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आत्मा रामा आनंद रमना: मंत्र in Hindi/Sanskrit

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरि नारायण
अच्युत केशव हरि नारायण

भवभय हरणा वंदित चरणा
भवभय हरणा वंदित चरणा
रघुकुलभूषण राजीवलोचन
रघुकुलभूषण राजीवलोचन

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरि नारायण
अच्युत केशव हरि नारायण

आदिनारायण अनन्तशयना
आदिनारायण अनन्तशयना
सच्चिदानन्द श्रीसत्यनारायण
सच्चिदानन्द श्रीसत्यनारायण

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरि नारायण
अच्युत केशव हरि नारायण

Atma Rama Ananda Ramana in English

Atma Rama Anand Ramana
Atma Rama Anand Ramana
Achyuta Keshava Hari Narayana
Achyuta Keshava Hari Narayana

Bhavabhaya Harana Vandita Charana
Bhavabhaya Harana Vandita Charana
Raghukulabhushana Rajivalochana
Raghukulabhushana Rajivalochana

Atma Rama Anand Ramana
Atma Rama Anand Ramana
Achyuta Keshava Hari Narayana
Achyuta Keshava Hari Narayana

Adinarayana Anantashayana
Adinarayana Anantashayana
Satchidananda Shri Satyanarayana
Satchidananda Shri Satyanarayana

Atma Rama Anand Ramana
Atma Rama Anand Ramana
Achyuta Keshava Hari Narayana
Achyuta Keshava Hari Narayana

आत्मा रामा आनंद रमना PDF Download

आत्मा रामा आनंद रमना का अर्थ

आत्मा रामा आनंद रमना का अर्थ है कि आत्मा, जो स्वयं परम आनंद में रमण करती है। यह वाक्य आध्यात्मिक दृष्टिकोण से उस स्थिति की बात करता है जब व्यक्ति की आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है और उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है। इस अवस्था में सभी दुःख और भय समाप्त हो जाते हैं और आत्मा केवल आनंद में रमण करती है।

आत्मा और आनंद का संबंध

आत्मा और आनंद का सीधा संबंध है। जब आत्मा स्वयं की पहचान और सत्य स्वरूप को जान लेती है, तब वह आनंद का अनुभव करती है। यह आनंद किसी बाहरी कारण पर निर्भर नहीं होता, यह आत्मा का स्वाभाविक गुण है।

आत्मा की शांति

आत्मा की शांति तभी संभव है जब वह अपने असली स्वरूप को पहचान ले। इस अवस्था में आत्मा न तो किसी प्रकार के सांसारिक मोह-माया में फंसती है और न ही किसी प्रकार के दुःख का अनुभव करती है।

अच्युत केशव हरि नारायण

अच्युत का अर्थ है ‘जो कभी गिरता नहीं’, अर्थात भगवान विष्णु। केशव श्रीकृष्ण का एक नाम है, जिसका अर्थ है ‘लंबे बालों वाले’ या ‘जो ब्रह्मा और शिव के स्वामी हैं’। हरि का अर्थ है ‘जो सभी पापों को हर लेता है’। नारायण का अर्थ है ‘जो जल में वास करता है’ और यह भगवान विष्णु का एक विशेष नाम है।

विष्णु के विभिन्न नाम और उनके अर्थ

भगवान विष्णु के अलग-अलग नाम उनके विभिन्न रूपों और कार्यों का बोध कराते हैं।

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अच्युत

अच्युत का अर्थ है जो कभी नहीं गिरता, जो अपनी स्थिति से कभी विचलित नहीं होता। यह नाम भगवान विष्णु के शाश्वत और अटल स्वरूप का परिचायक है।

केशव

केशव नाम का अर्थ है ‘जो केश (बाल) से युक्त हो’। यह भगवान विष्णु के मोहक रूप और उनकी सुंदरता का बोध कराता है।

हरि

हरि का अर्थ है जो सभी प्रकार के पापों को हर लेता है। यह नाम भगवान विष्णु की करुणा और दयालुता का प्रतीक है।

नारायण

नारायण का अर्थ है जो जल में निवास करता है। यह नाम भगवान विष्णु के प्रथम रूप की ओर संकेत करता है, जब वे जल में शयन करते थे।

भवभय हरणा वंदित चरणा

भवभय हरणा का अर्थ है ‘संसार के भय को हरने वाले’। यह नाम भगवान विष्णु की उस शक्ति को दर्शाता है जिससे वे सभी प्रकार के सांसारिक कष्टों और भय को हर लेते हैं। वंदित चरणा का अर्थ है ‘जिनके चरणों की वंदना की जाती है’। यह भगवान के उस आदरणीय रूप का बोध कराता है, जिनके चरणों की सभी देवता और भक्त वंदना करते हैं।

भगवान विष्णु का कल्याणकारी रूप

भगवान विष्णु का मुख्य कार्य सभी प्राणियों को संसार के कष्टों और भय से मुक्त करना है। वे अपने भक्तों को अपने चरणों में स्थान देते हैं और उन्हें शांति और मोक्ष प्रदान करते हैं।

रघुकुलभूषण राजीवलोचन

रघुकुलभूषण का अर्थ है ‘रघुकुल का आभूषण’, अर्थात भगवान श्रीराम, जो रघुकुल वंश के गौरव हैं। राजीवलोचन का अर्थ है ‘कमल के समान नेत्रों वाले’। यह नाम भगवान श्रीराम की सुंदरता और उनकी शांति का परिचायक है।

भगवान श्रीराम का स्वरूप

भगवान श्रीराम रघुकुल के सबसे बड़े रत्न हैं। उनका जीवन धर्म, सत्य और मर्यादा का प्रतीक है। उनके नेत्रों की सुंदरता और उनके चेहरे की शांति सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है।

आदिनारायण अनन्तशयना

आदिनारायण का अर्थ है ‘सभी प्राणियों के आदिदेव’। यह नाम भगवान विष्णु की सर्वव्यापकता और उनकी सृष्टि की रचना करने की क्षमता को दर्शाता है। अनन्तशयना का अर्थ है ‘जो अनन्त शय्या (शेषनाग) पर शयन करते हैं’। यह नाम भगवान विष्णु की उस अवस्था का प्रतीक है जब वे शेषनाग पर शयन करते हुए संसार की रक्षा करते हैं।

भगवान विष्णु की सर्वव्यापकता

भगवान विष्णु सृष्टि के रचयिता, पालक और संहारक हैं। वे हर जगह विद्यमान हैं और उनके बिना सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं है। वे शेषनाग पर शयन करते हैं और संसार की समस्त गतिविधियों पर नियंत्रण रखते हैं।

सच्चिदानन्द श्रीसत्यनारायण

सच्चिदानन्द का अर्थ है ‘सत्-चित-आनन्द’ अर्थात जो सत्य, चेतना और आनंद का प्रतीक हो। यह नाम भगवान के उस रूप का प्रतीक है जो सदा शाश्वत, चेतन और आनंदमय है। श्रीसत्यनारायण का अर्थ है ‘सत्य के प्रतीक भगवान नारायण’। यह नाम भगवान के सत्य और धर्म के प्रति अडिग रहने की भावना को दर्शाता है।

भगवान सत्यनारायण का महत्व

भगवान सत्यनारायण सत्य और धर्म के प्रतीक हैं। उनका पूजन हर शुभ कार्य की शुरुआत में किया जाता है ताकि सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण हों। वे अपने भक्तों को सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

आत्मा रामा आनंद रमना का गूढ़ अर्थ

आत्मा रामा आनंद रमना एक गहरा आध्यात्मिक वाक्यांश है, जो आत्मा की उस अवस्था की ओर संकेत करता है जहाँ वह परमात्मा में विलीन होकर पूर्ण आनंद का अनुभव करती है। यह अवस्था किसी बाहरी सुख या भौतिक वस्तु से नहीं, बल्कि आत्मा के अपने स्वभाव से उत्पन्न होती है।

आत्मा का स्वाभाविक आनंद

आत्मा का स्वाभाविक स्वभाव आनंदित होना है। जब आत्मा अपने सत्य स्वरूप को पहचान लेती है और माया के बंधनों से मुक्त हो जाती है, तब वह परम शांति और आनंद का अनुभव करती है। यह अवस्था केवल उच्च आध्यात्मिक साधना और ज्ञान द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है।

आत्म-साक्षात्कार की महत्ता

आत्म-साक्षात्कार का अर्थ है आत्मा का स्वयं के सत्य स्वरूप को पहचानना। जब आत्मा स्वयं को शरीर, मन और बुद्धि से अलग अनुभव करती है और अपने शुद्ध अस्तित्व को जान लेती है, तभी वह सच्चे आनंद का अनुभव करती है। यह साक्षात्कार मोक्ष की ओर पहला कदम है।

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ध्यान और साधना का महत्व

ध्यान और साधना आत्मा को परमात्मा के निकट लाने के महत्वपूर्ण साधन हैं। इनसे आत्मा की शुद्धि होती है और वह संसारिक बंधनों से मुक्त होकर आनंद में रमण करती है।

भक्ति मार्ग का महत्व

भक्ति मार्ग, जिसमें भक्त भगवान के प्रति सम्पूर्ण समर्पण करता है, आत्मा को आनंद की अवस्था में पहुँचाने का सरल और सहज तरीका है। यह मार्ग हर व्यक्ति के लिए सुलभ है और इसमें किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती।

अच्युत केशव हरि नारायण की उपासना

अच्युत केशव हरि नारायण भगवान विष्णु के चार प्रमुख नाम हैं, जिनके माध्यम से उनके चार मुख्य गुणों का वर्णन किया गया है। इन नामों का जप और स्मरण भक्तों के मन को शांति और संतोष प्रदान करता है।

अच्युत: अडिग और अचल

अच्युत का अर्थ है ‘जो कभी गिरता नहीं’ या ‘जो कभी पतित नहीं होता’। भगवान विष्णु को अच्युत कहा जाता है क्योंकि वे शाश्वत और अडिग हैं। उनकी कृपा कभी भी नष्ट नहीं होती और वे सदैव भक्तों के कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं।

अच्युत नाम के लाभ

अच्युत नाम का जप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है। यह नाम सभी प्रकार के मानसिक क्लेशों और भय से मुक्ति दिलाता है।

केशव: सृष्टि के स्वामी

केशव नाम का अर्थ है ‘जो ब्रह्मा और शिव के स्वामी हैं’। भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार और संहारक माना जाता है। वे ही सृष्टि की रचना, पालन और संहार करते हैं।

केशव नाम के लाभ

केशव नाम का स्मरण करने से व्यक्ति को जीवन में स्थिरता और शांति प्राप्त होती है। यह नाम सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

हरि: पापों का हरण करने वाले

हरि का अर्थ है ‘जो सभी प्रकार के पापों को हर लेते हैं’। भगवान विष्णु को हरि कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों के सभी पापों और दुखों का नाश करते हैं।

हरि नाम के लाभ

हरि नाम का जप करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है। यह नाम व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करता है।

नारायण: जल में निवास करने वाले

नारायण का अर्थ है ‘जो जल में निवास करते हैं’। भगवान विष्णु को नारायण कहा जाता है क्योंकि वे आदिकाल में जल में शयन करते थे और सृष्टि की रचना करते थे।

नारायण नाम के लाभ

नारायण नाम का स्मरण व्यक्ति को सभी प्रकार के भय और दुःख से मुक्त करता है। यह नाम व्यक्ति को भगवान की कृपा का अनुभव कराता है।

भवभय हरणा वंदित चरणा का महत्व

भवभय हरणा वंदित चरणा का अर्थ है ‘जो संसार के भय को हरने वाले और जिनके चरणों की वंदना की जाती है’। यह वाक्य भगवान विष्णु के उस रूप का वर्णन करता है जिसमें वे अपने भक्तों को संसार के कष्टों और भय से मुक्त करते हैं।

भवसागर से मुक्ति

भवसागर अर्थात संसार रूपी सागर में फंसे हुए प्राणी को भगवान विष्णु की कृपा ही मुक्ति प्रदान कर सकती है। वे अपने भक्तों के सभी कष्टों का नाश करते हैं और उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं।

वंदित चरणों का महत्व

भगवान विष्णु के चरणों की वंदना करने से भक्त को असीम शांति और सुख की प्राप्ति होती है। उनके चरणों में सभी देवता और ऋषि-मुनि भी शीश नवाते हैं।

भक्ति और श्रद्धा का महत्व

भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान के चरणों में नतमस्तक होने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है। भगवान विष्णु की कृपा से सभी भय और दुःख का नाश हो जाता है।

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रघुकुलभूषण राजीवलोचन: भगवान श्रीराम की महिमा

रघुकुलभूषण राजीवलोचन भगवान श्रीराम के उन गुणों का वर्णन करता है जिनके कारण वे रघुकुल के भूषण और कमल नेत्र वाले कहलाते हैं। भगवान श्रीराम का जीवन मर्यादा, धर्म और सत्य के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

रघुकुल का गौरव

भगवान श्रीराम रघुकुल वंश के सबसे महान राजा माने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में धर्म और सत्य की जो मर्यादा स्थापित की, वह सभी के लिए आदर्श है।

राजीवलोचन का अर्थ

राजीवलोचन का अर्थ है ‘कमल के समान नेत्रों वाले’। भगवान श्रीराम के नेत्रों की सुंदरता और उनकी शांति का वर्णन इस नाम में किया गया है। उनके नेत्रों में करुणा और प्रेम की झलक मिलती है।

भगवान श्रीराम का जीवन और शिक्षाएं

भगवान श्रीराम का जीवन प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक आदर्श है। उन्होंने अपने जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और सत्य का पालन किया। उनके जीवन से हमें धैर्य, सहनशीलता और त्याग की शिक्षा मिलती है।

आदिनारायण अनन्तशयना का गूढ़ार्थ

आदिनारायण और अनन्तशयना भगवान विष्णु के उन रूपों को दर्शाते हैं जिनमें वे सृष्टि की रचना, पालन और संहार का कार्य करते हैं। यह नाम भगवान की शाश्वतता और अनंतता को दर्शाता है।

आदिनारायण: सृष्टि के प्रारंभकर्ता

आदिनारायण का अर्थ है ‘सृष्टि के आदि देव’। भगवान विष्णु ही सृष्टि के रचयिता, पालनकर्ता और संहारक हैं। वे ही इस सृष्टि के आदिदेव हैं, जिनसे सब कुछ प्रारंभ होता है।

आदिनारायण की उपासना के लाभ

आदिनारायण की उपासना से व्यक्ति को सृष्टि के रहस्यों का ज्ञान होता है। यह उपासना व्यक्ति को जीवन के सभी पहलुओं को समझने की शक्ति देती है।

अनन्तशयना: शेषनाग पर शयन

अनन्तशयना का अर्थ है ‘जो अनन्त शय्या पर शयन करते हैं’। यह नाम भगवान विष्णु की उस अवस्था का प्रतीक है जिसमें वे शेषनाग पर शयन करते हुए सृष्टि का संचालन करते हैं।

अनन्तशयना की उपासना के लाभ

अनन्तशयना की उपासना से व्यक्ति को जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। यह उपासना व्यक्ति को भगवान की अनंत शक्ति का अनुभव कराती है।

सच्चिदानन्द श्रीसत्यनारायण का महत्व

सच्चिदानन्द और श्रीसत्यनारायण भगवान के उन रूपों को दर्शाते हैं जिनमें वे सत्य, चेतना और आनंद के प्रतीक हैं। भगवान सत्यनारायण की उपासना विशेष रूप से कलियुग में की जाती है, ताकि व्यक्ति को जीवन में सत्य और धर्म का मार्ग दिखे।

सच्चिदानन्द: सत्य, चेतना और आनंद

सच्चिदानन्द का अर्थ है ‘सत्-चित-आनन्द’। यह भगवान के उस रूप का प्रतीक है जो सत्य, चेतना और आनंद का स्वरूप है। यह नाम व्यक्ति को भगवान की शाश्वतता और उनके आनंदमय स्वरूप की ओर इंगित करता है।

सच्चिदानन्द की उपासना के लाभ

सच्चिदानन्द की उपासना से व्यक्ति को जीवन में सत्य और आनंद की अनुभूति होती है। यह उपासना मन की शांति और स्थिरता प्रदान करती है।

श्रीसत्यनारायण: सत्य के प्रतीक

श्रीसत्यनारायण का अर्थ है ‘जो

सत्य का प्रतीक हैं’। भगवान सत्यनारायण की उपासना से व्यक्ति को सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

श्रीसत्यनारायण की उपासना के लाभ

श्रीसत्यनारायण की उपासना से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और उसे भगवान की कृपा प्राप्त होती है। यह उपासना व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करती है।

निष्कर्ष

भगवान विष्णु के इन सभी नामों में उनकी महिमा और गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है। वे अपने भक्तों के सभी कष्टों को हरने वाले, संसार के रक्षक और मोक्षदाता हैं। उनकी उपासना से व्यक्ति को शांति, सुख और आनंद की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु के इन नामों का जप और स्मरण करने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है और वह जीवन के सत्य, धर्म और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता है।

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