- – गीत में राधे और कान्हा के बीच प्रेम और माखन खाने को लेकर मस्ती भरे संवाद प्रस्तुत किए गए हैं।
- – राधे कान्हा से दही माखन खिलाने की विनती करती है और उसे परेशान न करने को कहती है।
- – कान्हा माखन न मिलने पर शरारती अंदाज में राधे को सताने की बात करता है।
- – गीत में वंशी (बांसुरी) की मधुर धुन और माखन का महत्व भी दर्शाया गया है।
- – सचिन निगम द्वारा प्रस्तुत यह गीत प्रेम और हंसी-मजाक से भरपूर है, जो पारंपरिक भावनाओं को जीवंत करता है।

राधे मान जा,
खिला दे दही माखन,
सता ना ओ राधें मान जा,
ना ना कान्हा आज ना,
सुनाई नही बंसी,
ना ना कान्हा आज ना।।
अब तो ना कान्हा माखन,
ऐसे खिलाऊंगी,
वंशी सुनाओ या तो,
दाम लगाऊंगी,
ओ मेरी प्यारी लल्ली,
लेके मटकी चली,
राधें मान जा,
खिला दे दही माखन,
सता ना राधें मान जा।।
हमको ना दोगी माखन,
छीन मैं खाऊंगा,
रास्ते मे आते जाते,
तुमको सताउंगा,
फिर बुलाना सखी,
किसी की अब न चली,
राधें मान जा,
खिला दे दही माखन,
सता ना राधें मान जा।।
जिद अब करो न लल्ला,
माँ से कहूंगी,
जो मेरे मन को भाती,
वंशी सुनूंगी,
रोकूंगा न गली,
ओ वृषभानु लली,
राधें मान जा,
खिला दे दही माखन,
सता ना राधें मान जा।।
जब भी कहोगी राधे,
वंशी सुनाऊंगा,
थोड़ा सा माखन देना,
घर को मैं जाऊंगा,
सचिन ने भी कही,
ओ मेरी राधे लल्ली,
जरा सा मान जा,
खिला दे दही माखन,
सता ना राधें मान जा।।
राधे मान जा,
खिला दे दही माखन,
सता ना ओ राधें मान जा,
ना ना कान्हा आज ना,
सुनाई नही बंसी,
ना ना कान्हा आज ना।।
गायक / प्रेषक – सचिन निगम।
8756825076
