धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें Join Now

शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

गौरीनन्दन गजानना: मंत्र in Hindi/Sanskrit

गौरीनन्दन गजानना
गौरीनन्दन गजानना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
पार्वतीनन्दन शुभानना
पार्वतीनन्दन शुभानना
शुभानना शुभानना
शुभानना शुभानना
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌ ॥

गौरीनन्दन गजानना
गौरीनन्दन गजानना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
पार्वतीनन्दन शुभानना
पार्वतीनन्दन शुभानना
शुभानना शुभानना
शुभानना शुभानना
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌ ॥

Gauri Nandana Gajanana in English

Gaurinandan Gajanana
Gaurinandan Gajanana
Girijanandan Niranjana
Girijanandan Niranjana
Parvatinandan Shubhanana
Parvatinandan Shubhanana
Shubhanana Shubhanana
Shubhanana Shubhanana
Pahi Prabho Maam Pahi Prasannam
Pahi Prabho Maam Pahi Prasannam ॥

Gaurinandan Gajanana
Gaurinandan Gajanana
Girijanandan Niranjana
Girijanandan Niranjana
Parvatinandan Shubhanana
Parvatinandan Shubhanana
Shubhanana Shubhanana
Shubhanana Shubhanana
Pahi Prabho Maam Pahi Prasannam
Pahi Prabho Maam Pahi Prasannam ॥

गौरीनन्दन गजानना: मंत्र PDF Download

गौरीनन्दन गजानना: मंत्र का अर्थ

‘गौरीनन्दन’ का अर्थ है गौरी का पुत्र। ‘गौरी’ माता पार्वती का एक नाम है, जो भगवान शिव की पत्नी और गणेश जी की माता हैं। ‘गजानना’ का अर्थ है गज (हाथी) का मुख धारण करने वाला। यह नाम भगवान गणेश को संबोधित करता है, जिनका मुख हाथी जैसा है। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और शुभता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।

भगवान गणेश की महिमा

भगवान गणेश को हर शुभ कार्य की शुरुआत में पूजा जाता है। उन्हें विघ्नहर्ता (विघ्नों को दूर करने वाला) और मंगलकर्ता (सभी कार्यों में शुभता लाने वाला) कहा जाता है। वे सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य हैं और बुद्धि, विवेक और समृद्धि के दाता माने जाते हैं।

गिरिजानन्दन निरञ्जना

गिरिजानन्दन का अर्थ

‘गिरिजानन्दन’ का अर्थ है गिरिजा (पार्वती) का पुत्र। गिरिजा, भगवान शिव की पत्नी हैं और हिमालय पर्वत की पुत्री हैं। भगवान गणेश को ‘गिरिजानन्दन’ के रूप में सम्मानित किया जाता है क्योंकि वे देवी पार्वती के पुत्र हैं।

निरञ्जना का अर्थ

‘निरञ्जना’ का अर्थ है शुद्ध, निर्दोष और निष्पाप। भगवान गणेश को निरञ्जन कहा जाता है क्योंकि वे सभी दोषों और अशुद्धियों से मुक्त हैं। वे ज्ञान और पवित्रता के प्रतीक माने जाते हैं।

पार्वतीनन्दन शुभानना

पार्वतीनन्दन का अर्थ

‘पार्वतीनन्दन’ का अर्थ है पार्वती का पुत्र। भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं। उनके इस नाम से यह इंगित होता है कि वे माता पार्वती के अत्यंत प्रिय पुत्र हैं।

शुभानना का अर्थ

‘शुभानना’ का अर्थ है शुभ मुख वाला। भगवान गणेश को शुभानना कहा जाता है क्योंकि उनका मुख अत्यंत शुभ और आनंद देने वाला है। उनका दर्शन और स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार की शुभता प्राप्त होती है।

पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌

पाहि प्रभो का अर्थ

‘पाहि’ का अर्थ है रक्षा करना। ‘प्रभो’ का अर्थ है प्रभु या स्वामी। इस वाक्यांश में भगवान गणेश से रक्षा की प्रार्थना की जा रही है।

मां पाहि प्रसन्नाम्‌ का अर्थ

‘मां’ का अर्थ है मुझे, ‘पाहि’ का अर्थ है रक्षा करो, और ‘प्रसन्नाम्‌’ का अर्थ है प्रसन्न। यह वाक्यांश भगवान गणेश से प्रार्थना करता है कि वे प्रसन्न होकर उनकी रक्षा करें और सभी विघ्नों से दूर रखें।

दोहराव और उसके महत्व

इस मंत्र या श्लोक में भगवान गणेश के विभिन्न नामों का स्मरण और उनका गुणगान किया गया है। हर पंक्ति को दो बार दोहराया गया है, जो भगवान गणेश की कृपा और उनकी शक्ति का प्रतीक है। दोहराव से यह संदेश मिलता है कि भगवान गणेश से बार-बार प्रार्थना करने पर वे अवश्य ही प्रसन्न होकर भक्तों की रक्षा करेंगे और उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाएंगे।

भक्तों के लिए संदेश

यह श्लोक या मंत्र भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करता है। इसे नियमित रूप से जपने से मन की शांति, बुद्धि, और समृद्धि प्राप्त होती है। भक्तों को यह मंत्र स्मरण कर भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करनी चाहिए और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन के सभी कार्य सफल बनाने चाहिए।

गौरीनन्दन गजानना

भगवान गणेश की उत्पत्ति

भगवान गणेश की उत्पत्ति की कई कथाएँ पुराणों में वर्णित हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान गणेश को अपने शरीर के उबटन से बनाया था। उन्होंने गणेश को द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया और आदेश दिया कि वे किसी को भी अंदर न आने दें। जब भगवान शिव आए और गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका, तो भगवान शिव ने क्रोध में आकर उनका सिर काट दिया। बाद में, माता पार्वती की प्रार्थना पर, भगवान शिव ने गणेश का सिर एक हाथी के सिर से बदल दिया, जिससे वे ‘गजानना’ कहलाए।

गणेश जी की पूजा का महत्व

भगवान गणेश की पूजा हर शुभ कार्य से पहले की जाती है। चाहे वह कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो, शादी-ब्याह, घर की पूजा, या किसी अन्य महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत हो, भगवान गणेश को प्रसन्न किए बिना कोई कार्य आरंभ नहीं किया जाता। उन्हें ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है जो विघ्नों को दूर करते हैं और ‘संकटमोचन’ अर्थात जो संकटों का नाश करते हैं।

गिरिजानन्दन निरञ्जना

गणेश जी का गिरिजानन्दन रूप

भगवान गणेश का ‘गिरिजानन्दन’ नाम उनके माता-पिता, भगवान शिव और माता पार्वती, के प्रति उनके प्रेम और सम्मान को दर्शाता है। इस नाम से यह संदेश मिलता है कि वे अपने माता-पिता के आज्ञाकारी और प्रिय पुत्र हैं। यह नाम भक्तों को यह सिखाता है कि माता-पिता के प्रति श्रद्धा और सम्मान का क्या महत्व है।

निरञ्जना: शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक

भगवान गणेश को ‘निरञ्जना’ कहा जाता है, जो कि उनकी शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। वे समस्त विकारों और अशुद्धियों से मुक्त हैं। उनके इस स्वरूप का ध्यान करने से मन की अशांति और नकारात्मक विचार दूर होते हैं और व्यक्ति मानसिक और आत्मिक शुद्धता की ओर अग्रसर होता है।

पार्वतीनन्दन शुभानना

पार्वतीनन्दन: माता के प्रति प्रेम का प्रतीक

‘पार्वतीनन्दन’ नाम भगवान गणेश और माता पार्वती के बीच के गहरे प्रेम और संबंध को दर्शाता है। भगवान गणेश ने हमेशा अपनी माता का सम्मान और उनकी आज्ञा का पालन किया है। यह नाम हमें यह सिखाता है कि हमें भी अपने माता-पिता के प्रति हमेशा आदर और प्रेम का भाव रखना चाहिए।

शुभानना: सभी कार्यों में शुभता लाने वाला

भगवान गणेश को ‘शुभानना’ कहा जाता है, क्योंकि उनका मुख और उनके आशीर्वाद से सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं। उनके इस स्वरूप का स्मरण करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार के विघ्नों से मुक्ति मिलती है।

पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌

भगवान गणेश से रक्षा की प्रार्थना

इस पंक्ति में भक्त भगवान गणेश से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। ‘पाहि’ का अर्थ है रक्षा करो, और ‘प्रभो’ का अर्थ है स्वामी या भगवान। इस प्रकार, भक्त भगवान गणेश से प्रार्थना कर रहे हैं कि वे उनकी रक्षा करें और उन्हें सभी संकटों से बचाएँ।

प्रसन्न होकर रक्षा करने का अनुरोध

‘पाहि प्रसन्नाम्‌’ का अर्थ है प्रसन्न होकर रक्षा करना। जब भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं, तो वे अपने भक्तों को अनंत सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस प्रार्थना के माध्यम से भक्त भगवान गणेश से यह निवेदन कर रहे हैं कि वे प्रसन्न होकर उनकी रक्षा करें और उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करें।

गणेश भक्ति में दोहराव का महत्व

भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक

गणेश जी के मंत्रों और स्तोत्रों में दोहराव का विशेष महत्व है। दोहराव से भक्ति और श्रद्धा की गहराई व्यक्त होती है। यह दिखाता है कि भक्त अपने आराध्य के प्रति कितनी निष्ठा और समर्पण से भरा हुआ है। दोहराव के माध्यम से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने की भावना और अधिक प्रबल होती है।

मन और आत्मा की शांति

भगवान गणेश के नामों और मंत्रों का दोहराव करने से मन और आत्मा को शांति मिलती है। यह एक प्रकार का ध्यान (मेडिटेशन) है, जिससे मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। जब हम भगवान गणेश के नाम का बार-बार स्मरण करते हैं, तो हमारे मन के विकार दूर होते हैं और सकारात्मकता का संचार होता है।

निष्कर्ष

भगवान गणेश का यह श्लोक उनकी महिमा, उनके नामों का महत्व और उनकी कृपा की व्याख्या करता है। भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करने के लिए इस श्लोक का नियमित जप करने से जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश की पूजा और उनकी कृपा से सभी विघ्नों और संकटों का नाश होता है और जीवन में हर कार्य सफल होता है।

शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *