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गायत्री मंत्र in Hindi/Sanskrit

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

Gayatri Mantra in English

Om Bhur Bhuvah Swah
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasya Dhimahi
Dhiyo Yo Nah Prachodayat ॥

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गायत्री मंत्र का अर्थ और व्याख्या

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

गायत्री मंत्र को हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रों में से एक माना जाता है। इसे ऋग्वेद से लिया गया है और यह मंत्र सूर्य देवता को समर्पित है, जिन्हें ‘सविता’ के नाम से भी जाना जाता है। गायत्री मंत्र में ब्रह्मांड की तीन मुख्य अवस्थाओं – भूमि, अंतरिक्ष और स्वर्ग की चर्चा होती है, और यह ज्ञान, प्रज्ञा और सच्चाई की अभिवृद्धि की प्रार्थना है।

गायत्री मंत्र का हिंदी अर्थ

ॐ भूर्भुवः स्वः

  • : ॐ ब्रह्मांड की अनंत ध्वनि है, यह सृष्टि की शुरुआत का प्रतीक है। यह परमात्मा का निराकार रूप है।
  • भूः: ‘भूः’ का अर्थ है पृथ्वी या भौतिक संसार। यह हमारे अस्तित्व के भौतिक पहलू को दर्शाता है।
  • भुवः: इसका अर्थ है ‘अंतरिक्ष’ या ‘मध्यम लोक’ जो हमारे चारों ओर की ऊर्जाओं और जीवन के सांसारिक कष्टों को इंगित करता है।
  • स्वः: ‘स्वः’ का मतलब है ‘स्वर्ग’ या ‘आध्यात्मिक लोक’, यह वह स्थान है जहां शुद्ध आत्माएं निवास करती हैं और परम शांति का अनुभव करती हैं।

यह पंक्ति ब्रह्मांड के तीन लोकों—भू (पृथ्वी), भुवः (अंतरिक्ष) और स्वः (स्वर्ग) को दर्शाती है, जो हमारे अस्तित्व और चेतना के तीन स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

तत्सवितुर्वरेण्यं

  • तत्: ‘तत्’ का अर्थ है ‘वह’ अर्थात सर्वोच्च सच्चाई या परमात्मा।
  • सवितुः: ‘सवितुः’ सूर्य देवता को दर्शाता है, जो हमें जीवन, प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करते हैं। यहां ‘सविता’ वह है जो सब कुछ उत्पन्न करता है।
  • वरेण्यं: ‘वरेण्यं’ का अर्थ है ‘वरण करने योग्य’ या ‘ध्यान करने योग्य’। यह गुणों की श्रेष्ठता और ईश्वर के आदर्श रूप को दर्शाता है।

यह पंक्ति सूर्य देवता (सविता) की श्रेष्ठता और उनकी ऊर्जा को नमन करते हुए, उनकी प्रशंसा और ध्यान करने योग्य गुणों की बात करती है।

भर्गो देवस्यः धीमहि

  • भर्गो: ‘भर्गो’ का अर्थ है ‘दिव्य प्रकाश’ या ‘ईश्वर की पवित्र शक्ति’। यह वह प्रकाश है जो हमारे अज्ञान को नष्ट करता है और हमें सही मार्ग पर ले जाता है।
  • देवस्य: ‘देवस्य’ का अर्थ है ‘दिव्य’ या ‘ईश्वर’। यह परमात्मा की ओर इशारा करता है।
  • धीमहि: ‘धीमहि’ का अर्थ है ‘हम ध्यान करें’। यहां यह ईश्वर के प्रकाश और शक्ति पर ध्यान केंद्रित करने की प्रार्थना है।

यह पंक्ति हमें ईश्वर के दिव्य प्रकाश और शक्ति का ध्यान करने के लिए प्रेरित करती है, ताकि हमारी बुद्धि शुद्ध और मार्गदर्शित हो सके।

धियो यो नः प्रचोदयात्

  • धियो: ‘धियो’ का अर्थ है ‘बुद्धि’ या ‘मस्तिष्क’।
  • यो: ‘यो’ का मतलब है ‘जो’ या ‘वह’।
  • नः: ‘नः’ का अर्थ है ‘हमारा’ या ‘हम’।
  • प्रचोदयात्: ‘प्रचोदयात्’ का अर्थ है ‘प्रेरित करें’ या ‘मार्गदर्शन करें’। यह हमारी बुद्धि को सही दिशा में निर्देशित करने की प्रार्थना है।

यह पंक्ति ईश्वर से हमारी बुद्धि को सही दिशा में प्रेरित करने की विनती करती है, ताकि हम सत्य और धर्म के मार्ग पर चल सकें।

गायत्री मंत्र का सम्पूर्ण अर्थ

“हे परमात्मा, जो भू, भुवः और स्वः लोकों के स्वामी हैं, हम उस सर्वोच्च सूर्य (सविता) के पवित्र और दिव्य प्रकाश का ध्यान करते हैं। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को प्रेरित और शुद्ध करें ताकि हम सही मार्ग पर चल सकें।”

गायत्री मंत्र में संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्तियों का आह्वान है। यह एक आध्यात्मिक प्रार्थना है जो हमें ज्ञान, शक्ति और चेतना प्रदान करती है।

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