- – यह गीत भगवान शिव और उनके पुत्र नंदलाल (कृष्ण) के दर्शन की कथा को दर्शाता है, जिसमें शिव संन्यासी वेश में नंदलाल के दर्शन के लिए जाते हैं।
- – माता यशोदा के द्वार पर शिव का आगमन और उनके दर्शन के लिए माता की उत्सुकता और भक्ति का वर्णन किया गया है।
- – गीत में शिव की भयंकर और काला पीला रंग की शक्ल का उल्लेख है, जो भक्तों के मन में डर और श्रद्धा दोनों उत्पन्न करता है।
- – माता यशोदा की ममता और विश्वास कि शिव ही त्रिलोक के नाथ हैं, और उनके आदेश से सब कुछ चलता है, को प्रमुखता दी गई है।
- – शिव और कृष्ण के बीच प्रेम और संवाद का सुंदर चित्रण है, जिसमें दोनों के मिलन और आपसी समझ को दर्शाया गया है।
- – पूरे गीत में भक्ति, श्रद्धा और भगवान के प्रति समर्पण की भावना प्रबल रूप से व्यक्त की गई है।

बम बम बम बम बम भोला,
पहना सन्यासी चोला,
कांधे झोला अनमोला डाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के।।
तर्ज – अम्बे तू है जगदम्बे काली।
देव गणों से विदा मांग शिव,
गोकुल नगरी आए,
माता यशोदा के द्वारे पर,
शिव ने अलख जगाए,
सुनके मैया ना देर लगाई,
दौड़ी दरवाजे आई,
थाली मोतियन भर लाई माल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के।।
ना चाहिए तेरे हीरे मोती,
ना चाहिए तेरी माया,
छोड़ कर पर्वत आया मेरी मैया,
अपने लाल के दरस करा दे,
छोड़कर पर्वत आया,
मैया पूरे भए तेरे सपने,
मैं भी अब जाऊं तपने,
दर्शन करवा दे अपने लाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के।।
रंग है तेरा काला पीला,
शक्ल भयंकर भारी,
लाल मेरो डर के दहलावे,
अभी उमर है बाली,
जोगी कैसे लाला दिखलाऊं,
मन में मैं अत घबराऊं,
पाले क्यों कर पड़वाऊं काल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के।।
तू तो यशोदा भई बावरी,
क्यों मन में घबरावे मेरी मैया,
ता को हुकम बजावे मेरी मैया,
तीनलोक को नाथ काल भी,
ता को हुकम बजावे री मैया,
नाथ त्रिलोक कहाए,
तेने ही गोद खिलाए,
अक्षर क्या शुभ लिखवाए भाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के।।
कान आवाज पड़ी मोहन के,
शिव द्वारे पर आए,
छोड़ के पलना चले कन्हैया,
घुटवन घुटवन धाये,
आकर दोनों ने नैन मिलाएं,
मन ही मन मैं मुस्काए,
महिमा के भेद बताएं हाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के।।
बम बम बम बम बम भोला,
पहना सन्यासी चोला,
कांधे झोला अनमोला डाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के।।
स्वर – राजू बावरा जी।
