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श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम् in Hindi/Sanskrit

॥ श्रीतुलसीषोडशकनामस्तोत्रं नामावलिश्च ॥
तुलसी श्रीमहालक्ष्मीः विद्याऽविद्या यशस्विनी ।
धर्म्या धर्मावनासक्ता पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥

लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयेन्नरः ।
लभते सुतरां भक्तिं अन्ते विष्णुपदं लभेत् ॥

तुलस्यै नमः ।
श्रीमहालक्ष्म्यै नमः ।
विद्यायै नमः ।
अविद्यायै नमः ।
यशस्विन्यै नमः ।
धर्म्यायै नमः ।
धर्मावनासक्तायै नमः ।
पद्मिन्यै नमः ।
श्रियै नमः ।
हरिप्रियायै नमः ।
लक्ष्मीप्रियसख्यै नमः ।
देव्यै नमः ।
दिवे नमः ।
भूम्यै नमः ।
अचलायै नमः ।
चलायै नमः ॥16

Shri Tulasi Shodashakanam Strotam in English

॥ Shri Tulsi Shodashaka Namastotram Namavali Cha ॥

Tulasi Shri Mahalakshmi Vidya-avidya Yashaswini
Dharmya Dharmavanaasakta Padmini Shri Haripriya

Lakshmipriya Sakhi Devi Dyaur-Bhoomi-Rachala Chala
Shodashaitani Namani Tulasya Keertayen Narah
Labhate Sutarang Bhaktim Ante Vishnupadam Labhet

Tulasyai Namah
Shri Mahalakshmyai Namah
Vidyaai Namah
Avidyaai Namah
Yashasvinyai Namah
Dharmyayi Namah
Dharmavanaasaktayi Namah
Padminyai Namah
Shriyai Namah
Haripriyayi Namah
Lakshmipriya-Sakhyai Namah
Devyai Namah
Divae Namah
Bhoomyai Namah
Achalaayai Namah
Chalaayai Namah ॥16

श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम् PDF Download

श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम् का अर्थ

॥ श्रीतुलसीषोडशकनामस्तोत्रं नामावलिश्च ॥

श्री तुलसी के षोडश (सोलह) नामों का स्तोत्र निम्नलिखित है। यह स्तोत्र तुलसी देवी के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन करता है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को असीमित भक्ति प्राप्त होती है और अंततः भगवान विष्णु के चरणों की प्राप्ति होती है।

श्लोकों का अर्थ:

  • तुलसी: तुलसी देवी भगवान विष्णु की अत्यंत प्रिय हैं।
  • श्रीमहालक्ष्मी: तुलसी देवी को श्री महालक्ष्मी का रूप माना जाता है, जो धन और ऐश्वर्य की देवी हैं।
  • विद्या: तुलसी देवी ज्ञान की देवी हैं।
  • अविद्या: वह अविद्या, अर्थात् अज्ञान को भी दूर करती हैं।
  • यशस्विनी: तुलसी देवी यश और कीर्ति देने वाली हैं।
  • धर्म्या: वह धर्म का पालन करने वाली हैं।
  • धर्मावनासक्ता: धर्म की रक्षा और पालन में सदैव संलग्न रहती हैं।
  • पद्मिनी: वह कमल के समान सौम्य और सुंदर हैं।
  • श्री: वह समृद्धि और ऐश्वर्य की प्रतीक हैं।
  • हरिप्रिया: वह भगवान हरि (विष्णु) की प्रिय हैं।
  • लक्ष्मीप्रियसखी: वह लक्ष्मी की प्रिय सखी हैं।
  • देवी: वह सम्पूर्ण देवताओं की देवी हैं।
  • द्यौर्भूमि: वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्वरूप धारण करती हैं।
  • अचला: वह अडिग और स्थिर हैं।
  • चला: वह गति और चलायमान भी हैं।

जो व्यक्ति इन सोलह नामों का नियमित जाप करता है, उसे विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है और अंततः वह विष्णु लोक को प्राप्त करता है।

नामावली:

  1. तुलसी
  2. श्री महालक्ष्मी
  3. विद्या
  4. अविद्या
  5. यशस्विनी
  6. धर्म्या
  7. धर्मावनासक्ता
  8. पद्मिनी
  9. श्री
  10. हरिप्रिया
  11. लक्ष्मीप्रियसखी
  12. देवी
  13. दिवि
  14. भूमि
  15. अचला
  16. चला

इन सभी नामों का सच्चे मन से जाप करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।

श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम्

श्रीतुलसीषोडशकनामस्तोत्रं एक महत्वपूर्ण हिंदू स्तोत्र है जिसमें तुलसी देवी के 16 दिव्य नामों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र तुलसी के भक्तों द्वारा पूजन, व्रत, और नित्य पाठ में उपयोग किया जाता है। इसे करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

तुलसी के महत्व:

तुलसी को हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और दिव्य माना जाता है। उन्हें श्रीहरि (भगवान विष्णु) की प्रिय माना जाता है और इसलिए तुलसी की पूजा से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। तुलसी का पौधा स्वयं में कई औषधीय गुणों से युक्त है और इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

श्रीतुलसीषोडशकनामस्तोत्रं का महत्व:

  • भक्ति में वृद्धि: इस स्तोत्र का नियमित पाठ भक्त को भगवान विष्णु की ओर अधिक समर्पित बनाता है और उनके प्रति अटूट भक्ति प्रदान करता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: इन 16 नामों का स्मरण करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति होती है और अंततः उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: इस स्तोत्र के पाठ से घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
  • कर्मों का शुद्धिकरण: यह माना जाता है कि तुलसी के इन नामों का जाप करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे शुद्धि प्राप्त होती है।

तुलसी के नामों की विशेषताएँ:

  • तुलसी: वह पवित्रता और भक्ति की प्रतीक हैं।
  • श्रीमहालक्ष्मी: उन्हें महालक्ष्मी के रूप में देखा जाता है, जो धन और समृद्धि का वरदान देती हैं।
  • विद्या और अविद्या: ये नाम इस बात का प्रतीक हैं कि तुलसी देवी ज्ञान का स्रोत हैं और अज्ञानता को दूर करती हैं।
  • धर्म्या और धर्मावनासक्ता: ये नाम दर्शाते हैं कि तुलसी धर्म का पालन करती हैं और धर्म की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • अचला और चला: ये नाम तुलसी के स्थिर और गतिशील दोनों गुणों को दर्शाते हैं, जो कि प्रकृति के संतुलन को बनाए रखते हैं।

पाठ विधि:

तुलसीषोडशकनामस्तोत्र का पाठ प्रातः काल स्नान के पश्चात् तुलसी के पौधे के समक्ष किया जाता है। शुद्ध मन और भक्ति भाव से इन नामों का जाप करने से तुलसी देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस स्तोत्र को नवरात्रि, एकादशी, और अन्य पवित्र दिनों में विशेष रूप से पढ़ा जाता है।

तुलसी पूजन की पौराणिक मान्यताएँ:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, तुलसी एक महान भक्त थीं जिन्होंने भगवान विष्णु से विवाह किया और इस प्रकार तुलसी के पौधे को भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में सम्मानित किया गया। इसलिए, तुलसी विवाह (तुलसी-विवाह) की परंपरा भी है, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है।

इस प्रकार, श्रीतुलसीषोडशकनामस्तोत्र का पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और दिव्य शक्ति का स्रोत भी है।

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