- – यह गीत अपने देश की प्राकृतिक सुंदरता और विविधता का वर्णन करता है, जहाँ धरती सुनहरी और आकाश नीला है।
- – देश के मौसम रंग-बिरंगे और मनमोहक हैं, जिसमें सावन का मौसम खास तौर पर उल्लेखित है।
- – गीत में ग्रामीण जीवन की झलक मिलती है, जैसे गेहूं के खेत, पनघट पर पानी भरने वाली महिलाएं, और बच्चों की मासूमियत।
- – मेहमानों का सम्मान और उनका अपने जैसा माना जाना देश की सांस्कृतिक विशेषता के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- – यह देश प्रेम, मेलजोल और पारंपरिक कहानियों से भरा हुआ है, जो हर कदम पर प्रेम की कहानी सुनाता है।
- – गीत के माध्यम से देश की आत्मीयता, सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा की गई है।

धरती सुनहरी अंबर नीला,
हर मौसम रंगीला,
ऐसा देस है मेरा,
हाँ ऐसा देस है मेरा,
बोले पपीहा कोयल गाये,
सावन घिर घिर आये,
ऐसा देस है मेरा,
हो ऐसा देस है मेरा।।
गेंहू के खेतों में,
कंघी जो करे हवाएं,
रंग बिरंगी कितनी,
चुनरियाँ उड़-उड़ जाएं,
पनघट पर पनिहारन,
जब गगरी भरने आये,
मधुर मधुर तानों में,
कहीं बंसी कोई बजाए,
तो सुन लो,
क़दम-क़दम पे है मिल जानी हो ओ,
क़दम-क़दम पे है मिल जानी,
कोई प्रेम कहानी,
ऐसा देस है मेरा,
हो ऐसा देस है मेरा।।
बाप के कंधे चढ़ के,
जहाँ बच्चे देखे मेले,
मेलों में नट के तमाशे,
कुल्फ़ी के चाट के ठेले,
कहीं मिलती मीठी गोली,
कहीं चूरन की है पुड़िया,
भोले-भोले बच्चे हैं,
जैसे गुड्डे और गुड़िया,
इनको रोज़ सुनाये दादी नानी,
इनको रोज़ सुनाये दादी नानी हो ओ,
इक परियों की कहानी,
ऐसा देस है मेरा,
हाँ ऐसा देस है मेरा।।
मेरे देस में मेहमानों को,
भगवान कहा जाता है,
वो यहीं का हो जाता है,
जो कहीं से भी आता है,
तेरे देस को मैंने देखा,
तेरे देस को मैंने जाना,
जाने क्यूँ ये लगता है,
मुझको जाना पहचाना,
यहाँ भी वही शाम है वही सवेरा हो ओ,
यहाँ भी वही शाम है वही सवेरा,
ऐसा ही देस है मेरा,
जैसा देस है तेरा,
हाँ ऐसा देस है मेरा,
हो ऐसा देस है मेरा।।
धरती सुनहरी अंबर नीला,
हर मौसम रंगीला,
ऐसा देस है मेरा,
हाँ ऐसा देस है मेरा,
बोले पपीहा कोयल गाये,
सावन घिर घिर आये,
ऐसा देस है मेरा,
हो ऐसा देस है मेरा।।
