- – यह गीत “म्हारो सेठ सावरों” नामक एक भक्ति और उत्सव गीत है, जिसमें तेरह पेढियों (घंटों) के माध्यम से जीवन के विभिन्न चरणों और अनुभवों का वर्णन किया गया है।
- – प्रत्येक पेढी पर अलग-अलग भावनाएं और घटनाएं व्यक्त की गई हैं, जैसे संताप का मिट जाना, मन की सफाई, दुनियादारी का अनुभव, और झूठी माया का अंत।
- – गीत में सेठ सावरों की महिमा का गुणगान किया गया है, जो सारे जग में राज करता है और जीवन में सुख-शांति लाता है।
- – गीत में खाटू के सिरदार और ‘सरिता’ जैसे प्रतीकों का उल्लेख है, जो आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।
- – यह गीत राजस्थान की लोक संस्कृति और भक्ति संगीत की एक झलक प्रस्तुत करता है, जिसे विवेक शर्मा ने गाया है।

तेरह पेढिया ऊपर म्हारे,
श्याम को बंगलो,
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों,
सेठ सावरों,
जी म्हारो सेठ सावरों।।
पहली पेरही पग धरताही,
मिट जा सब संताप,
दूजी तीजी पेरहि करदे,
मैल मना का साफ़,
ओ चौथी पेहरी चढ़ता भूल्या,
दुनियादारी को रगड़ो।
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों।।
पांचवीं पेहरी के ऊपर,
नोबत जोर बजावां,
मिलने आ गया टाबरिया,
यो डंको मार बतावां,
ओ छट्टी सातवीं पेहरी चढ़कर,
बोला जयकारो तगड़ो।
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों।।
आठवीं पेहरी ऊपर सारी,
तन की पीड़ा भागे,
नौंवी पेहरी चढ़ता चढ़ता,
सूती किस्मत जागे,
ओ दसवीं पेहरी भेद मिटावे,
झूठी माया को सगलो।
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों।।
ग्यारवी पेहरी चढ़ता दिखे,
खाटू रो सिरदार,
बारवीं पेहरी पर होवे,
अंतर की फुहार,
ओ ‘सरिता’ तेरहवी पेहरी लागे,
मोरछड़ी को फटको।
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों।।
तेरह पेढिया ऊपर म्हारे,
श्याम को बंगलो,
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों,
सेठ सावरों,
जी म्हारो सेठ सावरों।।
Singer : Vivek Sharma
Sent By : Anant Goenka
