कृष्ण – ॐ कृष्णाय नमः ।
कमलनाथ – ॐ कमलनाथाय नमः ।
वासुदेव – ॐ वासुदेवाय नमः ।
सनातन – ॐ सनातनाय नमः ।
वसुदेवात्मज – ॐ वसुदेवात्मजाय नमः ।
पुण्य – ॐ पुण्याय नमः ।
लीलामानुष विग्रह – ॐ लीलामानुष विग्रहाय नमः ।
श्रीवत्स कौस्तुभधराय – ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः ।
यशोदावत्सल – ॐ यशोदावत्सलाय नमः ।
हरि – ॐ हरिये नमः । 10
चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा – ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा नमः ।
सङ्खाम्बुजा युदायुजाय – ॐ सङ्खाम्बुजायुदायुजाय नमः ।
देवकीनन्दन – ॐ देवकीनन्दनाय नमः ।
श्रीशाय – ॐ श्रीशाय नमः ।
नन्दगोप प्रियात्मज – ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः ।
यमुनावेगा संहार – ॐ यमुनावेगासंहारिणे नमः ।
बलभद्र प्रियनुज – ॐ बलभद्रप्रियनुजाय नमः ।
पूतना जीवित हर – ॐ पूतनाजीवितहराय नमः ।
शकटासुर भञ्जन – ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः ।
नन्दव्रज जनानन्दिन – ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः । 20
सच्चिदानन्दविग्रह – ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः ।
नवनीत विलिप्ताङ्ग – ॐ नवनीतविलिप्ताङ्गाय नमः ।
नवनीतनटन – ॐ नवनीतनटनाय नमः ।
मुचुकुन्द प्रसादक – ॐ मुचुकुन्दप्रसादकाय नमः ।
षोडशस्त्री सहस्रेश – ॐ षोडशस्त्रीसहस्रेशाय नमः ।
त्रिभङ्गी – ॐ त्रिभङ्गिने नमः ।
मधुराकृत – ॐ मधुराकृतये नमः ।
शुकवागमृताब्दीन्दवे – ॐ शुकवागमृताब्दीन्दवे नमः । 30
गोविन्द – ॐ गोविन्दाय नमः ।
योगीपति – ॐ योगिनांपतये नमः ।
वत्सवाटि चराय – ॐ वत्सवाटिचराय नमः ।
अनन्त – ॐ अनन्ताय नमः ।
धेनुकासुरभञ्जनाय – ॐ धेनुकासुरभञ्जनाय नमः ।
तृणी – कृत – तृणावर्ताय – ॐ तृणीकृत तृणावर्ताय नमः ।
यमलार्जुन भञ्जन – ॐ यमलार्जुनभञ्जनाय नमः ।
उत्तलोत्तालभेत्रे – ॐ उत्तलोत्तालभेत्रे नमः ।
तमाल श्यामल कृता – ॐ तमालश्यामलाकृतिये नमः ।
गोप गोपीश्वर – ॐ गोपगोपीश्वराय नमः ।
योगी – ॐ योगिने नमः ।
कोटिसूर्य समप्रभा – ॐ कोटिसूर्यसमप्रभाय नमः । 40
इलापति – ॐ इलापतये नमः ।
परंज्योतिष – ॐ परंज्योतिषे नमः ।
यादवेंद्र – ॐ यादवेंद्राय नमः ।
यदूद्वहाय – ॐ यदूद्वहाय नमः ।
वनमालिने – ॐ वनमालिने नमः ।
पीतवससे – ॐ पीतवसने नमः ।
पारिजातापहारकाय – ॐ पारिजातापहारकाय नमः ।
गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे – ॐ गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे नमः ।
गोपाल – ॐ गोपालाय नमः ।
सर्वपालकाय – ॐ सर्वपालकाय नमः । 50
अजाय – ॐ अजाय नमः ।
निरञ्जन – ॐ निरञ्जनाय नमः ।
कामजनक – ॐ कामजनकाय नमः ।
कञ्जलोचनाय – ॐ कञ्जलोचनाय नमः ।
मधुघ्ने – ॐ मधुघ्ने नमः ।
मथुरानाथ – ॐ मथुरानाथाय नमः ।
द्वारकानायक – ॐ द्वारकानायकाय नमः ।
बलि – ॐ बलिने नमः ।
बृन्दावनान्त सञ्चारिणे – ॐ बृन्दावनान्त सञ्चारिणे नमः ।
तुलसीदाम भूषनाय – ॐ तुलसीदाम भूषनाय नमः । 60
स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे – ॐ स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे नमः ।
नरनारयणात्मकाय – ॐ नरनारयणात्मकाय नमः ।
कुब्जा कृष्णाम्बरधराय – ॐ कुब्जा कृष्णाम्बरधराय नमः ।
मायिने – ॐ मायिने नमः ।
परमपुरुष – ॐ परमपुरुषाय नमः ।
मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय – ॐ मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय नमः ।
संसारवैरी – ॐ संसारवैरिणॆ नमः ।
कंसारिर – ॐ कंसारयॆ नमः ।
मुरारी – ॐ मुरारयॆ नमः ।
नाराकान्तक – ॐ नाराकान्तकाय नमः । 70
अनादि ब्रह्मचारिक – ॐ अनादि ब्रह्मचारिणॆ नमः ।
कृष्णाव्यसन कर्शक – ॐ कृष्णाव्यसन कर्शकाय नमः ।
शिशुपालशिरश्छेत्त – ॐ शिशुपालशिरश्छेत्रे नमः ।
दुर्यॊधनकुलान्तकृत – ॐ दुर्यॊधनकुलान्तकाय नमः ।
विदुराक्रूर वरद – ॐ विदुराक्रूर वरदाय नमः ।
विश्वरूपप्रदर्शक – ॐ विश्वरूपप्रदर्शकाय नमः ।
सत्यवाचॆ – ॐ सत्यवाचॆ नमः ।
सत्य सङ्कल्प – ॐ सत्य सङ्कल्पाय नमः ।
सत्यभामारता – ॐ सत्यभामारताय नमः । 80
जयी – ॐ जयिनॆ नमः ।
सुभद्रा पूर्वज – ॐ सुभद्रा पूर्वजाय नमः ।
विष्णु – ॐ विष्णवॆ नमः ।
भीष्ममुक्ति प्रदायक – ॐ भीष्ममुक्ति प्रदायकाय नमः ।
जगद्गुरू – ॐ जगद्गुरवॆ नमः ।
जगन्नाथ – ॐ जगन्नाथाय नमः ।
वॆणुनाद विशारद – ॐ वॆणुनाद विशारदाय नमः ।
वृषभासुर विध्वंसि – ॐ वृषभासुर विध्वंसिने नमः ।
बाणासुर करान्तकृत – ॐ बाणासुर करान्तकाय नमः ।
युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे – ॐ युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे नमः ।
बर्हिबर्हावतंसक – ॐ बर्हिबर्हावतंसकाय नमः । 90
पार्थसारथी – ॐ पार्थसारथये नमः ।
अव्यक्त – ॐ अव्यक्ताय नमः ।
गीतामृत महोदधी – ॐ गीतामृत महोदधये नमः ।
कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज – ॐ कालीय फणिमाणिक्य रञ्जित श्री पदाम्बुजाय नमः ।
दामॊदर – ॐ दामॊदराय नमः ।
यज्ञभोक्त – ॐ यज्ञभोक्त्रे नमः ।
दानवॆन्द्र विनाशक – ॐ दानवॆन्द्र विनाशकाय नमः ।
नारायण – ॐ नारायणाय नमः ।
परब्रह्म – ॐ परब्रह्मणॆ नमः ।
पन्नगाशन वाहन – ॐ पन्नगाशन वाहनाय नमः । 100
जलक्रीडा समासक्त गॊपीवस्त्रापहाराक – ॐ जलक्रीडा समासक्त गॊपीवस्त्रापहाराकाय नमः ।
पुण्य श्लॊक – ॐ पुण्य श्लॊकाय नमः ।
तीर्थकरा – ॐ तीर्थकृते नमः ।
वॆदवॆद्या – ॐ वॆदवॆद्याय नमः ।
दयानिधि – ॐ दयानिधयॆ नमः ।
सर्वभूतात्मका – ॐ सर्वभूतात्मकाय नमः ।
सर्वग्रहरुपी – ॐ सर्वग्रह रुपिणॆ नमः ।
परात्पराय – ॐ परात्पराय नमः । 108
कृष्ण – भगवान श्रीकृष्ण के नाम
1. कृष्ण – ॐ कृष्णाय नमः
कृष्ण का अर्थ है “जो सबका आकर्षण करते हैं।” यह नाम भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को संबोधित करता है, जो अपने मोहक रूप, लीलाओं और मधुर वाणी के लिए प्रसिद्ध हैं।
2. कमलनाथ – ॐ कमलनाथाय नमः
कमलनाथ का अर्थ है “कमल के स्वामी।” यह नाम भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है, जो लक्ष्मीपति और कमल पर आसीन होते हैं।
3. वासुदेव – ॐ वासुदेवाय नमः
वासुदेव का अर्थ है “वासुदेव के पुत्र।” यह भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम है, जो वसुदेव और देवकी के पुत्र हैं।
4. सनातन – ॐ सनातनाय नमः
सनातन का अर्थ है “सनातन धर्म के पालनकर्ता।” यह भगवान कृष्ण के उस रूप को संदर्भित करता है जो शाश्वत और अपरिवर्तनीय है।
5. वसुदेवात्मज – ॐ वसुदेवात्मजाय नमः
वसुदेवात्मज का अर्थ है “वसुदेव के पुत्र।” यह नाम भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के संदर्भ में प्रयोग होता है।
6. पुण्य – ॐ पुण्याय नमः
पुण्य का अर्थ है “पवित्रता का प्रतीक।” भगवान कृष्ण को पुण्य के रूप में जाना जाता है, जो धर्म और न्याय के प्रतीक हैं।
7. लीलामानुष विग्रह – ॐ लीलामानुष विग्रहाय नमः
लीलामानुष विग्रह का अर्थ है “जो मानव रूप में लीलाएं करते हैं।” भगवान श्रीकृष्ण अपने जीवन में विभिन्न लीलाओं के माध्यम से ईश्वरीय संदेश देते हैं।
8. श्रीवत्स कौस्तुभधराय – ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः
श्रीवत्स कौस्तुभधराय का अर्थ है “जो श्रीवत्स और कौस्तुभ मणि धारण करते हैं।” यह भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण का एक विशेष प्रतीक है।
9. यशोदावत्सल – ॐ यशोदावत्सलाय नमः
यशोदावत्सल का अर्थ है “जो यशोदा माता के प्रिय पुत्र हैं।” भगवान कृष्ण का यह नाम उनकी बाल लीलाओं को दर्शाता है।
10. हरि – ॐ हरिये नमः
हरि का अर्थ है “जो पापों को हर लेते हैं।” यह भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण का एक प्रसिद्ध नाम है।
भगवान श्रीकृष्ण के अन्य नाम
11. चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा – ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा नमः
चतुर्भुजात्त का अर्थ है “चार भुजाओं वाले भगवान।” यह नाम भगवान विष्णु के रूप में श्रीकृष्ण को संबोधित करता है, जो चक्र, गदा, शंख और पद्म धारण करते हैं।
12. सङ्खाम्बुजा युदायुजाय – ॐ सङ्खाम्बुजायुदायुजाय नमः
सङ्खाम्बुजा का अर्थ है “शंख और कमल धारण करने वाले।” यह भगवान कृष्ण की दिव्यता और सौंदर्य को दर्शाता है।
13. देवकीनन्दन – ॐ देवकीनन्दनाय नमः
देवकीनन्दन का अर्थ है “देवकी के पुत्र।” यह भगवान श्रीकृष्ण का एक अन्य नाम है, जो उनके जन्म को दर्शाता है।
14. श्रीशाय – ॐ श्रीशाय नमः
श्रीशाय का अर्थ है “लक्ष्मीपति।” यह नाम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है।
15. नन्दगोप प्रियात्मज – ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः
नन्दगोप प्रियात्मज का अर्थ है “नन्द गोप के प्रिय पुत्र।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को संदर्भित करता है।
16. यमुनावेगा संहार – ॐ यमुनावेगासंहारिणे नमः
यमुनावेगा संहार का अर्थ है “जो यमुना की वेग को रोकते हैं।” यह भगवान कृष्ण द्वारा कालिया नाग का विनाश करने वाली कथा से संबंधित है।
17. बलभद्र प्रियनुज – ॐ बलभद्रप्रियनुजाय नमः
बलभद्र प्रियनुज का अर्थ है “बलराम के प्रिय अनुज।” यह भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम के स्नेहपूर्ण संबंध को दर्शाता है।
18. पूतना जीवित हर – ॐ पूतनाजीवितहराय नमः
पूतना जीवित हर का अर्थ है “जो पूतना के जीवन को हर लेते हैं।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं में से एक प्रमुख घटना को दर्शाता है।
19. शकटासुर भञ्जन – ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः
शकटासुर भञ्जन का अर्थ है “जो शकटासुर का वध करते हैं।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं में से एक और घटना को दर्शाता है।
20. नन्दव्रज जनानन्दिन – ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः
नन्दव्रज जनानन्दिन का अर्थ है “जो नन्द और व्रजवासियों को आनंदित करते हैं।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं और व्रजवासियों के साथ उनके प्रेम को दर्शाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के विशेष नाम
21. सच्चिदानन्दविग्रह – ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः
सच्चिदानन्दविग्रह का अर्थ है “सत्, चित और आनंद से युक्त।” यह भगवान कृष्ण की दिव्य स्थिति को दर्शाता है।
22. नवनीत विलिप्ताङ्ग – ॐ नवनीतविलिप्ताङ्गाय नमः
नवनीत विलिप्ताङ्ग का अर्थ है “जो माखन से लिपटे हुए हैं।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का एक दृश्य है।
23. नवनीतनटन – ॐ नवनीतनटनाय नमः
नवनीतनटन का अर्थ है “जो माखन के लिए नृत्य करते हैं।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को संदर्भित करता है।
24. मुचुकुन्द प्रसादक – ॐ मुचुकुन्दप्रसादकाय नमः
मुचुकुन्द प्रसादक का अर्थ है “जो मुचुकुन्द को प्रसन्न करते हैं।” यह भगवान कृष्ण और मुचुकुन्द ऋषि की कथा से संबंधित है।
25. षोडशस्त्री सहस्रेश – ॐ षोडशस्त्रीसहस्रेशाय नमः
षोडशस्त्री सहस्रेश का अर्थ है “जो सोलह हजार रानियों के स्वामी हैं।” यह भगवान कृष्ण की दिव्य लीला को संदर्भित करता है।
26. त्रिभङ्गी – ॐ त्रिभङ्गिने नमः
त्रिभङ्गी का अर्थ है “जो त्रिभंग मुद्रा में खड़े होते हैं।” यह भगवान कृष्ण की विशिष्ट मुद्रा को दर्शाता है।
27. मधुराकृत – ॐ मधुराकृतये नमः
मधुराकृत का अर्थ है “जो मधुर स्वरूप वाले हैं।” भगवान कृष्ण का यह नाम उनके सुंदर और मोहक रूप को दर्शाता है।
28. शुकवागमृताब्दीन्दवे – ॐ शुकवागमृताब्दीन्दवे नमः
शुकवागमृताब्दीन्दवे का अर्थ है “जो शुकदेव मुनि के वचनों में अमृत की तरह प्रकट होते हैं।” यह श्रीमद्भागवत कथा के संदर्भ में है।
29. गोविन्द – ॐ गोविन्दाय नमः
गोविन्द का अर्थ है “जो गोप-गोपियों के प्रिय हैं।” यह भगवान कृष्ण का एक प्रसिद्ध नाम है।
30. योगीपति – ॐ योगिनांपतये नमः
योगीपति का अर्थ है “जो योगियों के स्वामी हैं।” यह भगवान कृष्ण की योगियों के प्रति करुणा और प्रेम को दर्शाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के अन्य अद्वितीय नाम
31. वत्सवाटि चराय – ॐ वत्सवाटिचराय नमः
वत्सवाटि चराय का अर्थ है “जो बछ
ड़ों को चराते हैं।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को दर्शाता है।
32. अनन्त – ॐ अनन्ताय नमः
अनन्त का अर्थ है “जो अनंत हैं।” यह भगवान कृष्ण की अनंतता और असीमित शक्ति को दर्शाता है।
33. धेनुकासुरभञ्जनाय – ॐ धेनुकासुरभञ्जनाय नमः
धेनुकासुरभञ्जनाय का अर्थ है “जो धेनुकासुर का वध करते हैं।” यह भगवान कृष्ण की लीलाओं में से एक प्रमुख घटना को दर्शाता है।
34. तृणी – कृत – तृणावर्ताय – ॐ तृणीकृत तृणावर्ताय नमः
तृणीकृत तृणावर्ताय का अर्थ है “जो तृणावर्त को मिट्टी में मिला देते हैं।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं में से एक घटना को दर्शाता है।
35. यमलार्जुन भञ्जन – ॐ यमलार्जुनभञ्जनाय नमः
यमलार्जुन भञ्जन का अर्थ है “जो यमलार्जुन वृक्षों का उद्धार करते हैं।” यह भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को दर्शाता है।
36. उत्तलोत्तालभेत्रे – ॐ उत्तलोत्तालभेत्रे नमः
उत्तलोत्तालभेत्रे का अर्थ है “जो उच्च और विस्तृत रूप से प्रकट होते हैं।” यह भगवान कृष्ण की महिमा और शक्ति को दर्शाता है।
37. तमाल श्यामल कृता – ॐ तमालश्यामलाकृतिये नमः
तमाल श्यामल कृता का अर्थ है “जो तमाल वृक्ष के समान श्याम वर्ण के हैं।” यह भगवान कृष्ण की सुंदरता को दर्शाता है।
38. गोप गोपीश्वर – ॐ गोपगोपीश्वराय नमः
गोप गोपीश्वर का अर्थ है “जो गोप-गोपियों के स्वामी हैं।” भगवान कृष्ण का यह नाम उनकी लीलाओं को दर्शाता है।
39. योगी – ॐ योगिने नमः
योगी का अर्थ है “जो योग के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति करते हैं।” यह भगवान कृष्ण की दिव्यता और उनके योगी रूप को दर्शाता है।
40. कोटिसूर्य समप्रभा – ॐ कोटिसूर्यसमप्रभाय नमः
कोटिसूर्य समप्रभा का अर्थ है “जो करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशवान हैं।” यह भगवान कृष्ण की महिमा और तेज को दर्शाता है।
यहाँ भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया है, जो उनके विभिन्न रूपों, लीलाओं और महिमाओं को दर्शाता है। हर नाम में भगवान की एक विशेषता, गुण या लीला का वर्णन होता है, जो उन्हें और अधिक महिमामंडित करता है।
भगवान श्रीकृष्ण के नामों का विस्तृत वर्णन
भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों में से प्रत्येक नाम उनके दिव्य व्यक्तित्व, गुणों और लीलाओं का वर्णन करता है। यह नाम न केवल उनकी महिमा का प्रतीक हैं, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रेरणा भी प्रदान करते हैं। आइए हम इन नामों का और विस्तार से वर्णन करते हैं।
कृष्ण – ॐ कृष्णाय नमः
कृष्ण का शाब्दिक अर्थ है “काला” या “अति सुंदर।” वे अपने आकर्षक रूप, मधुर मुस्कान और अद्वितीय लीलाओं के लिए जाने जाते हैं। गीता में उन्होंने ‘कर्मयोग’ का संदेश दिया, जो जीवन जीने की कला सिखाता है।
कमलनाथ – ॐ कमलनाथाय नमः
कमलनाथ का अर्थ है “कमल के स्वामी।” यह नाम भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी से जुड़ा हुआ है, जो सदैव कमल पर विराजमान रहते हैं। श्रीकृष्ण के इस रूप को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
वासुदेव – ॐ वासुदेवाय नमः
वासुदेव का अर्थ है “वसुदेव के पुत्र” और यह नाम उनकी दिव्यता और सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में प्रतिष्ठित करता है। यह नाम श्रीकृष्ण की जन्म कथा से जुड़ा है, जिसमें वे कंस के अत्याचारों से मानवता को मुक्त कराने के लिए अवतरित हुए थे।
सनातन – ॐ सनातनाय नमः
सनातन का अर्थ है “शाश्वत” या “अनंत।” यह नाम उनकी अपरिवर्तनीयता और सनातन धर्म के पालनकर्ता के रूप में प्रतिष्ठा को दर्शाता है। भगवान कृष्ण की शिक्षाएँ, जैसे गीता के श्लोक, आज भी मानवता को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
वसुदेवात्मज – ॐ वसुदेवात्मजाय नमः
वसुदेवात्मज का अर्थ है “वसुदेव के पुत्र।” यह नाम उनके पितृत्व को दर्शाता है, जो वसुदेव और देवकी के पुत्र हैं। उनके इस नाम से उनकी बाल लीलाओं और बचपन की कहानियों का स्मरण होता है।
पुण्य – ॐ पुण्याय नमः
पुण्य का अर्थ है “धार्मिकता” या “पवित्रता।” भगवान कृष्ण का यह नाम उनके धार्मिक आचरण और लोक कल्याण के कार्यों को संदर्भित करता है। उन्होंने धर्म की स्थापना के लिए अनेक लीलाएं कीं और धर्म के मार्ग को स्पष्ट किया।
लीलामानुष विग्रह – ॐ लीलामानुष विग्रहाय नमः
लीलामानुष विग्रह का अर्थ है “जो मानव रूप में लीलाएं करते हैं।” भगवान कृष्ण ने पृथ्वी पर मानव रूप में जन्म लिया और अनेक लीलाओं के माध्यम से धर्म, प्रेम और भक्ति का संदेश दिया। उनकी लीलाएं हमें जीवन में धर्म, सत्य और प्रेम के महत्व को समझाती हैं।
श्रीवत्स कौस्तुभधराय – ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः
श्रीवत्स कौस्तुभधराय का अर्थ है “जो श्रीवत्स चिन्ह और कौस्तुभ मणि धारण करते हैं।” यह भगवान विष्णु के प्रतीक चिन्ह हैं, जो उनकी दिव्यता और उच्चतम स्थान को दर्शाते हैं।
यशोदावत्सल – ॐ यशोदावत्सलाय नमः
यशोदावत्सल का अर्थ है “जो माता यशोदा के प्रिय पुत्र हैं।” यह नाम श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को दर्शाता है, जब वे गोपियों के लाडले और माता यशोदा के नटखट बालक के रूप में विख्यात थे।
हरि – ॐ हरिये नमः
हरि का अर्थ है “जो सबके दुखों को हर लेते हैं।” यह नाम भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण का परिचायक है। भगवान हरि को भक्तों के सारे दुखों और पापों का नाशक माना जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप के नाम
चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा – ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा नमः
चतुर्भुजात्त का अर्थ है “जो चार भुजाओं वाले हैं और चक्र, गदा, शंख और पद्म धारण करते हैं।” यह भगवान विष्णु के रूप में श्रीकृष्ण के दिव्य रूप को दर्शाता है।
देवकीनन्दन – ॐ देवकीनन्दनाय नमः
देवकीनन्दन का अर्थ है “देवकी के पुत्र।” यह नाम उनके जन्म के समय की कथा को संदर्भित करता है, जब कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।
नन्दगोप प्रियात्मज – ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः
नन्दगोप प्रियात्मज का अर्थ है “जो नन्द गोप के प्रिय पुत्र हैं।” यह भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को दर्शाता है, जो नंद बाबा के घर में लालन-पालन पाए और व्रजवासियों के प्रिय बने।
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से संबंधित नाम
पूतना जीवित हर – ॐ पूतनाजीवितहराय नमः
पूतना जीवित हर का अर्थ है “जो पूतना के जीवन को हर लेते हैं।” यह नाम उनके बाल रूप में किए गए पूतना वध की घटना को संदर्भित करता है, जिसमें उन्होंने पूतना राक्षसी का वध किया था।
शकटासुर भञ्जन – ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः
शकटासुर भञ्जन का अर्थ है “जो शकटासुर का वध करते हैं।” यह उनके बाल्यकाल की एक अन्य लीला को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने शकटासुर को मारकर व्रजवासियों की रक्षा की।
नन्दव्रज जनानन्दिन – ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः
नन्दव्रज जनानन्दिन का अर्थ है “जो नन्द और व्रजवासियों को आनंदित करते हैं।” यह भगवान कृष्ण की उन बाल लीलाओं को संदर्भित करता है, जिसमें उन्होंने व्रजवासियों के दिलों में खुशी भरी।
नवनीतनटन – ॐ नवनीतनटनाय नमः
नवनीतनटन का अर्थ है “जो माखन के लिए नृत्य करते हैं।” यह उनके बाल स्वरूप की एक और लीला को संदर्भित करता है, जिसमें वे माखन चुराने के लिए प्रसिद्ध थे।
त्रिभङ्गी – ॐ त्रिभङ्गिने नमः
त्रिभङ्गी का अर्थ है “जो त्रिभंग मुद्रा में खड़े होते हैं।” यह उनकी विशिष्ट मुद्रा को दर्शाता है, जिसमें वे बांसुरी बजाते हुए त्रिभंग मुद्रा में खड़े होते हैं, जो अत्यंत आकर्षक होती है।
भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न रूप और स्वरूप
गोविन्द – ॐ गोविन्दाय नमः
गोविन्द का अर्थ है “जो गोधन और गोपियों के स्वामी हैं।” यह नाम श्रीकृष्ण के गोपाल स्वरूप को संदर्भित करता है, जिसमें वे गौमाताओं और गोप-गोपियों के परम प्रिय हैं।
योगीपति – ॐ योगिनांपतये नमः
योगीपति का अर्थ है “जो योगियों के स्वामी हैं।” यह भगवान कृष्ण की उस अवस्था को दर्शाता है, जिसमें वे योग, ध्यान और आध्यात्मिकता के प्रतीक माने जाते हैं।
वत्सवाटि चराय – ॐ वत्सवाटिचराय नमः
वत्सवाटि चराय का अर्थ है “जो बछड़ों को चराते हैं।” यह भगवान कृष्ण की उन लीलाओं का प्रतीक है, जब वे अपने दोस्तों और बछड़ों के साथ जंगल में खेलते थे।
अनन्त – ॐ अनन्ताय नमः
अनन्त का अर्थ है “जो अनंत हैं।” यह नाम उनकी असीमित शक्ति, महिमा और उनके अद्वितीय स्वरूप को दर्शाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं, जो न केवल हमें प्रेरित करते हैं, बल्कि उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा को भी प्रकट करते हैं। उनका हर नाम एक गूढ़ अर्थ और दिव्यता को दर्शाता है, जो जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन प्रदान करता है।