- – यह कविता श्याम के प्रति गहरी भक्ति और आभार व्यक्त करती है, जिसमें उन्होंने हारे हुए को अपनाने और संभालने की बात कही है।
- – कवि ने अपने जीवन में कठिनाइयों और धोखे के बावजूद श्याम की सेवा और आशीर्वाद से खुशियों का अनुभव किया है।
- – श्याम के नाम की ज्योत ने कवि के घर में खुशहाली और समृद्धि लाई है, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी है।
- – रोजाना श्याम की सेवा और भक्ति कवि के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य बन गई है, जिससे सभी शरणागत सुरक्षित और खुशहाल रहते हैं।
- – कविता में श्याम की दया, करुणा और अपनापन को जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य बताया गया है।

तूने मुझको अपनाया है,
ये मेरी किस्मत है श्याम,
हारे हुए को गले लगाना,
तेरी तो आदत है श्याम,
तुने मुझको अपनाया है,
ये मेरी किस्मत है श्याम।।
तर्ज – मैं हूँ तेरा नौकर बाबा।
कोई मसीहा, मुझको मिला ना,
पल पल मैं तो रोता रहा,
मैंने अपना फ़र्ज़ निभाया,
धोखा ही बस होता रहा,
हाथ पकड़ के, तुमने संभाला,
ख़ुशी से आंख भिगोता रहा,
तुने मुझको अपनाया है,
ये मेरी किस्मत है श्याम।।
तेरे नाम की, ज्योत साँवरे,
मेरे घर भी जलने लगी,
तेरी सेवा में खुशियां जो,
वो परिवार को मिलने लगी,
तेरी किरपा की, छइया पाकर,
मेरी ग्रहस्ती पलने लगी,
तुने मुझको अपनाया है,
ये मेरी किस्मत है श्याम।।
अब तो रोज ही, तेरी सेवा,
सब से जरुरी लगती है,
‘चोखानी’ संग मेरे घर में,
तेरी महफ़िल सजती है,
जो भी तेरे, शरणागत है,
उसकी नहीं बिगड़ती है,
तुने मुझको अपनाया है,
ये मेरी किस्मत है श्याम।।
तूने मुझको अपनाया है,
ये मेरी किस्मत है श्याम,
हारे हुए को गले लगाना,
तेरी तो आदत है श्याम,
तुने मुझको अपनाया है,
ये मेरी किस्मत है श्याम।।
स्वर – संजय जी सोनी।
