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अब चलना मुश्किल हो गया कि करिए कि करिए भजन लिरिक्स – Ab Chalna Mushkil Ho Gaya Ki Kariye Ki Kariye Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह कविता हनुमान और भरत के संवाद पर आधारित है, जिसमें लखन (लक्ष्मण) की स्थिति चिंताजनक है और चलना मुश्किल हो गया है।
  • – भरत हनुमान से लखन की रक्षा के लिए सहायता मांगते हैं, जबकि हनुमान पर्वत उठाकर बूँटी (औषधि) लेने के लिए निकलते हैं।
  • – लखन की हालत गंभीर है, और दर्द से वह मूर्छित होकर राम का नाम लेता है।
  • – भरत हनुमान को प्रोत्साहित करता है कि वे ध्यान लगाकर जल्दी से औषधि लेकर आएं।
  • – कविता में संकट की भावना और चिंता का भाव स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है, साथ ही हनुमान की शक्ति और समर्पण की भी प्रशंसा की गई है।

अब चलना मुश्किल हो गया कि करिए कि करिए,
( तर्ज :- दिल चोरी सांटा हो गया )

शेर :-
जा रहे हनुमत नभ से कर मेँ पर्वत उठाय,
समझ भरत ने आसुरी माया दिया बाण चलाय।
होके मूर्छित पड़ा धरण मेँ मुख से निकला राम राम,
लगा बाण घुटने मेँ दर्द रह्या बहुत सताय॥

अब चलना मुश्किल हो गया,
कि करिए कि करिए,
हो ज्यासी प्रभात,
थर-थर काँपे है गात,
हे प्रभु मैँ क्या करूँ …
बचना लखन का मुश्किल हो गया,
किँ करिए किँ करिए॥
चलना मुश्किल …

बोले भरत सुनो बलवाना,
नाम क्या आपका ये बताना।
कहाँ से आये कहाँ है जाना,
पर्वत पड़ा क्योँ उठाना॥
बोले भरत … कहाँ से …
काम क्या पर्वत से हो गया,
किँ करिए किँ करिए॥१॥
चलना मुश्किल …

नाम हनुमत अंजनी का जाया,
मुर्छित है लखन दुख भारी छाया।
बूँटी लेने मेँ द्रोणाचल आया,
मिली नहीँ तो पर्वत ही उठाया॥
नाम हनुमत … बूँटी लेने …
पहुँचना अब मुश्किल हो गया,
किँ करिए किँ करिए॥२॥
चलना मुश्किल …

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गात मेरा बहुत दुख पाये,
पर्वत उठाया अब ना जाये।
फिकर घणा ये सताये,
लखन को अब कौन बचाये॥
गात मेरा … फिकर …
हे प्रभु क्या से क्या यह हो गया,
किँ करिए किँ करिए॥३॥
चलना मुश्किल …

कहे भरत चिन्ता न करो मनमेँ,
बैठो बाण पर पहुँचादू पल छिन मेँ।
हनुमत ने ध्यान प्रभु का लगाया,
चल पड़े उड़कर गगन मेँ॥
कहे भरत … हनुमत …
कहे ‘खेदड़’ पवन वेग हो गया,
किँ करिए किँ करिए॥४॥
चलना मुश्किल …

अब चलना मुश्किल हो गया,
कि करिए कि करिए,
हो ज्यासी प्रभात,
थर-थर काँपे है गात,
हे प्रभु मैँ क्या करूँ …
बचना लखन का मुश्किल हो गया,
किँ करिए किँ करिए॥
चलना मुश्किल … “By Pkhedar”

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