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- – यह गीत वृन्दावन के गिरधारी (भगवान कृष्ण) से आह्वान और भक्ति का भाव व्यक्त करता है।
- – गीत में जीवन की कठिनाइयों और मोह-ममता के घेरे से मुक्ति की प्रार्थना की गई है।
- – भक्त अपने जीवन को खाली और अधूरा पाकर गिरधारी से करुणा और दया की अपील करता है।
- – यह गीत भगवान से शरण लेने, उनके चरणों में आश्रय पाने और दर्शन की इच्छा व्यक्त करता है।
- – गीत में बार-बार वृन्दावन गिरधारी को बुलाने और अपने जीवन में बसाने की विनती की गई है।
- – स्वर देवी चित्रलेखा जी का है, जो इस भक्ति गीत को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करती हैं।

बुला लो वृन्दावन गिरधारी,
बसा लो वृन्दावन गिरधारी,
मेरी बीती उमरिया सारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
मोह ममता ने डाला घेरा,
ना कोई सूझे रास्ता तेरा,
दीन दयाल पकड़ लो बहियाँ,
अब केवल आस तिहारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
करुणा करो मेरे नटनागर,
जीवन की मेरे खाली गागर,
अपनी दया का सागर भर दो,
मैं आई शरण तिहारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
दीन जान ठुकरा ना देना,
अपनी चरण कमल रज देना,
युगों युगों से खोज रही हूँ,
अब दर्शन दो गिरिधारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
बुला लो वृन्दावन गिरधारी,
बसा लो वृन्दावन गिरधारी,
मेरी बीती उमरिया सारी,
बुला लों वृन्दावन गिरधारी।।
स्वर – देवी चित्रलेखा जी।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
