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- – यह कविता भक्ति की महत्ता और समानता पर जोर देती है, जिसमें कहा गया है कि भक्ति में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
- – मीरा बाई, रूपा बाई, मोरध्वज राजा जैसे भक्तों के उदाहरण देकर भक्ति की शक्ति और समर्पण को दर्शाया गया है।
- – भक्ति के माध्यम से ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण व्यक्त करने की प्रेरणा दी गई है।
- – कविता में सामाजिक और धार्मिक एकता का संदेश है, जो सभी को भक्ति में एक समान मानता है।
- – गायक मनोहर परसोया द्वारा प्रस्तुत यह कविता भक्ति के सरल और सच्चे मार्ग को समझाती है।

भक्ति कर ईश्वर कि भाई,
भक्ति करो तो भेद मत राखो,
भेला रमेला गघुराई,
भक्ति कर ईंश्वर कि भाई।।
भक्ति किनी मीरा बाई ने,
गढ़ चितौड़ के माय,
विश का प्याला राणो भेजिया,
जद अमरत हो जाई,
भक्ति कर ईंश्वर कि भाई।।
भक्ति किनी रूपा बाई ने,
गढ़ मेवा के माई,
हाथ खडक रावल माल दे कोपिया,
बाग लगायो थाली माई,
भक्ति कर ईंश्वर कि भाई।।
भक्ति किनी मोरध्वज राजा,
संत दुवारै आयै,
रतन कंवर को चीर गिराया,
जरा दिया नही आई,
भक्ति कर ईंश्वर कि भाई।।
लाधू पदम जी सतगुरु मिलया,
साची सेन बताई,
गुर्जर गरीब कनीराम,
गावै गोरखिया माई,
भक्ति कर ईंश्वर कि भाई।।
भक्ति कर ईश्वर कि भाई,
भक्ति करो तो भेद मत राखो,
भेला रमेला गघुराई,
भक्ति कर ईंश्वर कि भाई।।
गायक / प्रेषक – मनोहर परसोया।
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