की ओर ले जाया जाए।
  2. तमसो मा ज्योतिर्गमय:
    हे प्रभु! मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
    ‘तमस’ का अर्थ अज्ञानता या अंधकार है, जबकि ‘ज्योति’ का अर्थ ज्ञान या प्रकाश है। यह प्रार्थना है कि अज्ञानता के अंधकार से निकलकर ज्ञान के प्रकाश की ओर बढ़ा जाए।
  3. मृत्योर्मामृतं गमय:
    हे भगवान! मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।
    ‘मृत्यु’ का अर्थ शारीरिक, मानसिक और आत्मिक मृत्यु या क्षय है, और ‘अमृत’ का अर्थ अमरता या शाश्वत जीवन है। यह प्रार्थना है कि मृत्यु और नाश से हमें अमरता और अनश्वरता की ओर ले जाया जाए।
  4. ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः:
    हे परमात्मा! हमें सर्वत्र शांति प्रदान करें।
    तीन बार शांति का उच्चारण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार की शांति के लिए किया जाता है। पहला ‘शांति’ बाह्य जगत के कष्टों से शांति के लिए है, दूसरा ‘शांति’ आंतरिक जगत के मनोवैज्ञानिक संघर्षों से शांति के लिए है, और तीसरा ‘शांति’ आत्मा के भीतर की अशांति से मुक्ति के लिए है।

व्याख्या:

यह मंत्र एक गहन प्रार्थना है, जो मनुष्य के अंदर की आत्मा को जागृत करने और सत्य, ज्ञान और अमरता की दिशा में ले जाने की प्रार्थना करता है। यह व्यक्ति को असत्य, अज्ञान और मृत्यु जैसे बंधनों से मुक्त कर सत्य, ज्ञान और अमरता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इस मंत्र का नियमित उच्चारण मन और आत्मा को शांति और सकारात्मकता से भर देता है।

यह मंत्र हमें सिखाता है कि जीवन में सत्य, ज्ञान और अमरता की तलाश करना ही हमारा अंतिम लक्ष्य होना चाहिए, और इसके लिए हमें अपनी आत्मा को शुद्ध करके परमात्मा की ओर अग्रसर होना चाहिए।

ॐ असतो मा सद्गमय महत्त्व

आध्यात्मिक महत्त्व:

यह मंत्र न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व की वास्तविकता को समझने और आत्म-ज्ञान प्राप्त करने की दिशा में एक मार्गदर्शन है। यह हमें सिखाता है कि हम केवल बाहरी चीजों में ही नहीं, बल्कि अपने अंदर की ओर भी देखें, जहां सत्य, ज्ञान और अमरता का अनुभव होता है।

व्यावहारिक दृष्टिकोण:

इस मंत्र का नियमित जाप या ध्यान करने से मानसिक शांति, आंतरिक संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह हमें जीवन के कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने के लिए शक्ति प्रदान करता है और हमें सत्य, प्रकाश और अमरता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

इस प्रकार, यह मंत्र एक साधारण प्रार्थना से कहीं अधिक है; यह एक जीवन जीने की कला और दर्शन है, जो हमें वास्तविक सत्य की खोज की ओर ले जाता है।

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