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मुख्य बिंदु
- – कविता में सीता की व्यथा और उसकी मानसिक स्थिति को दर्शाया गया है, जो लंका में कैद है और श्रृंगार नहीं कर पा रही है।
- – रावण द्वारा सीता को तलवार की धमकी दी जाती है, जिससे उसकी स्थिति और भी भयावह हो जाती है।
- – सीता राम को अंगूठी देकर अपनी पीड़ा और हाल बताती है, पर राम उससे दूर हैं।
- – कविता में अंजनीलाल (हनुमान) को संदेश देने और राम तक सीता की व्यथा पहुँचाने का आग्रह किया गया है।
- – यह कविता अयोध्या नाथ (राम) से सीता की स्थिति की जानकारी देने की विनती करती है, जिससे राम उसकी पीड़ा समझ सकें।

भजन के बोल
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
तुम्हारी लाड़ली सीता हुई बेहाल कह देना ।
जब से लंका में आई नहीं श्रृंगार है कीन्हा,
नहीं बांधे अभी तक खुले है बाल कह देना ।
॥ अयोध्या नाथ से जाकर…॥
यहाँ रावण सदा धमकी मुझे तलवार की देता,
करो तलवार के टुकड़े ये अंजनीलाल कह देना ।
॥ अयोध्या नाथ से जाकर…॥
अंगूठी राम को देकर सुनाना हाल सब दिल का,
भूले राम सीता को ये अंजनीलाल कह देना ।
॥ अयोध्या नाथ से जाकर…॥
अगर एक मॉस के अन्दर, मेरे राम ना आये,
तो सीता राम ना पाये ये अंजनीलाल कह देना ।
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
तुम्हारी लाड़ली सीता हुई बेहाल कह देना ।
भजन वीडियो
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
