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- – प्रभु (हरी) से प्रेम करने पर जीवन में अमृत (आनंद और शांति) की वर्षा होगी।
- – दया और धर्म से प्रेम करके जीवन के कठिन समुद्र से पार पाया जा सकता है।
- – सत्य और ज्ञान को अपनाकर, कड़वे बोलों से बचकर आत्मा का उद्धार संभव है।
- – प्रेम न करने वाले नरक में पड़ जाते हैं, इसलिए लालच छोड़कर प्रभु से प्रेम करना चाहिए।
- – प्रभु के नाम का जप करने से जीवन में सौभाग्य और अमृत की प्राप्ति होती है।
- – बार-बार प्रभु से प्रेम करने पर जीवन में अमृत बरसता रहेगा और सुख-शांति बनी रहेगी।

तुम करो हरी से प्यार,
अमृत बरसेगा,
बरसेगा बरसेगा,
तुम करो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा।।
दया धर्म से प्रीत कर लो,
भव सागर से पार उतर लो,
हो जाए बेडा पार,
अमृत बरसेगा,
बरसेगा बरसेगा,
तुम करो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा।।
सत्य ज्ञान का पहनों गहना,
कड़वा बोल कभी ना कहना,
करो आत्म उद्धार,
अमृत बरसेगा,
बरसेगा बरसेगा,
तुम करो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा।।
प्रेम प्रभु से जो नहीं करता,
पड़ा नरक में फिर वो सड़ता,
लालच दे संसार,
अमृत बरसेगा,
बरसेगा बरसेगा,
तुम करो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा।।
नाम प्रभु का अमृत प्याला,
पीले बनके किस्मत वाला,
मिले न बारम्बार,
अमृत बरसेगा,
बरसेगा बरसेगा,
तुम करो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा।।
तुम करो हरी से प्यार,
अमृत बरसेगा,
बरसेगा बरसेगा,
तुम करो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा।।
स्वर – सैजल।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
