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- – यह गीत भगवान कृष्ण की बांसुरी की महत्ता और उसकी आवश्यकता को दर्शाता है।
- – बांसुरी के बिना गाय चराना, माखन चोरी करना और रास रचाना संभव नहीं है।
- – गीत में राधा रानी से विनती की गई है कि वह कान्हा की बांसुरी दे दें।
- – बांसुरी को कृष्ण की जान, शान और गुलाम बताया गया है, जो उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
- – यह गीत कृष्ण और राधा के प्रेम और उनकी सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक है।

दे दईयो राधे दे दईयो,
कान्हा की बांसुरियां,
ओ राधा रानी दे दईयो।।
बिन बंसी ना गईया चरायें,
गइयों को फिर कैसे बुलाएँ,
बंसी हमारी जान,
ओ राधा रानी दे दईयो,
दे दईयो राधें दे दईयो,
कान्हा की बांसुरियां,
ओ राधा रानी दे दईयो।।
बिन बंसी ना माखन चुरायें,
ग्वालों को फिर कैसे खिलाएँ,
बंसी हमारी शान,
ओ राधा रानी दे दईयो,
दे दईयो राधें दे दईयो,
कान्हा की बांसुरियां,
ओ राधा रानी दे दईयो।।
बिन बंसी ना रास रचायें,
ग्वालन को फिर कैसे नचाएँ,
बंसी तुम्हारी गुलाम,
ओ राधा रानी दे दईयो,
दे दईयो राधें दे दईयो,
कान्हा की बांसुरियां,
ओ राधा रानी दे दईयो।।
दे दईयो राधे दे दईयो,
कान्हा की बांसुरियां,
ओ राधा रानी दे दईयो।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
