मुख्य बिंदु
- – कविता में द्रौपदी द्वारा प्रेम और बंधन की प्रतीकात्मकता को चार तार और पुष्प-हार के माध्यम से दर्शाया गया है।
- – विभिन्न पात्रों जैसे वृंदा, पवन पुत्र, प्रह्लाद, और सबरी ने प्रेम और विश्वास के विभिन्न रूपों में बंधन को व्यक्त किया है।
- – प्रेम को डोर, प्यार, और बाण जैसी रूपकों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, जो अलग-अलग संदर्भों में बंधन की गहराई को दर्शाते हैं।
- – कविता में भक्ति, समर्पण और आंसुओं की धार जैसे भावनात्मक पहलुओं को भी उजागर किया गया है।
- – यह रचना प्रेम, बंधन और विश्वास के विविध रंगों को सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भों में जोड़ती है।

भजन के बोल
बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।
खूब जान लिया बाँधा,
एक पुष्प-हार में ॥
बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।
खूब जान लिया बाँधा,
एक पुष्प-हार में ॥
वृंदा ने प्रेम डोर से,
बाँधा था तुम्ही को ।
वृषभानु किशोरी ने,
तुम्हे एक प्यार में ॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
बाँधा था तुम्हे साग खिला,
भक्त विधुर ने ।
गणिका ने सुना राम,
बड़ों की पुकार में॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
बाँधा था पवन पुत्र ने,
बूटी के बाण में ।
केवट ने लिया बाँधा,
पद पखार में ॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
दो अक्षरों के नाम से,
प्रह्लाद ने बाँधा ।
सबरी ने लिया बाँधा,
तुम्हे बैर चार में ॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
सदना ने रखा प्रेम,
तराजू में पकड़कर ।
किस अधम ने रखा है,
आंशुओं की धार में ॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।
खूब जान लिया बाँधा,
एक पुष्प-हार में ॥
