- – यह गीत सावन के मौसम में भगवान भोलेनाथ (शिव) के दर्शन और कांवड़ यात्रा की महिमा को दर्शाता है।
- – गीत में भोलेनाथ की कृपा से जीवन में आई खुशहाली और समृद्धि का वर्णन है।
- – कांवड़ लेकर भोले के दर जाने और “बम बम” का जयकारा लगाने की भावना व्यक्त की गई है।
- – परिवार की खुशहाली और कठिनाइयों से उबरने की कहानी भी गीत में शामिल है।
- – सावन के महीने में शिव भक्तों की भक्ति और उत्साह का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया है।

सावन की पड़ी फुहार,
मेरे यार,
चल भोले के दर जायेंगे,
चल बाबा के दर जायेंगे,
कांधे पर कांवर लाएंगे,
शिव शंकर से दातार,
चल हर बम बम गाएंगे,
सावन की पड़ी फुहार,
चल भोले के दर जायेंगे।।
तर्ज – अनोखी थारी झांकी
पहले था मैं कंगाल घणा,
भोले ने करा कमाल घणा,
इब कोठी बंगला कार,
मेरे यार,
चल चलकर दर्शन पाएंगे,
शिव शंकर से दातार,
चल हर बम बम गाएंगे।।
तू सुणले जा तू कांवड़ का,
सुना घर था हो ग्यालड़ का,
इब सुखी होया परिवार,
मेरे यार,
भोले की महिमा गाएंगे,
सावन की पड़े फुहार,
मेरे यार,
चल भोले के दर जायेंगे।।
एक भाई मेरा कुंवारा था,
अनपढ़ भोळा बेचारा था,
बहु आगि बहुत होशियार,
मेरे यार,
मुँह माँगा चलकर पाएंगे,
सावन की पड़े फुहार,
मेरे यार,
चल भोले के दर जायेंगे।।
इब हर बाता के ठाट मेरे,
इब उठरयासे धोराट मेरे,
वृत कर सोळा सोमवार,
मेरे यार,
यो जीवन सफल बनाएंगे,
सावन की पड़े फुहार,
मेरे यार,
चल भोले के दर जायेंगे।।
सावन की पड़ी फुहार,
मेरे यार,
चल भोले के दर जायेंगे,
चल बाबा के दर जायेंगे,
कांधे पर कांवर लाएंगे,
शिव शंकर से दातार,
चल हर बम बम गाएंगे,
सावन की पड़ी फुहार,
चल भोले के दर जायेंगे।।
