मुख्य बिंदु
- – भीमराव अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) और बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध वन्दना अत्यंत लोकप्रिय है।
- – बुद्ध वन्दना में भगवान बुद्ध को “नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स” कहकर सम्मानित किया जाता है।
- – त्रिशरण मंत्र में बुद्ध, धर्म और संघ को शरण लेने का संकल्प व्यक्त किया जाता है।
- – पंचशील में पाँच मुख्य सिद्धांत बताए गए हैं: हिंसा न करना, चोरी न करना, व्यभिचार से बचना, झूठ न बोलना, और मद्यपान से परहेज करना।
- – यह वन्दना और सिद्धांत समाज में शांति, सद्भाव और नैतिकता को बढ़ावा देते हैं।
- – अंत में “भवतु सर्व मंगलं” कहकर सभी के कल्याण की कामना की जाती है।

भजन के बोल
बुद्ध पूर्णिमा के साथ-साथ भीमराव अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) के दिन यह भगवान बुद्ध वन्दना जन-साधारण के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है।
बुद्ध वन्दना
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स ।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स ।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स ।
त्रिशरण
बुद्धं शरणं गच्छामि ।
धर्मं शरणं गच्छामि ।
संघं शरणं गच्छामि ।
दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि ।
दुतियम्पि धम्म सरणं गच्छामि ।
दुतियम्पि संघ सरणं गच्छामि ।
ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि ।
ततियम्पि धम्म सरणं गच्छामि ।
ततियम्पि संघ सरणं गच्छामि ।
पंचशील
1. पाणतिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
2. अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
3. कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
4. मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
5. सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठानावेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
॥ भवतु सर्व मंगलं ॥
साधू साधू साधू॥
