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कर्पूरगौरं करुणावतारं,

संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदावसन्तं हृदयारविन्दे,

भवं भवानीसहितं नमामि॥

हिन्दी अनुवाद

इस मंत्र की विशेषता यह है कि यह भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की भी स्तुति करता है, जो अद्वैत और भक्ति का अद्वितीय मेल है। आइए इसे और विस्तार से समझते हैं:

  1. कर्पूरगौरं: कर्पूर (कपूर) सफेदी और पवित्रता का प्रतीक है। भगवान शिव का रंग कर्पूर के समान उज्ज्वल और शीतल है, जो उनकी शांति और निर्मलता को दर्शाता है। यह हमें सिखाता है कि हमें भी अपने जीवन में पवित्रता और शांति का पालन करना चाहिए।
  2. करुणावतारं: भगवान शिव का करुणामय स्वभाव सभी जीवों के प्रति उनकी अनुकंपा को दर्शाता है। वे त्रिपुरारी हैं, जिन्होंने त्रिपुरासुर का संहार किया और भक्तों की रक्षा की। उनकी करुणा हमें सिखाती है कि हमें भी दूसरों के प्रति दयालु और संवेदनशील होना चाहिए।
  3. संसारसारं: भगवान शिव संसार के सार और सत्य को जानते हैं। वे योगीश्वर हैं, जो ध्यान और समाधि के माध्यम से ब्रह्मांड के रहस्यों को समझते हैं। यह हमें प्रेरित करता है कि हमें भी आत्मज्ञान और सत्य की खोज में लगे रहना चाहिए।
  4. भुजगेन्द्रहारम्: उनके गले में नागों का हार उनकी शक्ति और वशीकरण का प्रतीक है। यह उनके निर्भय और साहसी स्वभाव को दर्शाता है, जो हमें सिखाता है कि हमें भी जीवन के चुनौतियों का सामना निर्भीकता से करना चाहिए।
  5. सदावसन्तं हृदयारविन्दे: भगवान शिव और माता पार्वती अपने भक्तों के हृदय में सदा वास करते हैं। यह दर्शाता है कि भक्ति और प्रेम से भगवान हमारे हृदय में निवास करते हैं। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने हृदय को प्रेम, भक्ति, और पवित्रता से भरना चाहिए।
  6. भवं भवानीसहितं नमामि: यह मंत्र भगवान शिव और माता पार्वती को संयुक्त रूप से नमन करता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में संतुलन और सामंजस्य बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। भगवान शिव और माता पार्वती का एक साथ पूजन हमारे जीवन में संतुलन और सामंजस्य लाने का प्रतीक है।
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इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह न केवल एक प्रार्थना है बल्कि एक ध्यान और साधना का साधन भी है। इसके नियमित जाप से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।

इस प्रकार, कर्पूरगौरं मंत्र हमें भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना के माध्यम से जीवन के सर्वोत्तम गुणों को अपनाने और आत्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।

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