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भजन: राम के प्यारे, सिया के दुलारे – Bhajan: Ram Ke Pyare Siya Ke Dulare

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राम के प्यारे,
सिया के दुलारे,
अंजनी माँ के,
नैनो के तारे,
राम के प्यारें,
सिया के दुलारे ॥
राम ने भरत समान बताकर,
अपने ह्रदय लगाया,
हनुमान ने राम सिया को,
अपने हृदय बिठाया,
पल पल छीन छीन,
नाम पुकारे,
राम के प्यारें,
सिया के दुलारे ॥

मात सिया ने हनुमान को,
ऐसा वर दे डाला,
अजर अमर हो मेरे लाला,
जपो राम की माला,
राम सिया दोनों,
ऋणी है तुम्हारे,
राम के प्यारें,
सिया के दुलारे ॥

अंजनी माँ ने हनुमान को,
राम शरण में भेजा,
हरपल राम की सेवा करना,
आशीर्वाद भी लेजा,
राम से ‘पप्पू शर्मा’,
हमें भी मिला रे,
राम के प्यारें,
सिया के दुलारे ॥

राम के प्यारे,
सिया के दुलारे,
अंजनी माँ के,
नैनो के तारे,
राम के प्यारें,
सिया के दुलारे ॥

भजन: राम के प्यारे, सिया के दुलारे

भजन का परिचय

यह भजन भगवान हनुमान के प्रति राम और सीता के असीम स्नेह और उनकी भक्ति के गहरे संबंध को उजागर करता है। इसमें हनुमान जी की दिव्यता, उनका त्याग, और उनकी सेवाभावना का वर्णन किया गया है। इस भजन के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि भक्ति का मार्ग न केवल भगवान को प्रसन्न करता है, बल्कि भक्त को भी अमरत्व का वरदान प्रदान करता है। प्रत्येक पंक्ति में हनुमान जी के चरित्र के विभिन्न पहलुओं को गहराई से प्रस्तुत किया गया है।


राम के प्यारे, सिया के दुलारे

इस पंक्ति में “राम के प्यारे” शब्द हनुमान जी की भगवान राम के प्रति अटूट निष्ठा और प्रेम को इंगित करता है। वे राम के प्रिय इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने जीवन का हर क्षण राम की सेवा और भक्ति में समर्पित कर दिया।
“सिया के दुलारे” दर्शाता है कि माता सीता के लिए हनुमान सिर्फ सेवक नहीं, बल्कि पुत्र समान थे। रामायण में जिस तरह हनुमान ने सीता को रावण की कैद से सांत्वना दी, उनके प्रति माता का प्रेम स्पष्ट झलकता है।
“अंजनी माँ के नैनो के तारे” पंक्ति यह बताती है कि हनुमान अपने माता-पिता की आँखों के तारे थे। माता अंजनी ने उन्हें वीरता, भक्ति, और सेवा के आदर्श संस्कार दिए।

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राम ने भरत समान बताकर, अपने ह्रदय लगाया

इस पंक्ति में भगवान राम का विशाल हृदय और उनके प्रेम का उदाहरण मिलता है। राम ने हनुमान को अपने छोटे भाई भरत के समान मानकर अपने हृदय से लगाया।
भावार्थ:
हनुमान जी का कार्य न केवल राम की सेवा तक सीमित था, बल्कि उन्होंने अपने हर कृत्य से भगवान के प्रति अपने समर्पण को सिद्ध किया। यह पंक्ति यह बताती है कि भगवान भी सच्चे भक्तों का मान-सम्मान उसी प्रकार करते हैं, जैसे एक भक्त अपने भगवान का।


हनुमान ने राम सिया को, अपने हृदय बिठाया

हनुमान जी की भक्ति इस पंक्ति में सबसे अधिक गहराई से प्रकट होती है। उन्होंने न केवल राम और सीता को देखा, बल्कि उन्हें अपने हृदय में सदा के लिए स्थान दिया।
भावार्थ:
रामायण की कथा में जब हनुमान जी ने अपने हृदय को फाड़कर दिखाया, तो उसमें राम और सीता के दर्शन हुए। यह पंक्ति इस घटना को दर्शाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हनुमान जी के लिए राम-सीता उनके जीवन की आत्मा हैं।


पल पल छीन छीन, नाम पुकारे

यह पंक्ति हनुमान जी के निरंतर राम नाम जपने की आदत को उजागर करती है।
भावार्थ:
इससे यह सिखाया गया है कि एक सच्चे भक्त को हर क्षण अपने भगवान का स्मरण करना चाहिए। जैसे हनुमान जी ने अपने हर पल को राम नाम के जाप से पवित्र किया, उसी प्रकार हमें भी ईश्वर का ध्यान रखना चाहिए। यह पंक्ति भक्ति में अनुशासन और निरंतरता का संदेश देती है।


मात सिया ने हनुमान को, ऐसा वर दे डाला

रामायण में हनुमान जी की भक्ति से प्रभावित होकर माता सीता ने उन्हें अजर-अमर होने का वरदान दिया।
भावार्थ:
माता सीता ने यह आशीर्वाद दिया कि हनुमान जी की भक्ति सदा बनी रहे और उन्हें कोई भी बाधा नहीं रोक सके। यह वरदान भक्तों के लिए प्रेरणा है कि उनकी भक्ति और सेवा उन्हें भगवान और माता सिया से विशेष कृपा दिला सकती है।


अजर अमर हो मेरे लाला, जपो राम की माला

यह पंक्ति माता सीता के वात्सल्य भाव को दर्शाती है। उन्होंने हनुमान को लाला (पुत्र) कहकर संबोधित किया और उन्हें यह निर्देश दिया कि वे जीवन भर राम का नाम जपते रहें।
भावार्थ:
यह पंक्ति सिखाती है कि सच्चे भक्त को अपने भगवान का नाम जपना चाहिए और भक्ति से विमुख नहीं होना चाहिए। माता सिया का यह निर्देश केवल हनुमान जी के लिए नहीं, बल्कि समस्त भक्तों के लिए भी है।

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राम सिया दोनों, ऋणी है तुम्हारे

राम और सीता का यह कथन भक्त और भगवान के संबंध की गहराई को प्रकट करता है।
भावार्थ:
भगवान राम ने स्वयं यह स्वीकार किया कि वे हनुमान जी के ऋणी हैं। यह सिखाता है कि भगवान भी अपने भक्त के सच्चे समर्पण को महत्व देते हैं। यह पंक्ति हमें प्रेरणा देती है कि भक्ति और सेवा के मार्ग पर चलने वाला भक्त अपने भगवान का सच्चा प्रिय बन सकता है।


अंजनी माँ ने हनुमान को, राम शरण में भेजा

माता अंजनी ने हनुमान जी को राम की सेवा के लिए तैयार किया और उन्हें यह आशीर्वाद दिया कि वे राम की सेवा से कभी विमुख न हों।
भावार्थ:
माता अंजनी का यह कार्य यह दर्शाता है कि माता-पिता की शिक्षाएँ और उनका आशीर्वाद व्यक्ति के जीवन को सशक्त बना सकता है। यह पंक्ति हनुमान जी की दिव्यता के पीछे माता अंजनी की भूमिका को रेखांकित करती है।


हरपल राम की सेवा करना, आशीर्वाद भी लेजा

इस पंक्ति में हनुमान जी की सेवा भावना को स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है। माता अंजनी ने हनुमान जी को यह आशीर्वाद दिया कि वे अपने जीवन का प्रत्येक क्षण भगवान राम की सेवा में समर्पित करें।
भावार्थ:
रामायण की कथा में हनुमान जी ने हर संभव तरीके से राम की सहायता की, चाहे वह माता सीता की खोज करना हो, संजीवनी लाना हो, या लंका दहन करना। इस पंक्ति से यह शिक्षा मिलती है कि भगवान की सेवा में समर्पण ही सच्ची भक्ति का स्वरूप है। माता अंजनी के आशीर्वाद ने हनुमान जी के जीवन का उद्देश्य और भी स्पष्ट कर दिया।


राम से ‘पप्पू शर्मा’, हमें भी मिला रे

इस पंक्ति में भजनकार यह स्वीकार करते हैं कि भगवान राम से उन्हें भी प्रेरणा और कृपा प्राप्त हुई है।
भावार्थ:
यह पंक्ति हर भक्त को यह प्रेरणा देती है कि भगवान राम अपने हर भक्त पर कृपा करते हैं। केवल हनुमान जी ही नहीं, बल्कि जो भी भक्त अपने भगवान के प्रति सच्चे मन से भक्ति करता है, उसे भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। यह भजनकार की व्यक्तिगत अनुभूति को भी प्रकट करता है।

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राम के प्यारे, सिया के दुलारे (पुनरावृत्ति)

भजन के अंत में इसी पंक्ति की पुनरावृत्ति की गई है, जो पूरे भजन का सार प्रस्तुत करती है। यह पंक्ति हनुमान जी की विशेषता को फिर से उजागर करती है कि वे राम के प्रिय और सिया के दुलारे हैं।
भावार्थ:
यह पुनरावृत्ति इस बात का संकेत है कि भक्त के जीवन में भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति का महत्व अनमोल है। यह पंक्ति हनुमान जी की भक्ति और भगवान राम-सीता के प्रति उनके प्रेम की गहराई को सुदृढ़ करती है।


भजन का सम्पूर्ण भावार्थ

यह भजन न केवल हनुमान जी के प्रति भगवान राम और माता सीता के प्रेम और स्नेह का वर्णन करता है, बल्कि भक्त और भगवान के बीच के संबंध का भी आदर्श प्रस्तुत करता है।

  1. हनुमान जी की भक्ति: हनुमान जी ने अपने जीवन का हर क्षण राम और सीता की सेवा में बिताया। उनकी निष्ठा, त्याग और समर्पण हर भक्त के लिए आदर्श है।
  2. भगवान का प्रेम: भगवान राम और माता सीता ने हनुमान जी को अपने परिवार का सदस्य माना। यह सिखाता है कि भगवान अपने भक्तों को सदा अपने समीप रखते हैं।
  3. माता अंजनी का योगदान: माता अंजनी ने हनुमान जी को न केवल जन्म दिया, बल्कि उन्हें संस्कार और सेवा का आदर्श भी दिया।
  4. भक्ति का प्रभाव: भक्ति के द्वारा एक भक्त भगवान के इतने समीप हो सकता है कि भगवान स्वयं उनके ऋणी बन जाते हैं।

शिक्षाएँ और संदेश

  1. भक्ति और सेवा का महत्व: यह भजन सिखाता है कि भक्ति में निष्ठा और सेवा का भाव होना चाहिए।
  2. भक्त और भगवान का संबंध: भगवान और भक्त का संबंध समानता पर आधारित होता है।
  3. संस्कारों का प्रभाव: माता-पिता के दिए गए संस्कार व्यक्ति को महानता तक ले जा सकते हैं।
  4. निरंतरता का महत्व: भक्ति में निरंतरता और अनुशासन बहुत आवश्यक है।

यह भजन प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित करता है कि वे भगवान के प्रति अपनी भक्ति और सेवा भावना को गहराई से निभाएं। राम और हनुमान के इस संबंध से हमें सिखना चाहिए कि भक्ति का मार्ग सच्चे समर्पण और निस्वार्थ सेवा से ही पूरा होता है।

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