भजन

एक तू ही है मेरा, बाकी सब है वहम: भजन (Ek Tu Hi Hai Mera Baki Sab Hai Veham)

धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें Join Now

मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम,
एक तू ही है मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥

मिलता सब कुछ,
दरबार में तेरे जो भी आता है,
लो आ गई मैं भी दर पे,
मुझको भी हो कृपा,
मेरी सुनले बाबा,
बाणधारी खाटू के चमन,
एक तू ही हैं मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥

चलना साथ हरदम,
बाबा मैं विश्वास लाइ हूँ,
दुनिया से हार गई हूँ,
तेरे दर पे आई हूँ,
रहना हरपल बाबा,
साथ मेरे तुझे है कसम,
एक तू ही हैं मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥

आऊं नगरी तेरी तो,
मैं बस तेरी हो जाऊं,
तेरे दर्शन जो कर लूँ,
मैं तुझमे खो जाऊं,
तेरे मिलने की दुरी अब,
हुई है ख़तम,
एक तू ही हैं मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥

मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम,
एक तू ही है मेरा,
बाकी सब है वहम,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम ॥

एक तू ही है मेरा, बाकी सब है वहम: भजन (गहन अर्थ)

यह भजन केवल शब्दों का संकलन नहीं है; यह भक्त के आंतरिक भाव, संघर्ष, और ईश्वर के प्रति संपूर्ण समर्पण का गहन प्रतीक है। प्रत्येक पंक्ति आत्मा के आंतरिक संघर्ष और बाहरी संसार से परे ईश्वर की खोज को दर्शाती है। आइए, इस भजन के प्रत्येक अंश को विस्तार से समझें, जिसमें आध्यात्मिक गहराई, मनोवैज्ञानिक पहलू, और दार्शनिक दृष्टिकोण निहित हैं।

यह भी जानें:  आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी - भजन (Aapne Apna Banaya Meharbani Aapki)

मेरे बाबा साथ, छोड़ना ना तुझे है कसम

गहराई से विश्लेषण:

“मेरे बाबा साथ” से यह स्पष्ट होता है कि भक्त अपने आराध्य को केवल किसी मूर्ति या व्यक्ति में नहीं, बल्कि हर समय अपने साथ रहने वाली एक ऊर्जा या शक्ति के रूप में देखता है। “छोड़ना ना तुझे है कसम” का अर्थ है, यह वचन आत्मा और परमात्मा के बीच एक अटूट बंधन का प्रतीक है।

दार्शनिक दृष्टिकोण:

यह पंक्ति दर्शाती है कि ईश्वर के साथ यह संबंध बाहरी नहीं, बल्कि भीतरी है। जब भक्त कहता है “छोड़ना ना,” वह वास्तव में यह स्वीकार कर रहा है कि संसार की हर स्थिति में, सुख या दुख में, ईश्वर का स्मरण ही जीवन की संजीवनी है।

मनोवैज्ञानिक पहलू:

यह वचन आत्म-शक्ति को जागृत करने का एक साधन है। जब हम किसी अदृश्य शक्ति को अपनी जीवनरेखा मानते हैं, तो हम कठिन समय में भी टूटते नहीं।


एक तू ही है मेरा, बाकी सब है वहम

गहराई से विश्लेषण:

“एक तू ही है मेरा” में भक्त यह स्वीकार करता है कि सृष्टि का मूल आधार केवल ईश्वर है। “बाकी सब है वहम” का अर्थ है कि सांसारिक रिश्ते, धन, और वस्तुएं केवल एक भ्रम हैं जो हमें सच्चाई से भटकाते हैं।

अद्वैत दृष्टिकोण:

यह श्लोक शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत की ओर इशारा करता है, जो यह कहता है कि केवल ब्रह्म (ईश्वर) ही सत्य है और बाकी सब मिथ्या। भक्त इस सत्य को आत्मसात करता है और हर सांसारिक माया को एक भ्रम मानकर अपने आराध्य में लीन हो जाता है।

व्यावहारिक सीख:

यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि संसार में जो कुछ भी है, वह क्षणिक है। जो स्थायी है, वह केवल ईश्वर के साथ हमारा संबंध है।

यह भी जानें:  सजे मत श्याम नजर लग जाएगी भजन लिरिक्स - Saje Mat Shyam Nazar Lag Jayegi Bhajan Lyrics - Hinduism FAQ

मिलता सब कुछ, दरबार में तेरे जो भी आता है

गहराई से विश्लेषण:

यह पंक्ति ईश्वर के दरबार की असीम कृपा को प्रकट करती है। “मिलता सब कुछ” का तात्पर्य केवल भौतिक वस्तुओं से नहीं है, बल्कि आंतरिक शांति, आध्यात्मिक ज्ञान, और आत्म-संतोष से है।

दार्शनिक दृष्टिकोण:

ईश्वर का दरबार वह स्थान है, जहां हर आत्मा अपने सांसारिक संघर्षों से मुक्त हो जाती है। “जो भी आता है” यह दर्शाता है कि केवल सच्चे मन से आने वाले ही ईश्वर की कृपा का अनुभव कर सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक पहलू:

यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि जीवन में शांति और संतोष के लिए ईश्वर के प्रति समर्पण और विश्वास आवश्यक है।


लो आ गई मैं भी दर पे, मुझको भी हो कृपा

गहराई से विश्लेषण:

यहां भक्त की गहरी प्रार्थना प्रकट होती है। “मुझको भी हो कृपा” का अर्थ है कि भक्त अपने जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए ईश्वर की ओर देखता है।

आत्मा की पुकार:

यह पंक्ति आत्मा की प्रबल इच्छा को व्यक्त करती है, जो संसार के भ्रम को त्यागकर ईश्वर के साथ एकाकार होना चाहती है। यह ईश्वर से जुड़ने की प्राथमिक अवस्था है।

आध्यात्मिक अर्थ:

ईश्वर की कृपा का अर्थ केवल संकटों का अंत नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और ईश्वर के प्रति पूर्ण आत्मसमर्पण है।


मेरी सुनले बाबा, बाणधारी खाटू के चमन

गहराई से विश्लेषण:

“बाणधारी” भगवान के उस स्वरूप को इंगित करता है जो संसार के अन्याय और बुराई को नष्ट करने के लिए सदैव तत्पर है। “खाटू के चमन” में भक्त खाटू श्याम जी की नगरी को दिव्य और अलौकिक मानकर अपनी भक्ति को व्यक्त करता है।

प्रतीकात्मक अर्थ:

यह पंक्ति ईश्वर की सार्वभौमिक रक्षा और न्यायकारी स्वरूप को उजागर करती है। यह विश्वास जताती है कि ईश्वर न केवल हमारी रक्षा करेंगे, बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करेंगे।


चलना साथ हरदम, बाबा मैं विश्वास लाई हूँ

गहराई से विश्लेषण:

यहां भक्त का विश्वास स्पष्ट रूप से प्रकट होता है। “हरदम” और “विश्वास लाई हूँ” से यह संकेत मिलता है कि भक्त अब अपने संपूर्ण जीवन को भगवान को समर्पित कर चुका है।

मनोवैज्ञानिक पहलू:

भक्त का यह विश्वास उसकी मानसिक स्थिति को भी स्थिर और संतुलित बनाता है। ईश्वर पर विश्वास हमें अनिश्चितता और भय से मुक्त करता है।

यह भी जानें:  औघड़ बम बम बम भांग धतूरा पिए हलाहल और लगाए दम - Oghad Bam Bam Bam Bhang Dhatura Piye Halahal Aur Lagaye Dam - Hinduism FAQ

आत्मा का संदेश:

यह पंक्ति हमें सिखाती है कि सच्चा विश्वास और समर्पण ही जीवन की सभी समस्याओं का समाधान है।


दुनिया से हार गई हूँ, तेरे दर पे आई हूँ

गहराई से विश्लेषण:

यह पंक्ति भक्त की पीड़ा और संघर्ष का प्रतिनिधित्व करती है। “दुनिया से हार गई हूँ” का अर्थ है कि सांसारिक प्रयासों में असफल होकर, भक्त ने आत्मसमर्पण के मार्ग को चुना है।

दार्शनिक दृष्टिकोण:

जब व्यक्ति संसार में असफल हो जाता है, तो वह आत्म-चिंतन करता है और उसे समझ आता है कि सांसारिक सुख-दुख क्षणिक हैं।

आध्यात्मिक सीख:

यह पंक्ति हमें बताती है कि असफलता का मतलब अंत नहीं है; यह आत्मा को उसकी वास्तविकता की ओर ले जाने वाला एक मार्ग है।


आऊं नगरी तेरी तो, मैं बस तेरी हो जाऊं

गहराई से विश्लेषण:

“नगरी तेरी” से यह संकेत मिलता है कि भक्त संसार को छोड़कर भगवान के दिव्य लोक में प्रवेश करना चाहता है। “बस तेरी हो जाऊं” पूर्ण आत्मसमर्पण का प्रतीक है।

अद्वैत दृष्टिकोण:

यह पंक्ति स्पष्ट करती है कि आत्मा की अंतिम यात्रा भगवान में विलीन हो जाना है। यह भक्ति का सर्वोच्च स्तर है।


तेरे दर्शन जो कर लूँ, मैं तुझमें खो जाऊं

गहराई से विश्लेषण:

यहां भक्त अपनी आत्मा और ईश्वर के बीच की दूरी को मिटाने की इच्छा व्यक्त करता है। “मैं तुझमें खो जाऊं” का अर्थ है कि भक्त अपनी पहचान और अहंकार को त्यागकर ईश्वर में विलीन होना चाहता है।

उपनिषदों का संदेश:

यह पंक्ति “तत्त्वमसि” (तू ही वह है) के सिद्धांत को दर्शाती है। यह आत्मा और परमात्मा के एकाकार होने की अवस्था है।


समापन:

यह भजन भक्त और भगवान के बीच की निकटता, विश्वास, और अटूट प्रेम का गहन प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि संसारिक मोह और माया से ऊपर उठकर केवल भगवान की शरण ही वास्तविक शांति और संतोष प्रदान कर सकती है। यह भजन जीवन के हर स्तर पर भगवान की महिमा और उनकी उपस्थिति को महसूस करने का संदेश देता है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

You may also like