- – भजन में चन्दन तिलक और पूजा की तुलना करते हुए बताया गया है कि केवल बाहरी आभूषण से पूजा सफल नहीं होती, बल्कि दिल का साफ होना आवश्यक है।
- – गीता के शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि बिना ज्ञान के जीवन सफल नहीं हो सकता, जैसे अर्जुन को धर्म युद्ध के समय ज्ञान दिया गया।
- – रामायण के पात्र जटायु और रावण का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि पापी मन से कोई भी कार्य सफल नहीं होता।
- – द्रौपदी की बोली का हवाला देते हुए कहा गया है कि जब तक कृष्ण रक्षक हैं, बुरे इरादे रखने वाले सफल नहीं हो सकते।
- – भजन का मुख्य संदेश है कि सच्चाई, ज्ञान और शुद्ध हृदय के बिना कोई पूजा या कार्य सफल नहीं होता।
- – भजन के लेखक अविनाश मौर्य हैं और उनका संपर्क नंबर भी दिया गया है।
चन्दन तिलक से तेरा,
पूजन सफल ना होगा,
दिल साफ़ गर नहीं तो,
दिल साफ़ गर नहीं तो,
दर्शन सफल ना होगा,
चन्दन तिलक से तेरा,
पूजन सफल ना होगा।।
तर्ज – चूड़ी मजा ना देगी।
गीता ने पाठ देखो,
हमको यही पढ़ाया,
धर्म युद्ध के समय,
अर्जुन को बतलाया,
अर्जुन को बतलाया,
बिन ज्ञान से मानव,
बिन ज्ञान से मानव,
जीवन सफल ना होगा,
चंदन तिलक से तेरा,
पूजन सफल ना होगा।।
लड़ते हुए जटायु,
रावण से था यूँ बोला,
माँ जानकी के खातिर,
पापी का मन डोला,
पापी का मन डोला,
सीता चुरा के तू भी,
सीता चुरा के तू भी,
रावण सफल ना होगा,
चंदन तिलक से तेरा,
पूजन सफल ना होगा।।
बोली सभा में द्रोपती,
जब तक है कृष्ण रक्षक,
मेरा बुरा समय है जो,
तू भी बना है भक्षक,
तू भी बना है भक्षक,
तेरा बुरा इरादा,
तेरा बुरा इरादा,
दुश्मन सफल ना होगा,
चंदन तिलक से तेरा,
पूजन सफल ना होगा।।
चन्दन तिलक से तेरा,
पूजन सफल ना होगा,
दिल साफ़ गर नहीं तो,
दिल साफ़ गर नहीं तो,
दर्शन सफल ना होगा,
चन्दन तिलक से तेरा,
पूजन सफल ना होगा।।
– भजन –
” अविनाश मौर्य “
संपर्क – 9098200177