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नटराज स्तुति

“सत सृष्टि तांडव रचयिता” एक भजन है जो भगवान शिव को समर्पित है। इसमें भगवान शिव के तांडव नृत्य और उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है। आइए इस भजन को हिंदी में विस्तार से समझते हैं:

पहले श्लोक का अर्थ:

सत सृष्टि तांडव रचयिता
नटराज राज नमो नमः ।
हे आद्य गुरु शंकर पिता
नटराज राज नमो नमः ॥

  • सत सृष्टि तांडव रचयिता: सत्य के सृष्टि (सृजन) के तांडव के रचयिता।
  • नटराज राज नमो नमः: नटराज के राजा को नमस्कार।
  • हे आद्य गुरु शंकर पिता: हे प्रारंभिक गुरु और शिव के रूप में पिता।
  • नटराज राज नमो नमः: नटराज के राजा को नमस्कार।

दूसरे श्लोक का अर्थ:

गंभीर नाद मृदंगना
धबके उरे ब्रह्माडना ।
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नमः ॥

  • गंभीर नाद मृदंगना: गहरी आवाज़ और मृदंग की ध्वनि।
  • धबके उरे ब्रह्माडना: ब्रह्मांड में गूंजती है।
  • नित होत नाद प्रचंडना: प्रतिदिन प्रचंड ध्वनि उत्पन्न होती है।
  • नटराज राज नमो नमः: नटराज के राजा को नमस्कार।

तीसरे श्लोक का अर्थ:

शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा
चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां ।
विषनाग माला कंठ मां
नटराज राज नमो नमः ॥

  • शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा: ज्ञान के प्रतीक गंगा और चंद्रमा।
  • चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां: उनके ललाट में चिद्ब्रह्म की ज्योति (प्रकाश)।
  • विषनाग माला कंठ मां: उनके गले में विष नाग की माला।
  • नटराज राज नमो नमः: नटराज के राजा को नमस्कार।
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चौथे श्लोक का अर्थ:

तवशक्ति वामांगे स्थिता
हे चंद्रिका अपराजिता ।
चहु वेद गाए संहिता
नटराज राज नमोः ॥

  • तवशक्ति वामांगे स्थिता: तुम्हारी शक्ति तुम्हारे बाएँ अंग में स्थित है।
  • हे चंद्रिका अपराजिता: हे चंद्रमा के समान अप्रतिहत (अपराजित)।
  • चहु वेद गाए संहिता: चारों वेद तुम्हारी स्तुति गाते हैं।
  • नटराज राज नमो नमः: नटराज के राजा को नमस्कार।

यह भजन भगवान शिव की महानता, उनकी शक्ति और उनके तांडव नृत्य को समर्पित है। नटराज के रूप में, शिव को नृत्य का देवता माना जाता है और यह भजन उनके अद्वितीय रूप की वंदना करता है।

निश्चित रूप से, यह भजन भगवान शिव के नटराज रूप की महिमा और उनके विभिन्न गुणों को रेखांकित करता है। यहाँ कुछ और विवरण प्रस्तुत हैं:

नटराज का महत्व

नटराज भगवान शिव का एक रूप है, जिसमें वे एक तांडव नृत्य कर रहे होते हैं। यह नृत्य ब्रह्मांड के सृजन, पालन और संहार का प्रतीक है। नटराज को चार हाथों वाले देवता के रूप में दर्शाया जाता है, जो अपने एक पैर से एक छोटे राक्षस को दबाते हुए नृत्य कर रहे होते हैं। यह राक्षस अज्ञानता का प्रतीक है। उनके दूसरे पैर को हवा में उठाए हुए दिखाया जाता है, जो आत्मज्ञान की ओर इशारा करता है।

नटराज की मूर्ति का वर्णन:

  • डमरू: उनके एक हाथ में डमरू होता है, जो ध्वनि और लय का प्रतीक है।
  • अग्नि: दूसरे हाथ में अग्नि होती है, जो संहार (विनाश) का प्रतीक है।
  • अभय मुद्रा: एक हाथ अभय मुद्रा में होता है, जो भयमुक्ति और संरक्षण का प्रतीक है।
  • गज हस्त मुद्रा: एक हाथ नीचे की ओर इशारा करता है, जो यह दर्शाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों के लिए सुलभ हैं।
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तांडव नृत्य का अर्थ:

तांडव नृत्य भगवान शिव का प्रमुख नृत्य है, जिसे उन्होंने सृष्टि के रचयिता, पालनकर्ता और संहारकर्ता के रूप में प्रदर्शित किया है। इस नृत्य के माध्यम से वे ब्रह्मांड की स्थिरता और परिवर्तनशीलता को प्रदर्शित करते हैं।

  • सृजन (Creation): डमरू की ध्वनि से ब्रह्मांड की उत्पत्ति।
  • पालन (Preservation): नृत्य की लय से सृष्टि का पालन।
  • संहार (Destruction): अग्नि से संहार, जो नई सृष्टि का मार्ग प्रशस्त करता है।

नटराज की पूजा

भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ होते हैं:

  • आध्यात्मिक जागृति: नटराज की पूजा से आत्मज्ञान और आध्यात्मिक प्रगति होती है।
  • अज्ञानता का नाश: यह पूजा अज्ञानता और बुराईयों का नाश करती है।
  • कलात्मक प्रेरणा: नटराज को कला और नृत्य का देवता माना जाता है, जिससे कलाकारों को प्रेरणा मिलती है।
  • मानसिक शांति: नटराज की पूजा से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

नटराज की कथा:

नटराज की कथा भगवान शिव के अनेक लीला प्रसंगों में से एक है। एक बार जब भगवान शिव का नृत्य अदृश्य रूप में होता है, तो इसका प्रभाव संपूर्ण ब्रह्मांड पर पड़ता है। यह नृत्य केवल भौतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी होता है, जिससे जीवों के कर्मों का फल प्राप्त होता है और उन्हें मुक्ति का मार्ग मिलता है।

इस प्रकार, “सत सृष्टि तांडव रचयिता” भजन भगवान शिव के नटराज रूप की अद्वितीय महिमा का गान है, जो भक्तों को शिव की कृपा और उनके अनंत गुणों की याद दिलाता है।

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