श्री सूर्य देव – ऊँ जय कश्यप नन्दन in Hindi/Sanskrit
ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥
ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
Shri Surya Dev Jai Kashyapa Nandana in English
Om Jai Kashyap Nandan, Prabhu Jai Aditi Nandan.
Tribhuvan Timir Nikandan, Bhakt Hriday Chandan.
॥ Om Jai Kashyap…॥
Sapt Ashvarath Rajit, Ek Chakradhari.
Dukhahari, Sukhkari, Manas Malhari.
॥ Om Jai Kashyap…॥
Sur Muni Bhusur Vandit, Vimal Vibhavshali.
Agh-dal-dalan Divakar, Divya Kiran Mali.
॥ Om Jai Kashyap…॥
Sakal Sukarm Prasvita, Savita Shubhkari.
Vishv Vilochan Mochan, Bhav-bandhan Bhari.
॥ Om Jai Kashyap…॥
Kamal Samuh Vikasak, Nashak Tray Tapa.
Sevat Sahaj Harat Ati, Manasij Santapa.
॥ Om Jai Kashyap…॥
Netra Vyadhi Har Survar, Bhu-pida Hari.
Vrishti Vimochan Santat, Parhit Vratdhari.
॥ Om Jai Kashyap…॥
Suryadev Karunakara, Ab Karuna Kijai.
Har Agyan Moh Sab, Tatvagyan Dijai.
Om Jai Kashyap Nandan, Prabhu Jai Aditi Nandan.
Tribhuvan Timir Nikandan, Bhakt Hriday Chandan.
श्री सूर्य देव आरती PDF Download
श्री सूर्य देव आरती का सम्पूर्ण अर्थ
श्री सूर्य देव आरती हिन्दू धर्म में सूर्य देवता की महिमा का बखान करती है। इस आरती के हर पद में सूर्य देव के गुणों, उनके आशीर्वादों और हमारे जीवन में उनके योगदान का वर्णन है। नीचे प्रत्येक पंक्ति का हिंदी में विस्तारपूर्वक अर्थ दिया गया है।
ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन
“कश्यप नन्दन” का अर्थ
कश्यप ऋषि के पुत्र होने के कारण सूर्य देव को कश्यप नन्दन कहा गया है। यह उनका मूल परिचय है, जिससे उनकी पवित्र वंश परंपरा का बोध होता है।
“अदिति नन्दन” का अर्थ
सूर्य देव की माता अदिति हैं। अदिति को सभी देवी-देवताओं की माता माना जाता है। अतः अदिति नन्दन का संबोधन सूर्य देव के देवीय शक्ति के स्रोत को दर्शाता है।
“त्रिभुवन तिमिर निकंदन”
यह पंक्ति सूर्य देव के उस गुण को उजागर करती है जिससे वे त्रिभुवन यानी तीनों लोकों के अंधकार को दूर करने वाले हैं। यहाँ अंधकार का अर्थ केवल भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक अज्ञानता से भी है।
“भक्त हृदय चन्दन”
इसका अर्थ है कि सूर्य देव अपने भक्तों के हृदय को शीतलता और शांति प्रदान करते हैं, जैसे चन्दन शरीर को शीतलता देता है। भक्तों के जीवन में सूर्य देव का आशीर्वाद चन्दन की तरह सुखदायक है।
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी
“सप्त अश्वरथ राजित” का अर्थ
सूर्य देव का रथ सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है। ये सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों का प्रतीक हैं, जो समय के चक्र को दर्शाते हैं। सूर्य देव के इस रूप का मतलब है कि वे समय के संचालक हैं।
“एक चक्रधारी”
सूर्य देव के रथ का एक ही चक्र है, जो एकता का प्रतीक है। यह इस बात का प्रतीक है कि उनकी ऊर्जा निरंतर चलती रहती है और संसार को एक समान गति प्रदान करती है।
“दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी”
इस पंक्ति में सूर्य देव को दुखों को हरने वाला, सुख देने वाला और मानसिक पापों को हरने वाला बताया गया है। वे जीवन के सभी दुखों को हरते हैं और सुख व शांति का संचार करते हैं।
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली
“सुर मुनि भूसुर वन्दित” का अर्थ
सूर्य देव की महिमा देवी-देवता, ऋषि-मुनि, और पृथ्वी के श्रेष्ठ जन (जैसे ब्राह्मण) भी वंदना करते हैं। इससे उनकी दिव्यता और सम्मान का बोध होता है।
“विमल विभवशाली”
यह पंक्ति सूर्य देव के तेजस्वी और स्वच्छ व्यक्तित्व को दर्शाती है। उनका तेज और दिव्य शक्ति साफ और शुद्ध है।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली
“अघ-दल-दलन” का अर्थ
सूर्य देव को पापों का नाश करने वाला बताया गया है। “अघ” का अर्थ पाप होता है, और अघ-दल-दलन का अर्थ है पापों को नष्ट करने वाले।
“दिवाकर, दिव्य किरण माली”
सूर्य देव को दिवाकर कहा गया है, जिसका अर्थ है “प्रकाश का देने वाला”। उनकी किरणें दिव्य माला के समान हैं जो संसार को रोशनी से अलंकृत करती हैं।
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी
“सकल सुकर्म प्रसविता” का अर्थ
यहाँ सूर्य देव को अच्छे कार्यों की प्रेरणा देने वाला कहा गया है। उनके आशीर्वाद से ही लोग अच्छे कर्म करते हैं।
“सविता शुभकारी”
सविता सूर्य देव का एक नाम है जिसका अर्थ है “सुखदायक और शुभकारी”। यह दर्शाता है कि सूर्य देव शुभता और सुख का संचार करते हैं।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी
“विश्व विलोचन मोचन” का अर्थ
यहाँ सूर्य देव को समस्त विश्व को दृष्टि देने वाला बताया गया है। वे हमें देखने की शक्ति और ज्ञान प्रदान करते हैं।
“भव-बंधन भारी”
भवसागर के बंधनों से मुक्ति दिलाने में सूर्य देव का योगदान होता है। उनका आशीर्वाद हमें जीवन के सभी बंधनों से मुक्त करने में सहायक है।
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा
“कमल समूह विकासक” का अर्थ
सूर्य देव की किरणों से ही कमल जैसे सुंदर पुष्प खिलते हैं। इसका आध्यात्मिक अर्थ यह है कि उनके प्रभाव से आत्मा का विकास और प्रसार होता है।
“नाशक त्रय तापा”
त्रय ताप (आध्यात्मिक, भौतिक, और मानसिक ताप) का नाश करने वाले के रूप में उनकी महिमा गाई गई है।
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी
“नेत्र व्याधि हर सुरवर” का अर्थ
सूर्य देव नेत्र रोगों का नाशक हैं और जीवन को दृष्टि प्रदान करते हैं। उनका प्रकाश हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।
“भू-पीड़ा हारी”
सूर्य देव भूमि की पीड़ा को भी हरने वाले हैं, जैसे सूखे और अकाल से मुक्त करना। उनकी कृपा से वर्षा होती है और पृथ्वी पर समृद्धि आती है।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी
“वृष्टि विमोचन संतत” का अर्थ
सूर्य देव के कारण ही वर्षा होती है, जो जीवन का स्रोत है। उनके आशीर्वाद से संसार में हरियाली और समृद्धि होती है।
“परहित व्रतधारी”
सूर्य देव परोपकार के व्रतधारी हैं। वे सदैव संसार के कल्याण में लगे रहते हैं और परहित के लिए कार्य करते हैं।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै
“करुणाकर” का अर्थ
सूर्य देव को करुणा का सागर कहा गया है। उनकी कृपा से ही सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है। यहाँ भक्त उनसे करुणा की याचना कर रहे हैं।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै
यहाँ सूर्य देव से प्रार्थना की जा रही है कि वे हमारे अज्ञान और मोह को दूर करें और हमें सच्चे ज्ञान की ओर ले चलें। यह ज्ञान हमें सही और गलत में भेद करना सिखाता है।
समापन
ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन
इस अंतिम पंक्ति में सूर्य देव की महिमा और आशीर्वाद का स्मरण किया गया है। उनके आशीर्वाद से त्रिभुवन का अंधकार दूर होता है और भक्तों का जीवन सुखमय बनता है।
यह आरती सूर्य देव की महिमा, उनकी कृपा, और भक्तों के लिए उनके आशीर्वाद का वर्णन करती है। उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।