गणेश अंग पूजा मंत्र in Hindi/Sanskrit
ॐ गणेश्वराय नमः – पादौ पूजयामि ।
ॐ विघ्नराजाय नमः – जानुनि पूजयामि ।
ॐ आखुवाहनाय नमः – ऊरूः पूजयामि ।
ॐ हेरम्बाय नमः – कटि पूजयामि ।
ॐ कामरी सूनवे नमः – नाभिं पूजयामि ।
ॐ लम्बोदराय नमः – उदरं पूजयामि ।
ॐ गौरीसुताय नमः – स्तनौ पूजयामि ।
ॐ गणनाथाय नमः – हृदयं पूजयामि ।
ॐ स्थूल कण्ठाय नमः – कण्ठं पूजयामि ।
ॐ पाश हस्ताय नमः – स्कन्धौ पूजयामि ।
ॐ गजवक्त्राय नमः – हस्तान् पूजयामि ।
ॐ स्कन्दाग्रजाय नमः – वक्त्रं पूजयामि ।
ॐ विघ्नराजाय नमः – ललाटं पूजयामि ।
ॐ सर्वेश्वराय नमः – शिरः पूजयामि ।
ॐ गणाधिपताय नमः – सर्वाङ्गाणि पूजयामि ।
Ganesha Anga Puja Mantra in English
Om Ganeshwaraya Namah – Padao Pujayami.
Om Vighnarajaya Namah – Januni Pujayami.
Om Akhuvahanaya Namah – Uruhu Pujayami.
Om Herambaya Namah – Kati Pujayami.
Om Kamari Sunave Namah – Nabhi Pujayami.
Om Lambodaraya Namah – Udaram Pujayami.
Om Gaurisutaya Namah – Stanau Pujayami.
Om Ganathaya Namah – Hridayam Pujayami.
Om Sthula Kanthaya Namah – Kantham Pujayami.
Om Pasha Hastaya Namah – Skandhau Pujayami.
Om Gajavaktraya Namah – Hastan Pujayami.
Om Skandagrajaya Namah – Vaktram Pujayami.
Om Vighnarajaya Namah – Lalatam Pujayami.
Om Sarveshwaraya Namah – Shirah Pujayami.
Om Ganadhipataya Namah – Sarvangani Pujayami.
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गणेश अंग पूजा मंत्र का विस्तृत अर्थ
ॐ गणेश्वराय नमः – पादौ पूजयामि
गणेश्वराय का अर्थ
‘गणेश्वराय’ का अर्थ होता है गणों के ईश्वर, अर्थात् वह जो सभी देवताओं और प्राणियों के स्वामी हैं। इस नाम से भगवान गणेश की महिमा और उनकी सर्वशक्तिमानता की प्रतिष्ठा की जाती है।
पादपूजन (पैरों की पूजा)
पैरों की पूजा का महत्व है विनम्रता और भक्ति की अभिव्यक्ति। भगवान गणेश के चरणों में श्रद्धा पूर्वक झुकने से जीवन की समस्त समस्याएं समाप्त होती हैं। चरण स्पर्श हमें आत्मसमर्पण की भावना से जोड़ता है और हमारे भीतर अहंकार का नाश करता है।
ॐ विघ्नराजाय नमः – जानुनि पूजयामि
विघ्नराज का अर्थ
‘विघ्नराज’ का अर्थ होता है विघ्नों के स्वामी। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, जो भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करते हैं। इस नाम से हम भगवान की कृपा और उनकी विघ्ननाशक शक्ति को नमन करते हैं।
जानुपूजन (घुटनों की पूजा)
जानु या घुटनों की पूजा का अर्थ है जीवन की गति और यात्रा में आने वाले सभी विघ्नों का अंत करना। भगवान गणेश से यह प्रार्थना की जाती है कि वे जीवन की यात्रा को सरल और बिना रुकावट के करें।
ॐ आखुवाहनाय नमः – ऊरूः पूजयामि
आखुवाहन का अर्थ
‘आखुवाहन’ का अर्थ होता है वह जो चूहे को वाहन के रूप में धारण करते हैं। चूहा बुद्धि और चपलता का प्रतीक होता है। भगवान गणेश के चूहे को वाहन बनाने का तात्पर्य है कि वे सर्वसुलभ हैं और हर किसी तक पहुंच सकते हैं।
ऊरूपूजन (जांघों की पूजा)
ऊरू या जांघें शक्ति का प्रतीक होती हैं। भगवान गणेश की जांघों की पूजा से हमें जीवन में साहस और धैर्य प्राप्त होता है, जो कठिनाइयों को सहन करने और उनका मुकाबला करने में मदद करता है।
ॐ हेरम्बाय नमः – कटि पूजयामि
हेरम्ब का अर्थ
‘हेरम्ब’ का अर्थ होता है भय के नाशक। भगवान गणेश को हेरम्ब के रूप में पुकारने का मतलब है कि वे हमारे सभी भय और चिंताओं का अंत करने वाले हैं। उनका यह रूप भक्तों को साहस प्रदान करता है।
कटिपूजन (कमर की पूजा)
कटि या कमर जीवन में स्थिरता और संतुलन का प्रतीक होती है। कमर की पूजा भगवान गणेश से जीवन में स्थिरता और संतुलन प्राप्त करने की प्रार्थना होती है। इससे मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने की शक्ति प्राप्त होती है।
ॐ कामरी सूनवे नमः – नाभिं पूजयामि
कामरी सूनु का अर्थ
‘कामरी सूनु’ का अर्थ होता है शिवपुत्र, अर्थात् भगवान गणेश शिव और पार्वती के पुत्र हैं। शिवपुत्र के रूप में भगवान गणेश हमारे जीवन में शक्ति और सृजनात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
नाभिपूजन (नाभि की पूजा)
नाभि शरीर का केंद्र बिंदु होती है, जो ऊर्जा का स्रोत मानी जाती है। नाभि की पूजा भगवान गणेश से जीवन की ऊर्जा को नियंत्रित करने की प्रार्थना है, जिससे हम शक्ति, समर्पण और संतुलन प्राप्त कर सकें।
ॐ लम्बोदराय नमः – उदरं पूजयामि
लम्बोदर का अर्थ
‘लम्बोदर’ का अर्थ होता है विशाल उदर वाला। भगवान गणेश को लम्बोदर कहकर उनकी विशालता और उनकी ज्ञान की अथाहता को सम्मानित किया जाता है। उनका बड़ा पेट यह दर्शाता है कि वे सभी प्रकार की बातें अपने भीतर समेट लेते हैं, चाहे वह सुख हो या दुख।
उदरपूजन (पेट की पूजा)
पेट को ज्ञान और समृद्धि का स्थान माना जाता है। भगवान गणेश के उदर की पूजा से हमें उनकी ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पूजा इस बात की प्रतीक होती है कि हमें जीवन में प्राप्त सभी अनुभवों को धैर्यपूर्वक ग्रहण करना चाहिए।
ॐ गौरीसुताय नमः – स्तनौ पूजयामि
गौरीसुत का अर्थ
‘गौरीसुत’ का अर्थ होता है गौरी का पुत्र। भगवान गणेश माता पार्वती के पुत्र हैं, जिन्हें गौरी के नाम से भी जाना जाता है। गौरीसुत के रूप में भगवान गणेश की पूजा उनके पारिवारिक और प्रेममय स्वभाव को दर्शाती है।
स्तनपूजन (स्तनों की पूजा)
स्तनों की पूजा से तात्पर्य जीवन की पालन-पोषण शक्ति से है। भगवान गणेश से यह प्रार्थना की जाती है कि वे हमें जीवन में पोषण और स्नेह प्रदान करें, ताकि हम जीवन के हर पहलू में वृद्धि कर सकें।
ॐ गणनाथाय नमः – हृदयं पूजयामि
गणनाथ का अर्थ
‘गणनाथ’ का अर्थ है गणों के स्वामी, अर्थात् भगवान गणेश जो सभी गणों और उनके अनुयायियों के स्वामी हैं। इस नाम से भगवान गणेश के नेतृत्व और उनकी सार्वभौमिक प्रभुत्व की महिमा का बखान किया जाता है।
हृदयपूजन (हृदय की पूजा)
हृदय की पूजा का अर्थ है भगवान गणेश से प्रेम, करुणा और भक्ति प्राप्त करने की प्रार्थना। हृदय वह स्थान है जहाँ से सभी सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती हैं। भगवान गणेश का हृदय में निवास करने का प्रतीक है कि वे हमारी आत्मा के सबसे निकट हैं। उनकी पूजा से हृदय में शुद्धता और प्रेम का संचार होता है।
ॐ स्थूल कण्ठाय नमः – कण्ठं पूजयामि
स्थूल कण्ठ का अर्थ
‘स्थूल कण्ठ’ का अर्थ होता है मोटा या विशाल कंठ वाला। भगवान गणेश के कंठ का यह रूप उनकी दिव्यता और वाणी की शक्ति का प्रतीक है। उनका कंठ संचार और सत्य की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
कण्ठपूजन (गले की पूजा)
कण्ठ की पूजा भगवान गणेश से सही और सटीक वाणी की प्रार्थना करने के लिए होती है। यह पूजा इस बात का प्रतीक है कि हमें अपने विचारों और शब्दों में शुद्धता और सत्यता रखनी चाहिए। यह पूजा हमारे संचार को प्रभावी और सकारात्मक बनाने की प्रार्थना होती है।
ॐ पाश हस्ताय नमः – स्कन्धौ पूजयामि
पाश हस्त का अर्थ
‘पाश हस्त’ का अर्थ होता है वह जिसने पाश (फंदा) को अपने हाथ में धारण किया हो। भगवान गणेश के इस रूप में, वे पाश या फंदे के माध्यम से हमें बुराइयों और नकारात्मकताओं से दूर रखते हैं। पाश बंधनों और अनैतिक प्रवृत्तियों से मुक्ति का प्रतीक है।
स्कन्धपूजन (कंधों की पूजा)
कंधों की पूजा भगवान गणेश की शक्ति और संरक्षण के लिए होती है। कंधों की पूजा हमें यह याद दिलाती है कि भगवान गणेश हमारे सभी भारों और जिम्मेदारियों को संभालने में हमारी मदद करते हैं। यह हमें जीवन में आत्मविश्वास और साहस प्रदान करती है।
ॐ गजवक्त्राय नमः – हस्तान् पूजयामि
गजवक्त्र का अर्थ
‘गजवक्त्र’ का अर्थ होता है हाथी के मुख वाला। भगवान गणेश को हाथी का मुख धारण करने के कारण ‘गजवक्त्र’ कहा जाता है। यह उनका बुद्धि, धैर्य और विशालता का प्रतीक है। गजवक्त्र रूप में गणेश जी की पूजा से हम उनके विशाल ज्ञान और उनकी समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
हस्तपूजन (हाथों की पूजा)
हाथों की पूजा से तात्पर्य है भगवान गणेश से कर्म और सेवा के लिए शक्ति प्राप्त करना। भगवान गणेश के हाथों की पूजा हमें यह सिखाती है कि हमें अपने जीवन में सद्कार्य और सेवा भाव से भरे कार्य करने चाहिए। यह पूजा हमें कर्तव्यनिष्ठा और परिश्रम की भावना प्रदान करती है।
ॐ स्कन्दाग्रजाय नमः – वक्त्रं पूजयामि
स्कन्दाग्रज का अर्थ
‘स्कन्दाग्रज’ का अर्थ होता है स्कंद (भगवान कार्तिकेय) के बड़े भाई। इस नाम से भगवान गणेश के पारिवारिक और भ्रातृ प्रेम का उल्लेख होता है। यह उनकी स्नेहमयी और सहानुभूति से भरी प्रवृत्ति को दर्शाता है।
वक्त्रपूजन (मुख की पूजा)
वक्त्र या मुख की पूजा भगवान गणेश से सत्य, ज्ञान और मधुरता प्राप्त करने के लिए की जाती है। यह पूजा इस बात का प्रतीक है कि हमारे मुख से हमेशा सकारात्मक और हितकारी शब्द निकलें। भगवान गणेश का मुख शुद्धता और विवेक का प्रतीक है, और उनकी पूजा हमें जीवन में सच्चाई और विनम्रता की ओर प्रेरित करती है।
ॐ विघ्नराजाय नमः – ललाटं पूजयामि
विघ्नराज का अर्थ
‘विघ्नराज’ का अर्थ होता है विघ्नों के स्वामी, जो हमारे जीवन से सभी बाधाओं और कष्टों को दूर करते हैं। भगवान गणेश का यह रूप विघ्नों का नाश करने के लिए जाना जाता है, जो उनके भक्तों को निर्बाध और सफल जीवन प्रदान करता है।
ललाटपूजन (माथे की पूजा)
ललाट की पूजा से तात्पर्य है भगवान गणेश से बुद्धिमत्ता और दिव्य दृष्टि प्राप्त करना। माथे को ज्ञान और बौद्धिकता का केंद्र माना जाता है। ललाट की पूजा से भगवान गणेश से हमें मार्गदर्शन प्राप्त होता है, जो हमें जीवन में सही दिशा दिखाता है। यह पूजा मानसिक शांति और एकाग्रता की भावना को विकसित करने में मदद करती है।
ॐ सर्वेश्वराय नमः – शिरः पूजयामि
सर्वेश्वर का अर्थ
‘सर्वेश्वर’ का अर्थ होता है सभी के ईश्वर, अर्थात् भगवान गणेश ही समस्त ब्रह्मांड के स्वामी हैं। यह नाम उनकी सार्वभौमिक सत्ता और प्रभुत्व का प्रतीक है। भगवान गणेश सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान माने जाते हैं।
शिरपूजन (सिर की पूजा)
सिर की पूजा भगवान गणेश से जीवन में नेतृत्व, आत्म-ज्ञान और दिशा प्राप्त करने के लिए की जाती है। सिर को हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, और इसकी पूजा से भगवान गणेश से बुद्धिमत्ता और स्पष्टता प्राप्त होती है। यह पूजा हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करती है, जिससे हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें।
ॐ गणाधिपताय नमः – सर्वाङ्गाणि पूजयामि
गणाधिपति का अर्थ
‘गणाधिपति’ का अर्थ होता है गणों के अधिपति, अर्थात् भगवान गणेश जो समस्त गणों और प्राणियों के शासक हैं। उनका यह रूप उनके नेतृत्व और संरक्षण की क्षमता का प्रतीक है।
सर्वाङ्गपूजन (सम्पूर्ण अंगों की पूजा)
सर्वाङ्ग पूजन से तात्पर्य है भगवान गणेश के सम्पूर्ण शरीर की पूजा करना, जिससे हम उन्हें सम्पूर्ण रूप से सम्मान और भक्ति अर्पित कर सकें। यह पूजा हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उनकी उपस्थिति और आशीर्वाद की प्रतीक होती है।