ॐ जय महावीर प्रभु,
स्वामी जय महावीर प्रभो ।
जगनायक सुखदायक,
अति गम्भीर प्रभो ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥
कुण्डलपुर में जन्में,
त्रिशला के जाये ।
पिता सिद्धार्थ राजा,
सुर नर हर्षाए ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥
दीनानाथ दयानिधि,
हैं मंगलकारी ।
जगहित संयम धारा,
प्रभु परउपकारी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥
पापाचार मिटाया,
सत्पथ दिखलाया ।
दयाधर्म का झण्डा,
जग में लहराया ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥
अर्जुनमाली गौतम,
श्री चन्दनबाला ।
पार जगत से बेड़ा,
इनका कर डाला ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥
पावन नाम तुम्हारा,
जगतारणहारा ।
निसिदिन जो नर ध्यावे,
कष्ट मिटे सारा ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥
करुणासागर! तेरी,
महिमा है न्यारी ।
ज्ञानमुनि गुण गावे,
चरणन बलिहारी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥
ॐ जय महावीर प्रभु,
स्वामी जय महावीर प्रभो ।
जगनायक सुखदायक,
अति गम्भीर प्रभो ॥
ॐ जय महावीर प्रभु आरती का अर्थ
ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभो
इस पंक्ति में भगवान महावीर की स्तुति की जा रही है। ‘जय’ का अर्थ है विजय, और इस प्रकार यह पंक्ति भगवान महावीर की महिमा को प्रकट करती है। महावीर स्वामी को सर्वोच्च प्रभु के रूप में स्वीकार किया जाता है और उन्हें सम्मानपूर्वक प्रणाम किया जा रहा है।
जगनायक सुखदायक, अति गम्भीर प्रभो
भगवान महावीर को ‘जगनायक’ कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे समस्त संसार के नेता हैं। वे ‘सुखदायक’ हैं, अर्थात् अपने उपदेशों और मार्गदर्शन से संसार को शांति और आनंद प्रदान करने वाले हैं। ‘अति गम्भीर’ का अर्थ है कि उनका व्यक्तित्व और ज्ञान गहरे और गंभीर हैं, जो जीवन की वास्तविकता को समझने में मदद करता है।
कुण्डलपुर में जन्में, त्रिशला के जाये
भगवान महावीर का जन्म ‘कुण्डलपुर’ में हुआ था और वे महारानी त्रिशला के पुत्र थे। इस पंक्ति में भगवान महावीर के जन्मस्थल और माता का वर्णन किया गया है। त्रिशला देवी का स्वप्न भगवान महावीर के भविष्य के संकेतों को प्रकट करता है।
पिता सिद्धार्थ राजा, सुर नर हर्षाए
भगवान महावीर के पिता महाराज सिद्धार्थ थे, जो एक शक्तिशाली राजा थे। इस पंक्ति में बताया गया है कि जब भगवान महावीर का जन्म हुआ, तो देवताओं (सुर) और मनुष्यों (नर) ने हर्ष और आनंद व्यक्त किया।
दीनानाथ दयानिधि, हैं मंगलकारी
भगवान महावीर को ‘दीनानाथ’ कहा गया है, अर्थात वे दीन-दुखियों के पालनहार हैं। ‘दयानिधि’ का अर्थ है कि वे दया और करुणा के सागर हैं। इस पंक्ति में भगवान महावीर को दयालु और संसार के लिए मंगलकारी बताया गया है, जो सभी के कल्याण के लिए काम करते हैं।
जगहित संयम धारा, प्रभु परउपकारी
भगवान महावीर ने अपने जीवन में संयम और अनुशासन की धारा बहाई, जो संसार के हित में थी। वे ‘परउपकारी’ थे, अर्थात् वे अपने उपदेशों और कर्मों से दूसरों का भला करने वाले थे। उनका जीवन अनुशासन और संयम का प्रतीक है, जिससे जगत को सही राह दिखी।
पापाचार मिटाया, सत्पथ दिखलाया
भगवान महावीर ने अपने उपदेशों से पापों और बुराइयों को समाप्त किया। ‘पापाचार’ का अर्थ है पापमूलक कर्म, जिन्हें भगवान महावीर ने मिटाया। उन्होंने ‘सत्पथ’ अर्थात् सच्चे मार्ग का परिचय दिया और लोगों को नैतिकता और अहिंसा का पालन करने के लिए प्रेरित किया।
दयाधर्म का झण्डा, जग में लहराया
भगवान महावीर ने ‘दयाधर्म’ का प्रचार किया, यानी करुणा और अहिंसा पर आधारित धर्म की स्थापना की। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से इस धर्म का झण्डा पूरे संसार में फैलाया, जो उनके जीवन का मूल उद्देश्य था।
अर्जुनमाली गौतम, श्री चन्दनबाला
इस पंक्ति में भगवान महावीर के प्रमुख शिष्यों का उल्लेख किया गया है। अर्जुनमाली, गौतम स्वामी और चन्दनबाला उनके मुख्य अनुयायी थे, जिन्होंने उनके उपदेशों का पालन किया और उनके संदेश को आगे बढ़ाया। ये शिष्य उनके सच्चे अनुयायी थे और भगवान महावीर की शिक्षाओं को जगत में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पार जगत से बेड़ा, इनका कर डाला
भगवान महावीर ने अपने अनुयायियों को संसार के दुखों और मोह-माया से पार लगाने में मदद की। ‘बेड़ा पार करना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है जीवन के संघर्षों से मुक्त होना और मोक्ष प्राप्त करना। भगवान महावीर ने अपने शिष्यों को इस संसार से मोक्ष दिलाने में मार्गदर्शन किया।
पावन नाम तुम्हारा, जगतारणहारा
भगवान महावीर का नाम ‘पावन’ अर्थात् पवित्र है। उनका नाम ही संसार के दुखों को दूर करने वाला और संसार को तारने वाला है। जो व्यक्ति भगवान महावीर का ध्यान करता है, उसके सभी कष्ट और पीड़ाएं समाप्त हो जाती हैं।
निसिदिन जो नर ध्यावे, कष्ट मिटे सारा
जो भी व्यक्ति दिन-रात भगवान महावीर का ध्यान करता है, उसके सारे दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यहां ध्यान करने का अर्थ है उनकी शिक्षाओं का पालन करना और जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त करना।
करुणासागर! तेरी, महिमा है न्यारी
भगवान महावीर को ‘करुणासागर’ कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे करुणा और दया के सागर हैं। उनकी महिमा अनोखी है, जो संसार के सभी जीवों के लिए प्रेम और सहानुभूति से भरी हुई है।
ज्ञानमुनि गुण गावे, चरणन बलिहारी
‘ज्ञानमुनि’ यानी जो व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करना चाहता है, वह भगवान महावीर के गुणों का गुणगान करता है। उनके चरणों में समर्पण करने वाले उनके भक्त उनके ज्ञान और उपदेशों से जीवन को सही दिशा देते हैं।
समापन
भगवान महावीर की महिमा अद्वितीय और पवित्र है।