- – गीत में प्रेमी अपनी आत्मा की आज़ादी और अपने प्रिय से बंधन तोड़ने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – प्रेमी का दिल अपने प्रिय के चरणों में समर्पित है, लेकिन अब वह अपने जज़्बातों को मुक्त करना चाहता है।
- – गीत में प्रेमी की बेचैनी और तड़प साफ झलकती है, जो अपने प्यार की पूर्णता चाहता है।
- – बार-बार दोहराए गए शब्द “पिया तोड़ दो बंधन आज” प्रेमी की आत्मा की आज़ादी की पुकार हैं।
- – प्रेमी अपने दर्द और उम्मीदों के बीच उलझा हुआ है, और अब वह अपने प्यार के साथ मिलना चाहता है।

पिया तोड़ दो बंधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया दिल की यही आवाज,
पिया दिल की यही आवाज,
की अब रूह चलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बंधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।
तर्ज – आ लौट के आजा मेरे मीत।
आस उम्मीद सब तुमपे रखी,
मुझमे नहीं है कुछ भी मेरा,
कबसे रखा दिल चरणों में तेरे,
प्यार का जाम कहाँ है तेरा,
अब देर ना कर भरतार,
अब देर ना कर भरतार,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बँधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।
आशिक पिया के वो ही है जलते,
जो होंठो पे रखते है ताले,
आई लहर जो मस्ती भरी फिर,
दिल सम्भले ना लाख सम्हाले,
मेरे वश में नहीं जज्बात,
मेरे वश में नहीं जज्बात,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बँधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।
तड़पेंगे यहां कबतक बता दो,
दर्द दिया अब तुम्ही दवा दो,
अधर सुधा रस अब तो पीला दो,
यही दर्द बस यही दवा दो,
कर भी लो बाँह पसार,
कर भी लो बाँह पसार,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बँधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।
पिया तोड़ दो बंधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया दिल की यही आवाज,
पिया दिल की यही आवाज,
की अब रूह चलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बँधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।
