- – यह कविता “श्याम का जादू” यानी प्रेम के जादू की बात करती है, जो इंसान के जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर देता है।
- – प्रेम की शुरुआत में सब कुछ मीठा और सरल लगता है, लेकिन धीरे-धीरे यह जादू जीवन को उलझनों और परेशानियों में डाल देता है।
- – प्रेम में अंधा हो जाना और समझ न पाना, जीवन भर उसी जादू के प्रभाव में फंसे रहना इस कविता का मुख्य संदेश है।
- – कवि भक्तों को चेतावनी देता है कि वे दरबार न जाएं, क्योंकि वहां जादूगर सरकार बैठी है जो जीवन को बावरा बना देती है।
- – प्रेम के जाल में फंसने से जीवन में जहर घुल जाता है और अंततः कुछ भी हासिल नहीं होता।
- – कुल मिलाकर, यह कविता प्रेम के जादू की शक्ति और उसके प्रभावों को दर्शाती है, जो इंसान को पूरी तरह से बदल देता है।

ये श्याम का जादू है,
सर चढ़कर बोलेगा।।
तर्ज – ये इश्क़ का जादू है।
भगत तू मत जइयो,
मत जइयो,
मत जइयो दरबार,
वहां पर बैठा है बैठा है,
जादूगर सरकार,
तू बन के बावरा जीवन भर,
खाटु में डोलेगा,
ये श्याम का जादू है,
सर चढ़कर बोलेगा।।
पहले पहले ये प्यार से मिलता,
जैसे अपने ये यार से मिलता,
धीरे धीरे ये रंग बदलता है,
बड़ी मुश्किल से आँखे चार करता,
ये आगे आगे और,
तू पीछे पीछे डोलेगा,
ये श्याम का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
श्याम से आँख तेरी लड़ जाए,
मुसीबत में उसी दिन पड़ जाए,
दीवाना ऐसा करके छोड़ेगा,
लौट के वापस ना तू घर आए,
प्रेम के बंधन में बांधेगा,
कैसे खोलेगा,
ये श्याम का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
नहीं वाकिफ है तू इरादे से,
अभी अँधा है तू मोहब्बत में,
नहीं समझेगा तू समझाने से,
जीवन भर तू गली गली में,
इसको टटोलेगा,
ये श्याम का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
तू झूठी जिद है करता,
तू इसके जाल में फसता,
इसमें बनवारी बनवारी,
खोना ही खोना,
अंत में हाथ कुछ भी ना लगता,
जहर तू अपने जीवन में,
हाथों से घोलेगा,
ये श्याम का जादू हैं,
सर चढ़कर बोलेगा।।
भगत तू मत जइयो,
मत जइयो,
मत जइयो दरबार,
वहां पर बैठा है बैठा है,
जादूगर सरकार,
तू बन के बावरा जीवन भर,
खाटु में डोलेगा,
ये श्याम का जादू है,
सर चढ़कर बोलेगा।।
